वाराणसी: बहन-भाई के प्रेम और रक्षा की भावना को बढ़ाने वाला त्यौहार रक्षाबंधन आज मनाया जा रहा है. रक्षाबंधन में सही समय में राखी बांधने का विशेष महत्व माना जाता है, क्योंकि हमेशा से भद्रा का साया होता है. इस दौरान कोई भी शुभ कार्य सनातन धर्म में वर्जित होता है. इसलिए राखी बांधने का क्या सही वक्त है, किस विधि का पालन करते हुए राखी बांधी जाएगी, यह बता रहे हैं काशी हिंदू विश्वविद्यालय ज्योतिष विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष पंडित विनय कुमार पांडेय.
सुबह नहीं, दोपहर 1.24 के बाद ही बांधें राखी: पंडित विनय कुमार पांडेय के मुताबिक इस बार राखी सुबह नहीं, बल्कि दोपहर में 1.24 के बाद ही बांधें. बताया कि रक्षाबंधन सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को मनाया जाता है. इस वर्ष श्रावण शुक्ल पूर्णिमा 19 अगस्त 2024 सोमवार को हो रही है, अतः 19 अगस्त को ही भद्रा से रहित काल में रक्षाबंधन करना चाहिए. इस वर्ष पूर्णिमा 18 अगस्त की रात्रि में लगभग 2.18 से आरंभ होकर 19 अगस्त की मध्य रात्रि 12.29 के आसन्न तक रह रही है, परंतु पूर्णिमा तिथि में पूर्णिमा के आरंभ के साथ ही भद्रा भी शुरू हो जाती है, जो पूर्णिमा के अर्धभाग तक रहती है. जिसमें रक्षाबंधन पूर्णतया शास्त्र विरुद्ध है. बताया कि 18 अगस्त की रात्रि 2.18 से 19 की दोपहर 1.24 तक भद्रा रहेगी, अतः 19 को ही भद्रा की समाप्ति के बाद मध्यान्ह 1.24 के उपरांत रात्रि पर्यंत भाई को राखी बांधी जा सकती है.
धर्मशास्त्र के अनुकूल : बताया कि यह स्थिति वाराणसी के लगभग सभी पंचांगों में एक जैसी ही है. अतः 19 अगस्त को मध्यान्ह 1.24 के बाद शास्त्रीय नियमानुसार रक्षाबंधन पर्व मनाया जाना धर्मशास्त्र के अनुकूल है. बताया कि सनातन धर्म में भद्रा में कोई भी कार्य किया जाना निषेध बताया गया है. इसलिए जब तक भद्रा खत्म नहीं हो जाती तब तक किसी भी तरह का कोई शुभ कार्य नहीं किया जा सकता. रक्षाबंधन का पर्व बहन और भाई के बीच प्रेम सौहार्द का पर्व माना जाता है, इसलिए सारी चीजें जीवन पर्यंत सही रहें, इस वजह से समय का विशेष ध्यान रखना होता है.
क्या है रक्षाबंधन की कथा : सतयुग में एक बार देवता और दानवों में 12 वर्ष तक युद्ध हुआ. देवता बार-बार हारते चले गए. देव गुरु बृहस्पति की आज्ञा से युद्ध रोक दिया गया. देव गुरु के आदेश पर इंद्राणियों ने इंद्र को रक्षा बंधन किया. रक्षा सूत्र के प्रभाव से देवराज इंद्र ने राक्षसों-दैत्यों का संहार किया और देवताओं को विजयश्री मिली. यह तिथि श्रावण शुक्ल पूर्णिमा थी, तभी से सनातन धर्मियों में रक्षाबंधन पर्व मनाने की परंपरा चली आ रही है. इस दिन बहनें अपने भाइयों और ब्राह्मïण अपने यजमानों को रक्षासूत्र बांध कर एक वर्ष के लिए सुरक्षित कर देते हैं.
रक्षा सूत्र बांधने का मंत्र
येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः।
तेन त्वाम् अभिबध्नामि रक्षे मा चल मा चल॥
यह भी पढ़ें : रोडवेज के बाद अब सिटी बसों में भी रक्षाबंधन पर बहनों को मुफ्त यात्रा का तोहफा, लखनऊ, कानपुर, प्रयागराज समेत इन 15 शहरों में सुविधा - Free travel on city buses