मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर : धार्मिक आस्था की अद्भुत मिसाल भारत, जो सदियों से ऋषि-मुनियों और तपस्वियों की भूमि रहा है. वहां धार्मिक आस्था और समर्पण की परंपरा आज भी जीवित है. इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए उत्तर प्रदेश के रहने वाले 21 वर्षीय युवा ऋषभ ठाकुर ने नंगे पांव पदयात्रा कर रहे हैं. ऋषभ ठाकुर ने 7 साल की उम्र से लड्डू गोपाल को अपना सहयात्री बनाकर देशभर के धार्मिक स्थलों की यात्रा शुरू की थी.
अब कहां-कहां की है पदयात्रा : ऋषभ ठाकुर अपनी पदयात्रा करते हुए छत्तीसगढ़ के मनेंद्रगढ़ पहुंचे. जहां से वे रतनपुर स्थित मां महामाया के दर्शन के लिए निकले. उनकी यात्रा का उद्देश्य केवल धर्मस्थलों के दर्शन करना नहीं है, बल्कि हिंदुओं को एकजुट करना और उनके भीतर जागरूकता लाना है. ऋषभ ठाकुर ने अब तक चौदह वर्षों में बारह ज्योतिर्लिंग, सैंतीस शक्तिपीठ, चार धाम, उज्जैन से खाटू श्याम की चार पदयात्राएं और एक दंडवत यात्रा पूरी की है.
अब तक तीन लाख सैंतालीस हजार आठ सौ पंचानवे किलोमीटर की पदयात्रा कर चुका हूं. नेपाल और कैलाश मानसरोवर की आगामी यात्रा नेपाल के पशुपतिनाथ होते हुए कैलाश मानसरोवर में समाप्त होगी. मेरी यात्रा वृंदावन से शुरू हुई थी, जब लड्डू गोपाल ने स्वप्न में आकर इस पवित्र कार्य के लिए प्रेरित किया. तब से लड्डू गोपाल स्थायी साथी हैं -ऋषभ ठाकुर, पदयात्री
पंडित धीरेंद्र शास्त्री की तारीफ की : ऋषभ ने पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री के कार्यों की प्रशंसा करते हुए कहा कि वे हिंदुओं को एकजुट करने का अत्यंत महत्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं. उनका मानना है कि यदि सभी हिंदू एकजुट हो जाएं, तो कोई भी देश भारत को कमजोर नहीं कर सकता. बांग्लादेश तक की यात्रा कर चुके ऋषभ ने कहा कि भारत तभी सुरक्षित रह सकता है, जब सभी हिंदू एकजुट हो. उन्होंने गौमाता को राष्ट्रीय दर्जा देने की भी अपील की. ऋषभ ठाकुर की पदयात्रा धार्मिक आस्था और समर्पण की एक अनूठी मिसाल है. उनका प्रयास ना केवल हिंदू समुदाय को जागरूक करने में सहायक हैं, बल्कि युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत भी हैं.