छिन्दवाड़ा : अपनी टाइगर सफारी के लिए मशहूर पेंच टाइगर रिजर्व में एक बाघ का शव मिला है. पेंच टाईगर रिजर्व के उपसंचालक रजनीश कुमार सिंह ने बताया कि सोमवार सुबह पेंच टाइगर रिजर्व के कुरई परिक्षेत्र अंतर्गत पश्चिम खामरीट बीट में गश्ती दल को तेज दुर्गंध आ रही थी. इसके बाद सर्च ऑपरेशन शुरू किया गया तो लगभग 20-25 मीटर दूर एक बाघ का शव मिला. शव लगभग दो-तीन पुराना प्रतीत हो रहा था, जिसके बाद गश्ती दल ने वरिष्ठ अधिकारियों को सूचना दी.
शिकार नहीं, आपसी संघर्ष में मौत
मृत बाघ के शव के आसपास मिट्टी में खून के बहने के चिन्ह दिख रहे थे. किसी भी तरह से शिकार की संभावना को ध्यान रखते हुए डॉग स्क्वाड की मदद से क्षेत्र में सर्च ऑपरेशन चलाया गया, लेकिन डॉग केवल शव व उसके आसपास ही घूमता रहा. घटनास्थल के पास न ही कोई विद्युत लाइन थी न ही पानी को स्त्रोत में कई जहर, जिसके बाद टीम को यह समझ आ गया कि यह आपसी संघर्ष में मौत का मामला है. लेकिन इसकी पुष्टि के लिए टाइगर की बॉडी पोस्टमॉर्टम के लिए भेजी गई.
बाघ के पोस्टमॉर्टम में सामने आई ये बातें
एनटीसीए के प्रोटोकॉल के अनुसार एनटीसीए द्वारा नामित विशेषज्ञ की उपस्थिति में दो वन्यजीव चिकित्सकों द्वारा बाघ का पोस्टमॉर्टम किया गया. डॉक्टरों के दल ने शव परीक्षण के दौरान पाया कि बाघ की उम्र लगभग 3 से 4 साल थी. वहीं उसके गले व शरीर में दो-तीन अन्य जगहों पर अन्य बाघ के केनाइन द्वारा किए गए पंचर मार्क मिले. इन्हीं गहरे घावों के कारण अत्यधिक खून बहने से बाघ की मौत हो गई. बाघ के शरीर के समस्त नाखून, मूंछ के बाल, केनाईन दांत, शरीर के साथ सुरक्षित पाए गए, जिसके बाद प्रोटोकॉल के अनुसार अधिकारियों व कर्मचारियों के सामने बाघ के शव की अंतिम क्रिया की गई.
वर्चस्व की लड़ाई में हो रहीं टाइगर्स की मौतें
वन्य प्राणी विशेषज्ञ और पेंच टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर रजनीश कुमार सिंह ने कहा, '' पेंच टाइगर रिजर्व में लगातार बाघों की संख्या बढ़ रही है और कोई भी बाघ अपना एक इलाका बना लेता है. फिर उसके इलाके में अगर कोई दूसरा बाघ इंटरफेयर करता है तो इसी को लेकर दोनों में वर्चस्व की लड़ाई होती है. इस लड़ाई के कारण ही कई बार बाघ की मौत हो जाती है. इस मामले में भी ऐसा ही दिखाई दे रहा है क्योंकि दूसरे बाघ के दांतों के निशान मारे गए बाघ में पाए गए हैं हो सकता है बाघों में वर्चस्व के लिए लड़ाई हुई हो.''