नई दिल्लीः दिल्ली विश्वविद्यालय के सबसे पुराने हिंदू कॉलेज की ऐतिहासिक बिल्डिंग का जीर्णोद्धार कराने की पहल पूर्व छात्रों की तरफ से की गई है. इसको लेकर कॉलेज के पूर्व छात्रों के ओल्ड स्टूडेंट एसोसिएशन (ओएसए) ने दिल्ली नगर निगम के आयुक्त ज्ञानेश भारती से भी मुलाकात की है. दरअसल, कश्मीरी गेट स्थित इस पुरानी बिल्डिंग में अब निगम के सदर पहाड़गंज जोन का कार्यालय है. मौजूदा समय में यह बिल्डिंग निगम के पास ही है. इसलिए इस बिल्डिंग के जीर्णोद्धार या रख रखाव संबंधी कोई भी कार्य कराने से पहले निगम आयुक्त की अनुमति आवश्यक है.
यह उस समय का कॉलेज है, जब दिल्ली विश्वविद्यालय की स्थापना भी नहीं हुई थी. सन 1899 में कृष्ण दास जी गुरुवाले ने ब्रिटिश राज के खिलाफ राष्ट्रवादी संघर्ष की पृष्ठभूमि में हिंदू कॉलेज की स्थापना की थी. कॉलेज की स्थापना में उनके साथ राय बहादुर अंबा प्रसाद सहित अन्य कई नागरिकों ने साथ दिया था. मूल रूप से कॉलेज चांदनी चौक के किनारी बाजार में एक साधारण इमारत में स्थित था. यह पंजाब विश्वविद्यालय से संबंध था. उस समय दिल्ली में कोई विश्वविद्यालय नहीं था.
इसलिए इस इमारत में स्थानांतरित हुआ कॉलेज: पंजाब विश्वविद्यालय ने कॉलेज को चेतावनी दी कि अगर कॉलेज को अपना पर्याप्त जगह वाला भवन नहीं मिला तो विश्वविद्यालय कॉलेज की मान्यता खत्म कर देगा. इस संकट से कॉलेज को बचाने के लिए राय बहादुर लाला सुल्तान सिंह आगे आए. उन्होंने अपनी ऐतिहासिक संपत्ति का एक हिस्सा जो कश्मीरी गेट पर मूल रूप से कर्नल जेम्स स्किनर की हवेली थी उसे कॉलेज को दान कर दिया. कॉलेज वहां 1953 तक चलता रहा, जब 1922 में दिल्ली विश्वविद्यालय का जन्म हुआ तो रामजस कॉलेज और सेंट स्टीफंस कॉलेज के साथ हिंदू कॉलेज को भी दिल्ली विश्वविद्यालय से सम्बद्ध कर दिया गया. इस तरह डीयू से सम्बद्ध होने वाले पहले तीन कॉलेज बन गए.
पुरानी इमारत का ऐतिहासिक महत्व: पुराने हिंदू कॉलेज परिसर को देखकर मौजूदा समय में कोई यह नहीं कह सकता कि यह कभी एक हवेली थी. हवेली के कुछ हिस्सों पर दुकानों, गोदामों और अनधिकृत निर्माण का कब्ज़ा हो गया है. कॉलेज की पूर्व छात्रा, एलुमनी एसोसिएशन की वरिष्ठ उपाध्यक्ष और पूर्व प्राचार्या डॉ. कविता शर्मा ने बताया कि कर्नल स्किनर 19वीं सदी की शुरुआत में दिल्ली के सबसे महत्वपूर्ण व्यक्तियों में से एक थे. मराठा सेना में भाड़े के सैनिक के रूप में शामिल हुए स्किनर को मराठों द्वारा ईस्ट इंडिया कंपनी के साथ युद्ध में जाने के बाद बाहर कर दिया गया था.
इसके बाद वे ईस्ट इंडिया कंपनी की बंगाल आर्मी में शामिल हो गए. 1803 में उन्होंने हांसी में अंग्रेजों के लिए दो घुड़सवार रेजिमेंटों का गठन किया, जिन्हें प्रथम स्किनर हॉर्स और द्वितीय स्किनर हॉर्स के नाम से जाना जाता है. ये आज भी भारतीय सेना की इकाइयां हैं. उन्हें भारतीय घुड़सवार सेना का जनक भी कहा जाता है. स्किनर ने कई इमारतें बनवाई, जिनमें पुरानी हिंदू कॉलेज बिल्डिंग के अपोजिट स्थित प्रतिष्ठित सेंट जेम्स चर्च भी शामिल है. स्किनर ने 1811 में चांदनी चौक स्थित कुचा रायमन में अपने लिए एक घर बनाया था, लेकिन जल्दी ही इसे बेच दिया. फिर 1820 के दशक में कश्मीरी गेट के करीब एक नई हवेली (पुराना हिंदू कॉलेज) बनवाई.
इस तरह हवेली में स्थापित हुआ हिंदू कॉलेज: आधी सदी से भी ज़्यादा समय तक स्किनर परिवार के पास रहने के बाद हवेली को बाद में 19वीं सदी के अंत में इंपीरियल बैंक ऑफ़ इंडिया के कोषाध्यक्ष राय बहादुर सुल्तान सिंह ने अधिग्रहित कर लिया. इसके अलावा 1899 में प्रमुख बैंकर कृष्ण दासजी गुरवाले ने चांदनी चौक के किनारी बाज़ार में हिंदू कॉलेज की स्थापना की, जिसके ट्रस्टी दिल्ली के प्रमुख नागरिक थे. हालाँकि, कुछ ही सालों में कॉलेज ने जगह की कमी के कारण इसे स्थानांतरित करने का फ़ैसला किया और गुरवाले ने सिंह से स्किनर हवेली खरीद ली.
