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उत्तराखंड के लोकपर्व फूलदेई पर सीएम आवास की देहरी में बच्चों ने डाले फूल, श्रीनगर में निकली शोभा यात्रा

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Mar 14, 2024, 10:07 AM IST

Updated : Mar 14, 2024, 2:52 PM IST

Shobha Yatra on Phool Dei in Srinagar, Phool Dei Festival आज उत्तराखंड का लोकपर्व फूलदेई है. आज बच्चों ने अपने गांव देहात और शहरों में अपने और पड़ोसियों के घरों की देहलियों पर फूल बरसाकर सुख, समृद्धि और सफलता की कामना की. इस मौके पर बच्चों ने देहरादून में सीएम आवास की देहरी पर फूल डाले. सीएम ने प्रदेशवासियों को फूलदेई की शुभकामनाएं दीं. उधर श्रीनगर में शोभा यात्रा निकाली गई. आइए हम आपको बताते हैं उत्तराखंड के इस लोकपर्व फूलदेई को लेकर क्या कहानियां हैं.

Phool Dei Festival
फूलदेई पर्व 2024
उत्तराखंड में फूलदेई की धूम

देहरादून/श्रीनगर: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की उपस्थिति में मुख्यमंत्री आवास में रंग बिरंगे परिधानों में सजे बच्चों ने देहरी में फूल व चावल बिखेरकर पारंपरिक गीत 'फूल देई छम्मा देई, जतुक देला, उतुक सई, फूल देई छम्मा देई, दैणी द्वार भरी भकार' गाते हुए त्यौहार की शुरुआत की.

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने सभी बच्चों को आशीर्वाद देते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की.

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों को फूल देई के त्यौहार की हार्दिक बधाई व शुभकामनायें देते हुए देश व प्रदेश की सुख-समृद्धि की कामना की. उन्होंने कहा कि लोकपर्वों का हमारे जीवन में विशेष महत्व है. सीएम धामी उत्तराखंड के लोकपर्वों को धूमधाम से मनाते हैं. उत्तराखंड के हर पर्व पर सीएम धामी जनता को शुभकामना संदेश भी देते हैं.

Phool Dei
सीएम आवास में फूलदेई मनाई गई

श्रीनगर में फूलदेई की धूम: श्रीनगर में आज फूलदेई का त्यौहार हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. बच्चों ने सभी के घरों की देहलियों पर फूल डाले. शहर में शोभा यात्रा निकाली गई. ये शोभा यात्रा नागेश्वर मंदिर से शुरू होकर पूरे शहर में घूमी. शोभा यात्रा में बड़ी संख्या में बच्चे सामिल रहे. उनकी देखा देखी में बड़े भी बच्चों की तरह फुल्यार बन गए.

फूलदेई का त्यौहार उत्तराखंड में फसल उत्सव के रूप में मनाया जाता है. फूलदेई पर्व पूरे प्रदेश में वसंत ऋतु का स्वागत करता है. यह त्यौहार हिंदू महीने चैत्र के पहले दिन मनाया जाता है. उत्सव में भाग लेने के लिए सबसे अधिक बच्चे उत्साहित रहते हैं. पूरे महीने भर बच्चे घरों के आंगनों की देहरी में फूल डालते हैं. साथ में बच्चे स्थनीय लोक गीत गाते हैं.

Phool Dei
सीएम आवास की देहरी पर बच्चों ने फूल डाले
Phool Dei
श्रीनगर में फूलदेई पर शोभा यात्रा

श्रीनगर में फूलदेई उत्सव के आयोजक अनूप बहुगुणा ने बताया कि इस साल भी पूर्व की भांति फूलदेई पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया मनाया जा रहा है. ये त्यौहार पूरे माह भर मनाया जाएगा. कोटद्वार में भी फूलदेई का पर्व धूमधाम से मनाया गया.

Phool Dei
देहरियों पर फूल डालते बच्चे
Phool Dei
फूलदेई पर सजी बच्चियां

क्यों मनाया जाता है फूलदेई पर्व? सामाजिक कार्यकर्ता और संस्कृति प्रेमी अध्यापक जिंतेंद्र रावत ने बताया कि इस पर्व के बारे में मान्यता है कि फ्योंली नामक एक वनकन्या थी. वो जंगल में रहती थी. जंगल के सभी लोग उसके दोस्त थे. उसकी वजह जंगल में हरियाली और समृद्धि थी. एक दिन एक देश का राजकुमार उस जंगल में आया. उसे फ्योंली से प्रेम हो गया और उससे शादी करके अपने देश ले गया. फ्योंली को अपने ससुराल में मायके की याद आने लगी. अपने जंगल के मित्रों की याद आने लगी.

