बस्तर: दक्षिण छत्तीसगढ़ में बस्तर के घने जंगल वन्यप्राणियों के लिये काफी अनुकूल है. बस्तर के घने जंगलों में कई दुर्लभ और विलुप्त वन्यप्राणी पाए जाते हैं. लेकिन दुख की बात ये भी है कि इन वन्यप्राणियों की तस्करी भी बड़े पैमाने पर होती है. रविवार को पैंगोलिन की तस्करी का मामला सामने आया. हालांकि वन विभाग के कर्मचारियों और अधिकारियों ने पेंगोलिन को तस्करों के चंगुल से बचा लिया.
पेंगोलिन की तस्करी की सूचना पर कार्रवाई: पेंगोलिन की तस्करी का खुलासा करते हुए बस्तर वनमंडल अधिकारी उत्तम कुमार गुप्ता ने बताया कि मुखबिर से उन्हें बस्तर और ओडिशा के सीमावर्ती इलाके में पेंगोलिन की तस्करी की सूचना मिली. सूचना पर वन परिक्षेत्र अधिकारी सौरभ रजक व अन्य अधिकारियों की एक संयुक्त टीम तैयार की गई. टीम को कार्रवाई के लिए कोलावल क्षेत्र में रवाना किया गया.
पेंगोलिन तस्करी के चार आरोपी पकड़ाएं: उत्तम कुमार गुप्ता ने आगे बताया कि टीम ने करपावंड और कोलावल मार्ग में घेराबंदी करके 2 मोटरसाइकिल में सवार 4 संदिग्धों को धर दबोचा. जिन्होंने जूट के एक थैले में जीवित वन्यजीव पेंगोलिन रखा हुआ था. कर्मचारियों ने जूट बैग से तुरंत पेंगोलिन को बाहर निकाला और अपने कब्जे में लिया. सभी तस्करों को पकड़कर करपावंड वन परिक्षेत्र कार्यालय में लाया गया.पेंगोलिन को छत्तीसगढ़ में बेचने की फिराक में ग्राहक की तलाश कर रहे थे. सभी के खिलाफ वन अधिनियम 1972 और वन्यप्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 के विभिन्न धाराओं के तहत अपराध प्रकरण कर वैधानिक कार्रवाई की जा रही है.
पेंगोलिन तस्करी की इस कार्रवाई में SDO देवलाल दुग्गा, SDO योगेश कुमार रात्रे, रेंज ऑफिसर सौरभ रजक, रेंज ऑफिसर सूर्यप्रकाश ध्रुव, रेंज ऑफिसर प्रकाश ठाकुर, रेंज ऑफिसर देवेंद्र यादव, जयराज पात्र, श्रीधर स्नेही, बनसिंह कर्मा, सुखपाल यादव, कमलू देवा, तुलेश बघेल, मंगल कश्यप, रघुनाथ नाग, सोनाधर मौर्य, कमलोचन बघेल शामिल रहे.