कुचामनसिटी: कुचामन शहरों के लोगों को जल्द एक नया टैक्स अदा करना पड़ेगा. जी हां, आगामी 1 अगस्त से कुचामन नगर परिषद क्षेत्र में घर-घर कचरा संग्रहण योजना प्रतावित है. जिसके मुताबिक निजी कंपनी को ठेका दिया गया है. इसके तहत कार्मिक घर-घर से कचरा संग्रहित करेंगे. इसके बदले शहरवासियों को एक निश्चित राशि प्रति माह चुकानी होगी. लागू होने से पहले ही नगर परिषद की घर-घर कचरा संग्रहण योजना का विरोध शुरू हो गया है. योजना के विरोध में मंगलवार को उपसभापति हेमराज चावला के नेतृत्व में नगर परिषद क्षेत्र के पार्षदों ने सभापति आसिफ खान के साथ नगर परिषद आयुक्त पिंटू लाल जाट को ज्ञापन सौंपकर इस योजना को निलंबित किए जाने की मांग की.
इससे पहले नगर परिषद सभागार में पार्षदों की एक बैठक आयोजित की गई. जिसमें सभापति आसिफ खान और उप सभापति हेमराज चावला भी मौजूद रहे. बैठक में उपस्थित सभी लोगों ने घर-घर कचरा संग्रहण योजना का घोर विरोध जताते हुए इसे आम जनता के लिए एक नया टैक्स बताया. उप सभापति हेमराज चावला ने बताया कि अब तक कुचामन कस्बे में सफाई कार्य स्थायी सफाईकर्मी एवं करोड़ों रुपए के निविदाकारी एक निजि फर्म दोनों मिलकर कर रहे हैं. इसके बावजूद उपरान्त 'घर-घर कचरा संग्रहण योजना' के नाम पर 7 करोड़ रुपए का एक और सफाई ठेका किसी निजि फर्म को दिया गया है.
नये ठेके में प्रत्येक अमीर-गरीब के मकानों, हॉस्टलों, हर प्रकार की दुकानों, क्लिनिकों, अस्पतालों, कॉम्प्लेक्सों, कोचिंगों, डिफेंसों, विवाह स्थलों, स्कूलों, कॉलेजों, हाथ ठेलों, थड़ियों इत्यादि पर ठेकेदार अपनी दर पर 'सफाई सुविधा शुल्क' वसूल कर आमजन के जेब काटने की तैयारी है. उन्होंने बताया कि पहले से ही नगर परिषद स्तर पर एवं 3.5 करोड़ की निविदा से एक निजि फर्म द्वारा सफाई कार्य किया जा रहा है. इसके बावजूद सफाई कार्य का 7 करोड़ रुपए का एक और ठेका निजि फर्म वी वॉइस कम्पनी को दिया गया है. इस तरह क्षेत्रीय आमजन पर आर्थिक बोझ डालना गैर-जरूरी है.
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सभापति आसिफ खान ने बताया की नगर परिषद बोर्ड व जनप्रतिनिधियों के ध्यान में लाए बिना ही अधिकारियों/बड़े जिम्मेदारों की आपसी जुगलबन्दी से अपने अदृश्य हितों के वशीभूत विधित प्रक्रिया की अवहेलना कर गत लोकसभा चुनाव की आचार संहिता व सरकारी छुट्टियों की आड़ में एक वर्ष की बजाय 3 वर्ष का सफाई कार्य का एक नया ठेका अपनी मनचाही फर्म को दिया गया है, जो संदेहास्पद है. उन्होंने बताया कि जब पहले से ही क्षेत्रीय आमजन गृह कर सहित कोई ना कोई टैक्स सरकार को अदा करते आ रहे हैं, तो ऐसे में सफाई सुविधा शुल्क टैक्स के रूप में नया टैक्स अमान्य है. यदि यह योजना जनहितकारी होती तो, प्रदेश की 257 शहरी निकायों में से मात्र 7-8 में ही क्यों संचालित की जा रही है. इस दौरान उपसभापति हेमराज चावल और पार्षदों ने नगर परिषद प्रशासन को चेतावनी दी कि अगर घर-घर संग्रहण योजना निलंबित नहीं की जाती है, तो शहर में जन आंदोलन किया जाएगा.