गुमला: बुजुर्ग को जिंदा जलाने के मामले में सदर थाना क्षेत्र के एसडीपीओ सुरेश प्रसाद यादव जायजा लेने के लिए कोराम्बी गांव पहुंचे. उन्हें ज्यादातर के घरों में ताला लटका हुआ मिला. अधिकतर ग्रामीण डर की वजह से घर छोड़कर अपने रिश्तेदारों के यहां चले गए हैं. कुछ लोग गांव में मौजूद हैं भी तो वह इस घटना पर कुछ बोलने से कतरा रहे हैं.
काफी मशक्कत के बाद एक व्यक्ति ने नाम नहीं बताने के शर्त पर बताया है कि बुधवार को कर्मपाल उरांव की बहन मंगरी देवी की मौत कुएं में डूबने से हो गई थी. शाम को उसका अंतिम संस्कार किया जा रहा था. उसी वक्त गांव में झाड़ फूंक करने वाला बुद्धेश्वर उरांव पहुंचा और उसके साथ धक्का मुक्की करने लगा. जिसके बाद उन्हें समझा बुझाकर रोक दिया गया.
इसी बीच कर्मपाल उरांव ने टांगी से हमला कर उसे गंभीर रूप से जख्मी कर दिया और जलती हुई चिता में फेंक दिया. जिसे देखकर मौके पर मौजूद सभी ग्रामीण वहां से भाग गए और अपने घरों में जाकर दरवाजा बंद कर लिया. जबकि झड़ी उरांव और कर्मपाल दोनों बुद्धेश्वर का शव जलने का इंतजार करने लगे.
वहीं, बुद्धेश्वर के बेटे ने बताया कि घटना के दिन देर शाम हो जाने के बाद जब उसके पिता घर नहीं लौटे तो उन्होंने खोजबीन शुरू की. आसपास के लोगों से पूछने का प्रयास किया लेकिन सभी ने अपने घर का दरवाजा बंद कर लिया और किसी ने कुछ भी नहीं बताया. उनके बेटे का कहना है कि अगर समय रहते ग्रामीणों द्वारा घटना की सूचना दी जाती तो उसके पिता की जान बच सकती थी.
जब सुबह वह श्मशान घाट पहुंचा तो वहां दो शव के अवशेष मिले, जिससे घटना का खुलासा हुआ. हालांकि शुरुआत में पुलिस घटना के पीछे जमीन विवाद मान रही थी. जबकि ग्रामीणों व परिजनों के अनुसार बुद्धेश्वर उरांव झाड़-फूंक का काम करता था. अंधविश्वास में मंगरी की मौत और पूर्व में झड़ी की पत्नी की बीमारी से हुई मौत का जिम्मेदार ठहराकर बुद्धेश्वर उरांव को टांगी से काटकर जलती चिता में फेंक दिया. इस मामले में झड़ी उरांव को पुलिस ने फिलहाल गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया. जबकि कर्मपाल उरांव फरार है.
अधजले शव की होगी फोरेंसिक जांच
इधर, मामले की जांच के लिए सदर अस्पताल प्रबंधन गुमला द्वारा तीन चिकित्सीय दल का गठन किया गया, जिसमें डॉक्टर असीम अगुस्टीन मिंज, डॉक्टर प्रेमचंद्र भगत और डीएस डॉक्टर अनुपम किशोर है. इस संबंध में डीएस डॉक्टर अनुपम किशोर ने बताया कि अधजले शव को पुलिस द्वारा लाया गया था. नार्मल केस में सदर अस्पताल के चिकित्सकों द्वारा पोस्टमार्टम किया जाता है. लेकिन ऐसे अधजले शव के लिए फॉरेंसिक एक्सपर्ट की आवश्यकता पड़ती है. इसलिए शव को फॉरेंसिक जांच के लिए रांची रेफर कर दिया गया.
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