कोटा. जल संसाधन विभाग के अधिशासी अभियंता कार्यालय पर गुरुवार को फिर एक कुर्की की कार्रवाई हुई. इस मामले में ठेकेदार का करीब 22 साल पुराना भुगतान नहीं हुआ था. जिसको लेकर ही कमर्शियल कोर्ट ने कुर्की के आदेश दिए थे. आज इसी मामले को लेकर जिला न्यायालय की स्पेशल सेल अमीन सतविंदर कौर जल संसाधन विभाग के अधिशासी अभियंता अनिल मीणा के दफ्तर में पहुंची. जहां पर दफ्तर को कुर्क कर लिया गया. जिसमें दफ्तर की टेबल, कुर्सी, पंखे, कूलर से लेकर एसी और सभी संसाधनों को कुर्क किया गया है.
इस दौरान अधिशासी अभियंता अनिल मीणा और सतविंदर कौर के बीच बहस भी हुई. जिसमें सतविंदर कौर ने साफ कर दिया कि न्यायालय के कुर्की के आदेश के बाद दफ्तर खोल कर बैठना अवमानना की श्रेणी में आता है. इस कार्रवाई के बाद दफ्तर में मौजूद स्टाफ भी सकते में आ गया. स्टाफ एक-दूसरे से कहता नजर आया कि भीषण गर्मी में बिना कूलर, पंखे व एसी के काम करेंगे.
पढ़ें: वाणिज्य न्यायालय का आदेश, भुगतान नहीं करने पर सरकारी कार्यालय को किया जाएगा कुर्क और सीज
मामले के बारे में जानकारी देते हुए मैसर्स परमानंद कॉन्ट्रेक्टर फर्म के परमानंद का कहना है कि उन्होंने दाता डैम में 2002 में निर्माण कार्य शुरू कराया था, लेकिन फॉरेस्ट ने काम बंद करवा दिया. उसके बाद काम की अनुमति भी जल संसाधन विभाग अभी तक नहीं दिला पाया. यहां तक काम नहीं करने के चलते पेनल्टी भी लगा दी गई. हाईकोर्ट के जरिए आर्बिट्रेटर नियुक्त हुआ और पैसा देने के लिए कहा गया. कुछ पैसा जल संसाधन विभाग ने दिया, लेकिन उसके बाद फिर रोक दिया गया. अभी भी 14 लाख 35 हजार रुपए बकाया है. इनके लिए ही यह वारंट निकला है.
इस पूरे मामले पर अधिशासी अभियंता अनिल मीणा का कहना है कि उनके काफी पहले का यह मामला है. इस मामले में विभाग ने कोर्ट में उन्होंने जवाब भी प्रस्तुत किया था. अब विभाग के उच्च अधिकारियों को इस संबंध में अवगत कराएंगे. स्पेशल सेल अमीन सतविंदर कौर का कहना है कि न्यायालय के आदेश के बाद भी ठेकेदार परमानन्द परेशान हो रहे हैं. ऐसे में दफ्तर को सीज किया है. इनका काम प्रभावित होगा, तभी पैसा लौटाया जाएगा.