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दौसा में चारागाह भूमि पर अतिक्रमण को लेकर तहसीलदार को हाजिर होने के आदेश - Encroachment On Pasture Land Case - ENCROACHMENT ON PASTURE LAND CASE

दौसा जिले की ग्राम पंचायत लोटवाडा की चारागाह भूमि पर अतिक्रमण से जुड़े मामले में राजस्थान हाईकोर्ट ने बैजूपाडा तहसीलदार को हाजिर होने का आदेश दिया है.

Rajasthan High Court
राजस्थान हाईकोर्ट (ETV Bharat Jaipur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Sep 13, 2024, 8:31 PM IST

जयपुर: राजस्थान हाईकोर्ट ने दौसा जिले की ग्राम पंचायत लोटवाडा की चारागाह भूमि पर अतिक्रमण से जुड़े मामले में बैजूपाडा तहसीलदार को रिपोर्ट पेश नहीं करने पर आगामी सुनवाई पर व्यक्तिगत रूप से हाजिर होने को कहा है. सीजे एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस आशुतोष कुमार की खंडपीठ ने यह आदेश कैलाश चंद की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए. अदालत ने कहा कि भले ही केस से जुड़े सरकारी वकील बदल गए हों, लेकिन अदालत को आदेश की पालना से मतलब है.

याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता प्रेमचंद देवंदा ने अदालत को बताया कि लोटवाडा की करीब पांच बीघा से अधिक चारागाह भूमि पर प्रभावशाली लोगों ने अतिक्रमण कर दुकानें निर्मित कर ली हैं. जबकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश को राजस्व विभाग के परिपत्रों के अनुसार चारागाह भूमि को अन्य किसी उपयोग में नहीं लिया जा सकता. स्थानीय लोगों ने कलेक्टर सहित अन्य संबंधित अधिकारियों को इस संबंध में शिकायत दी, लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई.

पढ़ें: Rajasthan Highcourt : चारागाह भूमि आवंटन मामले में कलेक्टर सहित अधिकारियों को नोटिस जारी

याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को यह भी बताया गया कि वर्ष 2021 में तहसीलदार ने भू-राजस्व अधिनियम की धारा 91 के तहत अतिक्रमियों के बेदखली के आदेश दिए थे, लेकिन अब तक अतिक्रमण नहीं हटाया गया. हाईकोर्ट ने गत पांच अगस्त को तहसीलदार को चार सप्ताह में अतिक्रमण को लेकर रिपोर्ट पेश करने को कहा था, लेकिन अब तक रिपोर्ट भी पेश नहीं की गई. वहीं अब बताया जा रहा है कि सरकारी वकील के स्थान पर अतिरिक्त महाधिवक्ता प्रकरण में पैरवी करेंगे. इस पर अदालत ने अदालती आदेश की पालना करने के निर्देश देते हुए रिपोर्ट पेश नहीं करने पर तहसीलदार को पेश होने को कहा है.

जयपुर: राजस्थान हाईकोर्ट ने दौसा जिले की ग्राम पंचायत लोटवाडा की चारागाह भूमि पर अतिक्रमण से जुड़े मामले में बैजूपाडा तहसीलदार को रिपोर्ट पेश नहीं करने पर आगामी सुनवाई पर व्यक्तिगत रूप से हाजिर होने को कहा है. सीजे एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस आशुतोष कुमार की खंडपीठ ने यह आदेश कैलाश चंद की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए. अदालत ने कहा कि भले ही केस से जुड़े सरकारी वकील बदल गए हों, लेकिन अदालत को आदेश की पालना से मतलब है.

याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता प्रेमचंद देवंदा ने अदालत को बताया कि लोटवाडा की करीब पांच बीघा से अधिक चारागाह भूमि पर प्रभावशाली लोगों ने अतिक्रमण कर दुकानें निर्मित कर ली हैं. जबकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश को राजस्व विभाग के परिपत्रों के अनुसार चारागाह भूमि को अन्य किसी उपयोग में नहीं लिया जा सकता. स्थानीय लोगों ने कलेक्टर सहित अन्य संबंधित अधिकारियों को इस संबंध में शिकायत दी, लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई.

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याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को यह भी बताया गया कि वर्ष 2021 में तहसीलदार ने भू-राजस्व अधिनियम की धारा 91 के तहत अतिक्रमियों के बेदखली के आदेश दिए थे, लेकिन अब तक अतिक्रमण नहीं हटाया गया. हाईकोर्ट ने गत पांच अगस्त को तहसीलदार को चार सप्ताह में अतिक्रमण को लेकर रिपोर्ट पेश करने को कहा था, लेकिन अब तक रिपोर्ट भी पेश नहीं की गई. वहीं अब बताया जा रहा है कि सरकारी वकील के स्थान पर अतिरिक्त महाधिवक्ता प्रकरण में पैरवी करेंगे. इस पर अदालत ने अदालती आदेश की पालना करने के निर्देश देते हुए रिपोर्ट पेश नहीं करने पर तहसीलदार को पेश होने को कहा है.

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