हिंदू कॉलेज की पूर्व प्रिंसिपल डॉ. कविता शर्मा ने अपनी किताब हिंदू कॉलेज दिल्ली: ए पीपल्स मूवमेंट में लिखा है कि गुरवाले ने कॉलेज की शुरुआत तब की थी, जब उनके पिता रामजी दास गुरवाले जो सम्राट बहादुर शाह ज़फ़र के बैंकर थे. उन्हें ज़फर की गिरफ़्तारी के बाद अंग्रेजों ने चांदनी चौक कोतवाली के परिसर में प्रताड़ित किया और फांसी पर लटका दिया.
कॉलेज के ट्रस्टी राय बहादुर सुल्तान सिंह ने कर्नल स्किनर की मृत्यु के बाद उनकी कई पुरानी संपत्तियों को खरीद लिया था, जिनमें यह हवेली भी शामिल थी. डॉ. कविता ने बताया कि सुल्तान सिंह को 1908 में स्किनर की हवेली को हिंदू कॉलेज को 87,000 रुपये में बेचने के लिए राजी किया गया था. कॉलेज 1953 में उत्तरी परिसर में अपने वर्तमान स्थान पर चला गया. हवेली का अंतिम बचा हुआ हिस्सा अब दिल्ली नगर निगम के अधीन है, जबकि बाकी हिस्सों पर अतिक्रमण कर लिया गया है.
जीर्णोद्धार और संरक्षण की योजना: हिंदू कॉलेज ओल्ड स्टूडेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष रवि बर्मन ने बताया कि पूर्व छात्र संघ कॉलेज की स्थापना के 125 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में संरचना को एक स्मारक के रूप में पुनर्स्थापित करना चाहता है. निगम आयुक्त ज्ञानेश भारती तथा विरासत प्रकोष्ठ के साथ बैठकें की हैं. अगले 10-15 दिनों में विशेषज्ञों की मदद से साइट का सर्वेक्षण शुरू करेंगे. बर्मन ने बताया कि परिसर के अंदर संरचनाओं के तीन भाग हैं. एक गोलाकार इमारत, एक एम्फीथिएटर और एक स्तंभों वाला भाग. इन तीनों भागों को पुनर्स्थापित कर एक स्मारक में बदलना है.
उन्होंने बताया कि सर्वे के बाद इस पर आने वाले खर्च का आकलन कर हम पुराने छात्रों से फंड एकत्रित करेंगे और पुनर्निर्माण का कार्य शुरू कराया जाएगा. पुनर्स्थापना के बाद इसको हिंदू कॉलेज मैमोरियल के नाम से जाना जाएगा. कॉलेज की प्राचार्या प्रोफेसर अंजू श्रीवास्तव ने कहा कि उन्हें पूर्व छात्रों के इस कदम की जानकारी नहीं है. लेकिन, हमने भी कॉलेज के इतिहास विभाग के विशेषज्ञों से पुराने परिसर का दौरा कर सर्वे करने को कहा है. अगर पूर्व छात्र इमारत को संरक्षित करना चाहते हैं तो यह एक अच्छी पहल है.
स्वतंत्रता संग्राम का भी रहा है केंद्र: हिंदू कॉलेज भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान विशेष रूप से भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान बौद्धिक और राजनीतिक बहस का केंद्र था. यह दिल्ली का एकमात्र कॉलेज है जिसमें 1935 से छात्र संसद है, जिसने महात्मा गांधी, मोती लाल नेहरू, जवाहरलाल नेहरू, सरोजिनी नायडू, एनी बेसेंट मोहम्मद अली जिन्ना और सुभाष चंद्र बोस सहित कई राष्ट्रीय नेताओं को प्रेरित करने के लिए एक मंच प्रदान किया. 1942 में गांधी के भारत छोड़ो आंदोलन के जवाब में कॉलेज ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. इस कॉलेज के शिक्षकों और छात्रों ने भी गिरफ्तारियां दी. आंदोलन के समय कॉलेज ने भी कई महीनों के लिए अपने गेट बंद कर रखे थे.
जानी-मानी हस्तियां भी रही हैं कॉलेज की छात्र: हिंदू कॉलेज ने हर क्षेत्र में जानी-मानी हस्तियों को तराशा है. इस कॉलेज से पढ़कर ही देश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश योगेश कुमार सभरवाल, पूर्व कानून मंत्री सुब्रमण्यम स्वामी, अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू, केंद्रीय मंत्री और आईएफएस हरदीप पुरी, राव इंद्रजीत सिंह, पूर्व सीएजी विनोद राय, पूर्व सांसद एवं क्रिकेटर गौतम गंभीर, मुरली कार्तिक, आकाश चोपड़ा, छत्तीसगढ़ के पूर्व उप मुख्यमंत्री टीएस सिंह देव, फिल्म निर्देशक इम्तियाज अली, अभिनेता अर्जुन रामपाल, आशीष विद्यार्थी, सहित कई बड़े फिल्म निर्देशकों ने भी अलग-अलग क्षेत्र में अपनी कामयाबी के झंडे गाड़े हैं.
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