नई दिल्ली/गाजियाबाद: शारदीय नवरात्रि का पर्व बहुत ही श्रद्धा भाव से मनाया जाता है. शारदीय नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है. नवरात्रि का चौथा दिन मां कुष्मांडा को समर्पित है. रविवार, 6 अक्टूबर 2024 को नवरात्रि का चौथा दिन है. मां कूष्मांडा देवी दुर्गा का चौथा स्वरूप है. नवरात्रि के चौथे दिन विधि विधान से मां कूष्मांडा की पूजा अर्चना की जाती है.
मां कूष्मांडा को अष्टभुजा देवी और आदिशक्ति भी कहा जाता है. नवरात्रि की चतुर्थी तिथि को मां कूष्मांडा की विधि विधान से पूजा अर्चना करने से यश, वैभव, आरोग्य और लंबी आयु की प्राप्ति होती है. सभी प्रकार के पाप, कष्ट और दुखों से मुक्ति मिलती है.
० पूजा विधि: शारदीय नवरात्र की चतुर्थी तिथि को ब्रह्म मुहूर्त में उठें. दैनिक दिनचर्या समेत स्नान आदि से निवृत होकर साफ सुथरे वस्त्र धारण करें. घर के मंदिर की साफ सफाई करें और पूजा के स्थान की गंगाजल छिड़क कर शुद्धि करें. चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं. नारंगी रंग के कपड़े पहनकर मां कूष्मांडा की मूर्ति की स्थापना करें. मां के समक्ष दीप जलाएं. पूजा का संकल्प लें. पुष्प, धूप, दीप, नवैद्य आदि मां को चढ़ाए. विधि विधान से मां कूष्मांडा की पूजा करें. पूजा के दौरान दुर्गा सप्तशती का पाठ करें. पूजा की समाप्ति के बाद मां की आरती करें और उनका प्रिय भोग अर्पित करें. पूजा के पश्चात परिवार के सभी सदस्यों को प्रसाद वितरण करें.
० पूजा का महत्व: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार श्रद्धा भाव और विधि विधान से मां कूष्मांडा की पूजा करने से आरोग्य की प्राप्ति होती है. सभी प्रकार के रोगों से मुक्ति मिलती है. जीवन में आ रहे कष्ट और बाधाएं समाप्त होती हैं. कारोबार और नौकरी में नए रास्ते बनते हैं. घर में आर्थिक स्थिरता और संपन्नता का स्थाई वास होता है. मानसिक परेशानियों से भी छुटकारा मिलता है.
० मां कुष्मांडा पूजा मंत्र
सर्व स्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्ति समन्विते।
भयेभ्य्स्त्राहि नो देवि कूष्माण्डेति मनोस्तुते।।
ओम देवी कूष्माण्डायै नमः॥
० मां कूष्मांडा का प्रार्थना मंत्र
सुरासम्पूर्ण कलशं रुधिराप्लुतमेव च। दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥
० मां कूष्मांडा का स्तुति मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
० मां कूष्मांडा बीज मंत्र
ऐं ह्री देव्यै नम:।
० मां कुष्मांडा की आरती
कूष्मांडा जय जग सुखदानी।
मुझ पर दया करो महारानी॥
पिगंला ज्वालामुखी निराली।
शाकंबरी मां भोली भाली॥
लाखों नाम निराले तेरे।
भक्त कई मतवाले तेरे॥
भीमा पर्वत पर है डेरा।
स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥
सबकी सुनती हो जगदम्बे।
सुख पहुंचती हो मां अम्बे॥
तेरे दर्शन का मैं प्यासा।
पूर्ण कर दो मेरी आशा॥
मां के मन में ममता भारी।
क्यों ना सुनेगी अरज हमारी॥
तेरे दर पर किया है डेरा।
दूर करो मां संकट मेरा॥
मेरे कारज पूरे कर दो।
मेरे तुम भंडारे भर दो॥
तेरा दास तुझे ही ध्याए।
भक्त तेरे दर शीश झुकाए॥
ये भी पढ़ें: नवरात्र के चौथे दिन मां के कुष्मांडा के रूप की पूजा, कालकाजी में विशेष श्रृंगार के साथ की गई आरती
Disclaimer: खबर धार्मिक मान्यताओं और जानकारी पर आधारित है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लेना बेहद आवश्यक है. खबर केवल जानकारी के लिए है.