पलामूः बाघ अपने कॉरिडोर को एक्टिव कर रहे हैं, साथ ही अपनी टेरिटरी को बढ़ा रहे हैं. बाघों का मूवमेंट सेंट्रल इंडिया से ईस्टर्न इंडिया की तरफ बढ़ा है. मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ से निकलकर बाग ओडिशा के सिमलीपाल तक जा रहे हैं. वहीं बाग झारखंड के ऐसे इलाके में दाखिल हो रहे हैं जहां कई दशकों से बाघ को नहीं देखा गया था.
बाघों के इस मूवमेंट में पलामू टाइगर रिजर्व उनके लिए एक अहम पड़ाव बन गया है. पीटीआर इलाके में पिछले दो वर्षों में चार बाघ और एक बाघिन के मूवमेंट को रिकॉर्ड किया गया है. पिछले 10 वर्षों में यह पहली बार है कि इतनी संख्या में बाघों के मूवमेंट को दर्ज किया गया है.
वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट का सर्वे, सेंट्रल एवं ईस्टर्न घाट पर नजर
वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के द्वारा बाघों के कॉरिडोर का सर्वे किया है. सर्वे का रिपोर्ट अक्टूबर में जारी किया जाएगा. वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट की टीम सेंट्रल लैंडस्कैप एवं ईस्टर्न घाट कॉरिडोर के तहत आने वाले सभी टाइगर रिजर्व के आपस में जोड़ने वाले कॉरिडोर पर एक रिपोर्ट तैयार किया है. सेंट्रल लैंडस्कैप के तहत महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के टाइगर रिजर्व आते हैं. मध्य प्रदेश में 785 जबकि महाराष्ट्र में 444 बाघ हैं. मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व और उससे जुड़े हुए अन्य टाइगर कॉरिडोर में 170 के करीब बाघ हैं.
बाघ क्यों बढ़ाना चाहते हैं अपनी टेरिटरी, पुराना कॉरिडोर हुआ है एक्टिव
पलामू टाइगर रिजर्व के उपनिदेशक प्रजेशकांत जेना बताते है सेंट्रल इंडिया के इलाके में बाघों की संख्या अधिक है. एक बाघ 5 से 10 स्क्वायर किलोमीटर के एरिया को अपना लैंडस्कैप मानता है. उनकी संख्या बढ़ने के बाद बाघ नयी टेरिटरी की तलाश कर रहे हैं, वहीं वे अपने पुराने कॉरिडोर को एक्टिव कर रहे है. उन्होंने बताया कि बाघों का मूवमेंट झारखंड से होते हुए ओडिशा के सिमलीपाल तक रिकॉर्ड किया गया है. वहीं झारखंड के हजारीबाग समेत कई इलाकों में भी बाघ देखे गए हैं जो उनका पुराना कॉरिडोर है. पूर्वी घाट कॉरिडोर में बड़ी संख्या में बाघ अपनी टेरिटरी बना सकते हैं. उन्होंने बताया कि पलामू टाइगर रिजर्व कॉरिडोर बाघों का एक अहम हिस्सा है. इस कॉरिडोर को कैसे सुरक्षित बनाया जाए, इस पर कार्य चल रहा है. कॉरिडोर पर जारी सर्वे रिपोर्ट के बाद कई कदम उठाए जाएंगे.
बाघों की ब्रीडिंग के लिए महत्वपूर्ण है टेरिटरी
पीटीआर के उपनिदेशक प्रजेशकांत जेना ने बताया कि बाघों की ब्रीडिंग के लिए टेरिटरी महत्वपूर्ण है. एक ही इलाके के बागों के साथ ब्रीडिंग होने के कारण यह कमजोर होते जाते हैं. बाघ अगर टेरिटरी बदलते हैं तो उनकी ब्रीडिंग मजबूत होगी. पलामू टाइगर रिजर्व और मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के बीच करीब 322 किलोमीटर का कॉरिडोर है. इस कॉरिडोर के बीच छत्तीसगढ़ के दो अन्य टाइगर रिजर्व संजय डुबरी एवं गुरु घासी मौजूद है. इस कॉरिडोर पर सर्वे का कार्य पूरा होने के बाद ओडिशा के सिमलीपाल तक मौजूद कॉरिडोर पर सर्वे का कार्य पूरा हुआ है.
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