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पन्ना में गहरा सकता है जल संकट, लुप्त होने के कगार पर सैकड़ों साल पुराना झरना - Panna Waterfall Brink Of Extinction

पन्ना के रामनई गांव में सैकड़ों साल पुराना झरना लुप्त होने के कगार पर है. इसको लेकर 2 दर्जन से अधिक ग्रामीण मंगलवार को पन्ना कलेक्टर की जनसुनवाई में इसकी शिकायत की और इसकी संरक्षण की मांग की.

PANNA DISAPPEARING WATERFALL
लुप्त होने के कगार पर है पन्ना का सैकड़ों साल पुराना झरना (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jun 26, 2024, 4:34 PM IST

पन्ना। अजयगढ़ तहसील अंतर्गत रामनई गांव में स्थित प्राकृतिक झरना अवैध रेत उत्खनन होने के कारण लुप्त होने की कगार पर आ गया है. बताया जा रहा है कि यह झरना सैकड़ों वर्ष पुराना और ऐतिहासिक है. इसकी संरक्षण के लिए मंगलवार को रामनई के 2 दर्जन ग्रामीणों ने पन्ना कलेक्टर की जनसुनवाई में इसकी शिकायत की और रेत उत्खनन पर रोक लगाने की मांग की है.

झरना से रेत उत्खनन को रोकने के लिए ग्रामीणों ने किया शिकायत (ETV Bharat)

झरना से होती है पेयजल की आपूर्ति

ग्रामीण बताते हैं कि रामनई में स्थित प्राकृतिक झरना सैकड़ों साल पुराना है और पूर्वज भी बताते हैं कि यहां पर निरंतर पानी निकलता रहता है. इस झरने की प्रसिद्धी चारों ओर विख्यात है, यहां पर देवीय स्थान भी है जो लोगों की आस्था का केंद्र है. इसी झरने से पूरे गांव के लोग अपनी पेयजल पूर्ति और कृषि कार्य के लिए पानी का उपयोग करते है. वहीं, झरने के पास प्रतिवर्ष मेले का भी आयोजन होता है.

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रोक के बावजूद नर्मदा नदी से रेत का अवैध खनन जारी, माफियाओं ने बना दिए रेत के ऊंचे-ऊंचे पहाड़

विदिशा में अवैध रूप से ईंट-भट्ठा का कारोबार जोरों पर, शासकीय भूमि से मिट्टी व पेड़ों की कटाई

लुप्त होने के कगार पर है झरना

मंगलवार को रामनई के सैकड़ों ग्रामीण लुप्त हो रहे झरना की शिकायत लेकर पन्ना कलेक्टर की जनसुनवाई में पहुंचे. ग्रामीणों ने बताया कि झरना से रेत का उत्खनन धड़ल्ले से किया जा रहा है, जिससे झरना लुप्त होने की कगार पर आ गया है. लोगों ने बताया कि इससे पहले इसकी शिकायत अजयगढ़ तहसीलदार और चौकी प्रभारी से की गई थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. ग्रामीणों ने लिखित शिकायत में बताया कि गांव में जल आपूर्ति के लिए झरना के अलावा कोई तालाब और बावड़ी आदि नहीं है. यदि झरना बंद हो जाता है तो गांव में जल की संकट गहरा जाएगा, इसलिए प्रशासन को हस्तक्षेप करते हुए रेत उत्खनन रोकना होगा.

पन्ना। अजयगढ़ तहसील अंतर्गत रामनई गांव में स्थित प्राकृतिक झरना अवैध रेत उत्खनन होने के कारण लुप्त होने की कगार पर आ गया है. बताया जा रहा है कि यह झरना सैकड़ों वर्ष पुराना और ऐतिहासिक है. इसकी संरक्षण के लिए मंगलवार को रामनई के 2 दर्जन ग्रामीणों ने पन्ना कलेक्टर की जनसुनवाई में इसकी शिकायत की और रेत उत्खनन पर रोक लगाने की मांग की है.

झरना से रेत उत्खनन को रोकने के लिए ग्रामीणों ने किया शिकायत (ETV Bharat)

झरना से होती है पेयजल की आपूर्ति

ग्रामीण बताते हैं कि रामनई में स्थित प्राकृतिक झरना सैकड़ों साल पुराना है और पूर्वज भी बताते हैं कि यहां पर निरंतर पानी निकलता रहता है. इस झरने की प्रसिद्धी चारों ओर विख्यात है, यहां पर देवीय स्थान भी है जो लोगों की आस्था का केंद्र है. इसी झरने से पूरे गांव के लोग अपनी पेयजल पूर्ति और कृषि कार्य के लिए पानी का उपयोग करते है. वहीं, झरने के पास प्रतिवर्ष मेले का भी आयोजन होता है.

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लुप्त होने के कगार पर है झरना

मंगलवार को रामनई के सैकड़ों ग्रामीण लुप्त हो रहे झरना की शिकायत लेकर पन्ना कलेक्टर की जनसुनवाई में पहुंचे. ग्रामीणों ने बताया कि झरना से रेत का उत्खनन धड़ल्ले से किया जा रहा है, जिससे झरना लुप्त होने की कगार पर आ गया है. लोगों ने बताया कि इससे पहले इसकी शिकायत अजयगढ़ तहसीलदार और चौकी प्रभारी से की गई थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. ग्रामीणों ने लिखित शिकायत में बताया कि गांव में जल आपूर्ति के लिए झरना के अलावा कोई तालाब और बावड़ी आदि नहीं है. यदि झरना बंद हो जाता है तो गांव में जल की संकट गहरा जाएगा, इसलिए प्रशासन को हस्तक्षेप करते हुए रेत उत्खनन रोकना होगा.

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