फ्योंली से जुड़ी है फूलदेई की कहानी: उधर जंगल में फ्योंली बिना पेड़ पौधे मुरझाने लगे. जंगली जानवर उदास रहने लगे. उधर फ्योंली की सास उसे बहुत परेशान करती थी. फ्योंली की सास उसे मायके नहीं जाने देती थी. फ्योंली अपनी सास से और अपने पति से उसे मायके भेजने की प्रार्थना करती थी, मगर उसके ससुराल वालों ने उसे नहीं भेजा. फ्योंली मायके की याद में तड़पते लगी.

Phool Dei
देहली पर फूल डालते फुल्यार
Phool Dei
फूलदेई के लिए फूल चुनते बच्चे

मायके की याद में तड़पकर एक दिन फ्योंली की जान चली जाती है. उसके ससुराल वाले राजकुमारी को उसके मायके के पास ही दफना देते हैं. जिस जगह पर राजकुमारी को दफनाया गया था, वहां पर कुछ दिनों के बाद ही पीले रंग का एक सुंदर फूल खिलता है, जिसे फ्योंली नाम दिया जाता है.

केदारघाटी में यह कथा है प्रचलित: एक बार भगवान श्रीकृष्ण और देवी रुक्मणी केदारघाटी से विहार कर रहे थे. देवी रुक्मणी भगवान श्रीकृष्ण को खूब चिढ़ा देती हैं. जिससे भगवान कृष्ण नाराज होकर छिप जाते हैं. देवी रुक्मणी भगवान को ढूंढ-ढूंढ कर परेशान हो जाती हैं. तब देवी रुक्मणी छोटे बच्चों से रोज सबकी देहरी फूलों से सजाने को बोलती हैं, ताकि बच्चों द्वारा फूलों से स्वागत देख कर श्रीकृष्ण गुस्सा छोड़ दें. बच्चों द्वारा फूलों की सजायी देहरी और आंगन देखकर भगवान कृष्ण का मन पसीज जाता है और वो सामने आ जाते हैं. कहते हैं तभी से फूलदेई मनाई जाने लगी.

वसंत के आगमन का पर्व है फूलदेई: फूलदेई वसंत के आगमन का पर्व है. इस दिन से चैत्र माह का भी आगाज़ होता है. ये पर्व प्रकृति का पर्व है, जो कुछ समय के लिए विलुप्ति की कगार पर था लेकिन आज फिर इसे बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाने लगा है. इस दिन से वसंत के गीतों को भी गाया जाता है. शरद ऋतु को विदाई दी जाती है और वसंत के आगमन का उल्लास मनाया जाता है.

ये भी पढ़ें: आने वाला है वसंत के स्वागत का पर्व फूलदेई, श्रीनगर में सीएम धामी करेंगे शोभायात्रा का आगाज

उत्तराखंड में फूलदेई की धूम

देहरादून/श्रीनगर: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की उपस्थिति में मुख्यमंत्री आवास में रंग बिरंगे परिधानों में सजे बच्चों ने देहरी में फूल व चावल बिखेरकर पारंपरिक गीत 'फूल देई छम्मा देई, जतुक देला, उतुक सई, फूल देई छम्मा देई, दैणी द्वार भरी भकार' गाते हुए त्यौहार की शुरुआत की.

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने सभी बच्चों को आशीर्वाद देते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की.

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों को फूल देई के त्यौहार की हार्दिक बधाई व शुभकामनायें देते हुए देश व प्रदेश की सुख-समृद्धि की कामना की. उन्होंने कहा कि लोकपर्वों का हमारे जीवन में विशेष महत्व है. सीएम धामी उत्तराखंड के लोकपर्वों को धूमधाम से मनाते हैं. उत्तराखंड के हर पर्व पर सीएम धामी जनता को शुभकामना संदेश भी देते हैं.

Phool Dei
सीएम आवास में फूलदेई मनाई गई

श्रीनगर में फूलदेई की धूम: श्रीनगर में आज फूलदेई का त्यौहार हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. बच्चों ने सभी के घरों की देहलियों पर फूल डाले. शहर में शोभा यात्रा निकाली गई. ये शोभा यात्रा नागेश्वर मंदिर से शुरू होकर पूरे शहर में घूमी. शोभा यात्रा में बड़ी संख्या में बच्चे सामिल रहे. उनकी देखा देखी में बड़े भी बच्चों की तरह फुल्यार बन गए.

