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हसदेव अरण्य को बचाने के लिए पदयात्रा का सहारा, लोगों से मांगा जा रहा है समर्थन

Hasdev Aranya हसदेव अरण्य को बचाने के लिए आदिवासियों का विरोध प्रदर्शन जारी है. 26 जनवरी के दिन से आदिवासियों ने हसदेव अरण्य में कटाई के खिलाफ पदयात्रा निकाली है.जिसके सहारे आदिवासी आंदोलन में लोगों का समर्थन मांग रहे हैं.Padyatra To Save Hasdev Aranya

Hasdev Aranya
हसदेव अरण्य को बचाने के लिए पदयात्रा का सहारा
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Feb 5, 2024, 7:48 PM IST

हसदेव अरण्य को बचाने के लिए पदयात्रा का सहारा

सूरजपुर : हसदेव अरण्य में लगातार हो रहे जंगल कटाई के खिलाफ आंदोलन जारी है. आदिवासी जंगल कटाई के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं.जंगल को बचाने के लिए आंदोलनकारी अलग-अलग तरीके से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.इसी कड़ी में 26 जनवरी गणतंत्र दिवस के दिन आदिवासियों ने हसदेव अरण्य बचाने के लिए पदयात्रा की शुरुआत की. यह पदयात्रा पूरे सरगुजा संभाग का भ्रमण कर लोगों को इस आंदोलन से जोड़ेगी.

कहां है हसदेव अरण्य ? : हसदेव अरण्य का क्षेत्रफल सरगुजा के तीन जिलों तक फैला है.जिसमें सूरजपुर,अंबिकापुर और कोरबा जिला का क्षेत्र आता है. यहां भारत सरकार ने कोयला उत्खनन के लिए खदान खोलने का फैसला किया है. लेकिन यहां रहने वाले आदिवासी जंगल की कटाई का कई सालों से विरोध कर रहे है. जिसको लेकर राष्ट्रीय स्तर पर भी कई आंदोलन हो चुके हैं. साथ ही इलाका पांचवीं अनुसूची में आने की वजह से इस क्षेत्र में खनन करने के लिए ग्राम सभा की मंजूरी लेना जरूरी है.बिना अनुमति के ही जंगलों की कटाई की जा रही है.

हाथियों का कॉरिडोर : कोल के लिए जिस जंगल को उजाड़ा जा रहा है.वहां हाथियों का कॉरिडोर भी है. जंगली हाथियों की पूरी जरूरतें इसी जंगल पर निर्भर है.हाथियों के लिए जंगल सीमित है.वहीं आए दिन मानव और हाथी द्वंद की खबरें सामने आती है.ऐसे में यदि उनका रहने का क्षेत्र उजाड़ा गया तो हाथी और मानवों के बीच द्वंद चरम पर पहुंच जाएगा.

आदिवासियों के विरोध को कांग्रेस का साथ : आपको बता दें कि कांग्रेस सरकार के समय शुरु हुआ आंदोलन आज भी जारी है.लेकिन फर्क इतना है कि पहले बीजेपी जंगल काटने का विरोध कर रही थी.वहीं अब कांग्रेस के सुर बदल गए हैं.हसदेव आंदोलन को कांग्रेस का समर्थन मिलने के बाद से इस आंदोलन को जोर मिल रहा है.

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सूरजपुर : हसदेव अरण्य में लगातार हो रहे जंगल कटाई के खिलाफ आंदोलन जारी है. आदिवासी जंगल कटाई के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं.जंगल को बचाने के लिए आंदोलनकारी अलग-अलग तरीके से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.इसी कड़ी में 26 जनवरी गणतंत्र दिवस के दिन आदिवासियों ने हसदेव अरण्य बचाने के लिए पदयात्रा की शुरुआत की. यह पदयात्रा पूरे सरगुजा संभाग का भ्रमण कर लोगों को इस आंदोलन से जोड़ेगी.

कहां है हसदेव अरण्य ? : हसदेव अरण्य का क्षेत्रफल सरगुजा के तीन जिलों तक फैला है.जिसमें सूरजपुर,अंबिकापुर और कोरबा जिला का क्षेत्र आता है. यहां भारत सरकार ने कोयला उत्खनन के लिए खदान खोलने का फैसला किया है. लेकिन यहां रहने वाले आदिवासी जंगल की कटाई का कई सालों से विरोध कर रहे है. जिसको लेकर राष्ट्रीय स्तर पर भी कई आंदोलन हो चुके हैं. साथ ही इलाका पांचवीं अनुसूची में आने की वजह से इस क्षेत्र में खनन करने के लिए ग्राम सभा की मंजूरी लेना जरूरी है.बिना अनुमति के ही जंगलों की कटाई की जा रही है.

हाथियों का कॉरिडोर : कोल के लिए जिस जंगल को उजाड़ा जा रहा है.वहां हाथियों का कॉरिडोर भी है. जंगली हाथियों की पूरी जरूरतें इसी जंगल पर निर्भर है.हाथियों के लिए जंगल सीमित है.वहीं आए दिन मानव और हाथी द्वंद की खबरें सामने आती है.ऐसे में यदि उनका रहने का क्षेत्र उजाड़ा गया तो हाथी और मानवों के बीच द्वंद चरम पर पहुंच जाएगा.

आदिवासियों के विरोध को कांग्रेस का साथ : आपको बता दें कि कांग्रेस सरकार के समय शुरु हुआ आंदोलन आज भी जारी है.लेकिन फर्क इतना है कि पहले बीजेपी जंगल काटने का विरोध कर रही थी.वहीं अब कांग्रेस के सुर बदल गए हैं.हसदेव आंदोलन को कांग्रेस का समर्थन मिलने के बाद से इस आंदोलन को जोर मिल रहा है.

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