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..तो पप्पू यादव मार सकते हैं बाजी! जानें वो वजहें जो पूर्णिया में बन सकती हैं जीत का कारण - purnea Lok Sabha seat

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jun 3, 2024, 2:15 PM IST

Purnea Lok Sabha Seat: लोकसभा की 40 सीटों में से एक पूर्णिया सीट का मुकाबला बहुत ही दिलचस्प हो गया था. संतोष कुशवाहा, बीमा भारती और पप्पू यादव के बीच की टक्कर में जनता किसके साथ है जानें.

पूर्णिया लोकसभा क्षेत्र
पूर्णिया लोकसभा क्षेत्र (ETV Bharat)
डॉ संजय कुमार,वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक (ETV Bharat)

पूर्णिया: 2024 लोकसभा चुनाव में सबसे दिलचस्प मुकाबला पूर्णिया लोकसभा क्षेत्र में देखने को मिला. पूर्णिया लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने के लिए पप्पू यादव ने अपनी पार्टी का विलय कांग्रेस में किया, लेकिन अगले ही दिन राजद ने JDU विधायक बीमा भारती को अपना सिम्बल दे दिया. लगातार कांग्रेस और राजद में इस सीट को लेकर विवाद होता रहा. लेकिन अंत में यह सीट RJD में गई और पप्पू यादव ने यहां से निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी.

पप्पू ने मुकाबला बनाया त्रिकोणीय: पूर्णिया में त्रिकोणीय टक्कर देखने को मिल रही है. लगातार दो बार से सांसद रहे संतोष कुशवाहा को जदयू ने प्रत्याशी बनाया. वहीं आरजेडी ने अपना उम्मीदवार जदयू से आरजेडी में आई बीमा भारती को बनाया. अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय करने के बाद निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में पप्पू यादव भी चुनावी मैदान में उतरे.

पप्पू यादव के साथ वोटर खड़े हैं लेकिन संतोष कुशवाहा भी मजबूत स्थिति में हैं. तेजस्वी यादव ने बीमा भारती को उम्मीदवार बनाया और पप्पू यादव के खिलाफ जिस तरह से बयान दिया उसका फायदा उन्हें हो सकता है.- डॉ संजय कुमार,वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक

संतोष कुशवाहा का पलड़ा भारी!: 2024 लोकसभा चुनाव में पूर्णिया में शुरू में त्रिकोणात्मक लड़ाई होती दिख रही थी. जेडीयू उम्मीदवार संतोष कुशवाहा, आरजेडी कैंडिडेट बीमा भारती और निर्दलीय प्रत्याशी पप्पू यादव के बीच लड़ाई होती दिख रही थी. लेकिन चुनाव खत्म होने के बाद की लड़ाई जदयू के संतोष कुशवाहा और निर्दलीय पप्पू यादव के बीच में होती दिख रही है.

पूर्णिया लोकसभा की आबादी: लोकसभा में कुल मतदाता की संख्या 18 लाख 90 हजार 5 सौ 97 मतदाता हैं, जिसमें महिला मतदाता 9 लाख 15 हजार 762 हैं और पुरूष मतदाता 9 लाख 74 हजार 762 हैं. थर्ड जेंडर 73 हैं.

क्या रहा वोटिंग प्रतिशत: 2024 लोकसभा चुनाव में पूर्णिया में 59.94 फीसदी मतदान हुआ है. जबकि साल 2019 में 65.37 फीसदी मतदान हुआ. पूर्णिया में त्रिकोणीय मुकाबला होने के बावजूद मतदान प्रतिशत 2019 के मुकाबले कम रहा. कम मतदान प्रतिशत से एनडीए, महागठबंधन और निर्दलीय प्रत्याशी पप्पू यादव के समर्थक टेंशन में हैं.

क्या कहते हैं जानकार: ज्यादातर सीटों पर एनडीए वर्सेज इंडिया गठबंधन का मुकाबला देखने को मिल रहा है. लेकिन पूर्णिया में पप्पू यादव ने मुकाबला काफी दिलचस्प बना दिया है. वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक डॉ संजय कुमार का कहना है कि शुरू में लड़ाई त्रिकोणात्मक होती दिख रही थी, लेकिन चुनावी सभा में अपने समर्थकों से यह अपील कि यदि बीमा भारती को वोट नहीं दे रहे हैं तो पप्पू यादव को भी वोट मत दीजिए.

पप्पू यादव करेंगे कमाल?: इसके बाद से ही पप्पू यादव का पलड़ा भारी होता दिखने लगा. पप्पू यादव शुरू से ही पूर्णिया से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे. उन्होंने प्रणाम पूर्णिया सलाम पूर्णिया कार्यक्रम भी चलाया था. अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय करने के बाद भी उनको टिकट नहीं मिला और अंत में वह निर्दलीय चुनाव लड़े.

आरजेडी का अति पिछड़ा कार्ड: पूर्णिया लोकसभा सीट पर लालू यादव ने अति पिछड़ा कार्ड खेला था, लेकिन इसमें आरजेडी सफल नहीं हुआ. जहां तक संतोष कुशवाहा की बात है संतोष कुशवाहा 2014 में भी मोदी लहर में पूर्णिया से चुनाव जीतने में कामयाब हुए थे. लगातार दो लोकसभा चुनाव से संतोष कुशवाहा वहां से चुनाव जीत रहे हैं.

इमोशनल कार्ड का होगा फायदा: हालांकि पप्पू यादव ने वहां से चुनाव लड़ने के दौरान इमोशनल कार्ड भी खेला और उनको अन्य जातियों का भी वोट मिलता हुआ दिखा. डॉ संजय कुमार का कहना है कि "पूर्णिया लोकसभा क्षेत्र में संतोष कुशवाहा का पलड़ा अभी भी भारी है. क्योंकि एनडीए का जो जाति समीकरण है वह संतोष कुशवाहा के साथ खड़ा रहा. यहां 51 और 49 प्रतिशत की लड़ाई है."