फूलदेई का त्यौहार उत्तराखंड में फसल उत्सव के रूप में मनाया जाता है. फूलदेई पर्व पूरे प्रदेश में वसंत ऋतु का स्वागत करता है. यह त्यौहार हिंदू महीने चैत्र के पहले दिन मनाया जाता है. उत्सव में भाग लेने के लिए सबसे अधिक बच्चे उत्साहित रहते हैं. पूरे महीने भर बच्चे घरों के आंगनों की देहरी में फूल डालते हैं. साथ में बच्चे स्थनीय लोक गीत गाते हैं.

Phool Dei
सीएम आवास की देहरी पर बच्चों ने फूल डाले
Phool Dei
श्रीनगर में फूलदेई पर शोभा यात्रा

श्रीनगर में फूलदेई उत्सव के आयोजक अनूप बहुगुणा ने बताया कि इस साल भी पूर्व की भांति फूलदेई पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया मनाया जा रहा है. ये त्यौहार पूरे माह भर मनाया जाएगा. कोटद्वार में भी फूलदेई का पर्व धूमधाम से मनाया गया.

Phool Dei
देहरियों पर फूल डालते बच्चे
Phool Dei
फूलदेई पर सजी बच्चियां

क्यों मनाया जाता है फूलदेई पर्व? सामाजिक कार्यकर्ता और संस्कृति प्रेमी अध्यापक जिंतेंद्र रावत ने बताया कि इस पर्व के बारे में मान्यता है कि फ्योंली नामक एक वनकन्या थी. वो जंगल में रहती थी. जंगल के सभी लोग उसके दोस्त थे. उसकी वजह जंगल में हरियाली और समृद्धि थी. एक दिन एक देश का राजकुमार उस जंगल में आया. उसे फ्योंली से प्रेम हो गया और उससे शादी करके अपने देश ले गया. फ्योंली को अपने ससुराल में मायके की याद आने लगी. अपने जंगल के मित्रों की याद आने लगी.

फ्योंली से जुड़ी है फूलदेई की कहानी: उधर जंगल में फ्योंली बिना पेड़ पौधे मुरझाने लगे. जंगली जानवर उदास रहने लगे. उधर फ्योंली की सास उसे बहुत परेशान करती थी. फ्योंली की सास उसे मायके नहीं जाने देती थी. फ्योंली अपनी सास से और अपने पति से उसे मायके भेजने की प्रार्थना करती थी, मगर उसके ससुराल वालों ने उसे नहीं भेजा. फ्योंली मायके की याद में तड़पते लगी.

Phool Dei
देहली पर फूल डालते फुल्यार
Phool Dei
फूलदेई के लिए फूल चुनते बच्चे

मायके की याद में तड़पकर एक दिन फ्योंली की जान चली जाती है. उसके ससुराल वाले राजकुमारी को उसके मायके के पास ही दफना देते हैं. जिस जगह पर राजकुमारी को दफनाया गया था, वहां पर कुछ दिनों के बाद ही पीले रंग का एक सुंदर फूल खिलता है, जिसे फ्योंली नाम दिया जाता है.

केदारघाटी में यह कथा है प्रचलित: एक बार भगवान श्रीकृष्ण और देवी रुक्मणी केदारघाटी से विहार कर रहे थे. देवी रुक्मणी भगवान श्रीकृष्ण को खूब चिढ़ा देती हैं. जिससे भगवान कृष्ण नाराज होकर छिप जाते हैं. देवी रुक्मणी भगवान को ढूंढ-ढूंढ कर परेशान हो जाती हैं. तब देवी रुक्मणी छोटे बच्चों से रोज सबकी देहरी फूलों से सजाने को बोलती हैं, ताकि बच्चों द्वारा फूलों से स्वागत देख कर श्रीकृष्ण गुस्सा छोड़ दें. बच्चों द्वारा फूलों की सजायी देहरी और आंगन देखकर भगवान कृष्ण का मन पसीज जाता है और वो सामने आ जाते हैं. कहते हैं तभी से फूलदेई मनाई जाने लगी.

वसंत के आगमन का पर्व है फूलदेई: फूलदेई वसंत के आगमन का पर्व है. इस दिन से चैत्र माह का भी आगाज़ होता है. ये पर्व प्रकृति का पर्व है, जो कुछ समय के लिए विलुप्ति की कगार पर था लेकिन आज फिर इसे बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाने लगा है. इस दिन से वसंत के गीतों को भी गाया जाता है. शरद ऋतु को विदाई दी जाती है और वसंत के आगमन का उल्लास मनाया जाता है.

ये भी पढ़ें: आने वाला है वसंत के स्वागत का पर्व फूलदेई, श्रीनगर में सीएम धामी करेंगे शोभायात्रा का आगाज

Last Updated : Mar 14, 2024, 2:52 PM IST
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