जयपुर : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यक्रमों में सरकारी कर्मचारियों के जाने पर लगी रोक को हटाने के मामले में अब राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है. नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कहा है कि केंद्र सरकार कर्मचारियों का राजनीतिकरण करना चाह रही है, यह गलत है.
विधानसभा के बाहर मीडिया से बातचीत में नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कहा कि आरएसएस और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबंधों में खटास आई है. लोकसभा चुनाव के दौरान जिस तरह से भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का बयान संघ के खिलाफ आया था, उसके बाद अब लग रहा है कि कोई पैचअप (समझौता) करवाने की तैयारी है.
पढे़ं. हिंदू की कथनी-करनी के भेद को खत्म करना होगा : RSS प्रचारक निंबाराम
सरदार पटेल ने भी लगाया था बैन : टीकाराम जूली ने कहा कि 1948 में सरदार वल्लभ भाई पटेल ने राष्ट्रीय स्वयसेवक संघ पर प्रतिबंध लगाया था. इसके बाद इन्होंने अच्छे आचरण का वादा किया तो आरएसएस पर लगा प्रतिबंध हटाया गया था. सरकारी कर्मचारियों के आरएसएस के कार्यक्रमों में जाने पर 1966 में रोक लगाई गई थी. इसके बाद केंद्र में भाजपा की सरकार भी रही. अटल बिहारी वाजपेयी भी प्रधानमंत्री रहे और दस साल से केंद्र में भाजपा की सरकार है और नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री हैं. अब ये लोग सिनेरियो बदलना चाहते हैं.
सरकारी कर्मचारियों को ऐसे संगठनों से रखें दूर : उन्होंने कहा कि राजनीतिक पार्टियों में ऐसे संगठनों की भागीदारी होती है. ऐसे संगठनों से सरकारी कर्मचारियों को दूर रखना चाहिए. यह (सरकारी कर्मचारी) वह तबका है जो संविधान सम्मत इस देश को चलाने का काम करता है. सरकार आती-जाती रहती है, लेकिन नियम कानून जिस प्रकार से देश के संविधान के अनुरूप बने हैं. सरकारी कर्मचारियों को यह जो राजनीतिकरण करना चाह रहे हैं. वह गलत है.