इसे भी पढ़ें- 'I.N.D.I.A गठबंधन को 295 से ज्यादा सीटें', Exit Poll पर कांग्रेस की सुप्रिया श्रीनेत - Lok Sabha Election Exit Poll 2024

डॉ संजय कुमार,वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक (ETV Bharat)

पूर्णिया: 2024 लोकसभा चुनाव में सबसे दिलचस्प मुकाबला पूर्णिया लोकसभा क्षेत्र में देखने को मिला. पूर्णिया लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने के लिए पप्पू यादव ने अपनी पार्टी का विलय कांग्रेस में किया, लेकिन अगले ही दिन राजद ने JDU विधायक बीमा भारती को अपना सिम्बल दे दिया. लगातार कांग्रेस और राजद में इस सीट को लेकर विवाद होता रहा. लेकिन अंत में यह सीट RJD में गई और पप्पू यादव ने यहां से निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी.

पप्पू ने मुकाबला बनाया त्रिकोणीय: पूर्णिया में त्रिकोणीय टक्कर देखने को मिल रही है. लगातार दो बार से सांसद रहे संतोष कुशवाहा को जदयू ने प्रत्याशी बनाया. वहीं आरजेडी ने अपना उम्मीदवार जदयू से आरजेडी में आई बीमा भारती को बनाया. अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय करने के बाद निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में पप्पू यादव भी चुनावी मैदान में उतरे.

पप्पू यादव के साथ वोटर खड़े हैं लेकिन संतोष कुशवाहा भी मजबूत स्थिति में हैं. तेजस्वी यादव ने बीमा भारती को उम्मीदवार बनाया और पप्पू यादव के खिलाफ जिस तरह से बयान दिया उसका फायदा उन्हें हो सकता है.- डॉ संजय कुमार,वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक

संतोष कुशवाहा का पलड़ा भारी!: 2024 लोकसभा चुनाव में पूर्णिया में शुरू में त्रिकोणात्मक लड़ाई होती दिख रही थी. जेडीयू उम्मीदवार संतोष कुशवाहा, आरजेडी कैंडिडेट बीमा भारती और निर्दलीय प्रत्याशी पप्पू यादव के बीच लड़ाई होती दिख रही थी. लेकिन चुनाव खत्म होने के बाद की लड़ाई जदयू के संतोष कुशवाहा और निर्दलीय पप्पू यादव के बीच में होती दिख रही है.

पूर्णिया लोकसभा की आबादी: लोकसभा में कुल मतदाता की संख्या 18 लाख 90 हजार 5 सौ 97 मतदाता हैं, जिसमें महिला मतदाता 9 लाख 15 हजार 762 हैं और पुरूष मतदाता 9 लाख 74 हजार 762 हैं. थर्ड जेंडर 73 हैं.

क्या रहा वोटिंग प्रतिशत: 2024 लोकसभा चुनाव में पूर्णिया में 59.94 फीसदी मतदान हुआ है. जबकि साल 2019 में 65.37 फीसदी मतदान हुआ. पूर्णिया में त्रिकोणीय मुकाबला होने के बावजूद मतदान प्रतिशत 2019 के मुकाबले कम रहा. कम मतदान प्रतिशत से एनडीए, महागठबंधन और निर्दलीय प्रत्याशी पप्पू यादव के समर्थक टेंशन में हैं.

क्या कहते हैं जानकार: ज्यादातर सीटों पर एनडीए वर्सेज इंडिया गठबंधन का मुकाबला देखने को मिल रहा है. लेकिन पूर्णिया में पप्पू यादव ने मुकाबला काफी दिलचस्प बना दिया है. वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक डॉ संजय कुमार का कहना है कि शुरू में लड़ाई त्रिकोणात्मक होती दिख रही थी, लेकिन चुनावी सभा में अपने समर्थकों से यह अपील कि यदि बीमा भारती को वोट नहीं दे रहे हैं तो पप्पू यादव को भी वोट मत दीजिए.

पप्पू यादव करेंगे कमाल?: इसके बाद से ही पप्पू यादव का पलड़ा भारी होता दिखने लगा. पप्पू यादव शुरू से ही पूर्णिया से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे. उन्होंने प्रणाम पूर्णिया सलाम पूर्णिया कार्यक्रम भी चलाया था. अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय करने के बाद भी उनको टिकट नहीं मिला और अंत में वह निर्दलीय चुनाव लड़े.

आरजेडी का अति पिछड़ा कार्ड: पूर्णिया लोकसभा सीट पर लालू यादव ने अति पिछड़ा कार्ड खेला था, लेकिन इसमें आरजेडी सफल नहीं हुआ. जहां तक संतोष कुशवाहा की बात है संतोष कुशवाहा 2014 में भी मोदी लहर में पूर्णिया से चुनाव जीतने में कामयाब हुए थे. लगातार दो लोकसभा चुनाव से संतोष कुशवाहा वहां से चुनाव जीत रहे हैं.

इमोशनल कार्ड का होगा फायदा: हालांकि पप्पू यादव ने वहां से चुनाव लड़ने के दौरान इमोशनल कार्ड भी खेला और उनको अन्य जातियों का भी वोट मिलता हुआ दिखा. डॉ संजय कुमार का कहना है कि "पूर्णिया लोकसभा क्षेत्र में संतोष कुशवाहा का पलड़ा अभी भी भारी है. क्योंकि एनडीए का जो जाति समीकरण है वह संतोष कुशवाहा के साथ खड़ा रहा. यहां 51 और 49 प्रतिशत की लड़ाई है."

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