जयपुर. राजस्थान में भर्ती परीक्षाओं के पेपर लीक और डमी अभ्यर्थी बैठाकर परीक्षा पास करवाने की धांधली के बाद अब फर्जी डिग्री से नौकरी हथियाने के खेल का एसओजी ने पर्दाफाश किया है. चार दलालों की गिरफ्तारी के बाद एसओजी ने गहराई से जांच की तो इसकी आंच ओपीजेएस यूनिवर्सिटी के संस्थापक जोगेंद्र सिंह, पहले इसी यूनिवर्सिटी से जुड़े जितेंद्र यादव और ओपीजेएस यूनिवर्सिटी की रजिस्ट्रार रही सरिता कड़वासरा तक पहुंची. इन तीनों की गिरफ्तारी के बाद अब एसओजी इस गिरोह से जुड़े दलालों के बड़े नेटवर्क पर शिकंजा कसने में जुटी है. साथ ही फर्जी डिग्री से नौकरी हथियाने वाले अभ्यर्थियों पर भी नकेल कसने की तैयारी है.
एसओजी की जांच में सामने आया है कि रोहतक (हरियाणा) का रहने वाला जोगेंद्र सिंह साल 2013 से पहले मेरठ की एक निजी यूनिवर्सिटी में काम करता था. वहां भी फर्जी डिग्री बेचने के घोटाले में शामिल रहा. इसके बाद उसे मेरठ, दिल्ली और भिवानी पुलिस ने गिरफ्तार भी किया था. हालांकि, बाद में जमानत पर छूटने पर उसने चूरू के राजगढ़ में ओपीजेएस यूनिवर्सिटी शुरू की, जहां से 9 साल में 1300 से ज्यादा फर्जी डिग्रियां बेचकर करीब 26 करोड़ रुपए बटोरे. अब वो बारां में एक और यूनिवर्सिटी खोलने की तैयारी में था.
फर्जी डिग्री मामले में एसओजी की गिरफ्त में आया दूसरा आरोपी जितेंद्र सिंह भी पहले ओपीजेएस यूनिवर्सिटी से जुड़ा था. बाद में उसने अलवर में पार्टनरशिप में सनराइज यूनिवर्सिटी और गुजरात के पाटन में एमके यूनिवर्सिटी शुरू की. अब वो बूंदी में जीत यूनिवर्सिटी शुरू करने वाला था. इसी मामले में पकड़ी गई सरिता कड़वासरा भी ओपीजेएस यूनिवर्सिटी की रजिस्ट्रार रह चुकी है. इस यूनिवर्सिटी का हिसाब-किताब भी वही संभालती है.
फर्जी डिग्री से नौकरी हथियाने वालों की खैर नहीं : एसओजी की पड़ताल में सामने आया है कि अकेली पीटीआई भर्ती परीक्षा 2022 में ओपीजेएस यूनिवर्सिटी की डिग्री वाले 80 से ज्यादा अभ्यर्थियों का चयन हुआ है. इनकी जानकारी संबंधित विभाग को दी गई है. इसके अलावा भी कई अन्य भर्तियों में फर्जी डिग्री से नौकरी हासिल करने वालों पर एसओजी शिकंजा कसने की तैयारी में है.