पलामूः झारखंड के पलामू टाइगर रिजर्व में हाथियों की संख्या बढ़ गई है. पलामू टाइगर रिजर्व में 180 के करीब हाथियों की संख्या थी, जो अब बढ़कर 200 से अधिक हो गई है. वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट की देख-रेख में पलामू टाइगर रिजर्व में करीब चार महीने तक हाथियों की गिनती हुई और रिसर्च हुआ है. हाथियों की संख्या और रिसर्च संबंधी आंकड़े वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट जल्द ही जारी करेगा.
पलामू टाइगर रिजर्व के अधिकारियों का मानना है इलाके हाथियों की संख्या बढ़ी है. पलामू टाइगर रिजर्व के निदेशक कुमार आशुतोष बताते है कि हाथियों की संख्या बड़ी है और 200 के से अधिक हो गयी है. हाथियों की गिनती और उनसे जुड़े हुए रिसर्च का रिपोर्ट वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट जारी करेगा. यह रिपोर्ट जल्द ही प्रकाशित किया जाएगा. पूरे झारखंड में मयूरभंजी हाथी मिलते हैं लेकिन पलामू टाइगर रिजर्व में अलग प्रकार के हाथी हैं.
पीटीआर के हाथियों का क्या है जेनेटिक्स, क्यों है इतना रहस्य
पलामू टाइगर रिजर्व में मौजूद हाथियों का जेनेटिक्स मयूरभंज हाथियों से काफी अलग है. वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ने हाथियों के जेनेटिक्स का अध्यन किया है. हाथियों के जेनेटिक्स और संख्या को लेकर एक साथ आंकड़े को जारी किये जाएंगे. जिससे यह पता चल पाएगा कि पलामू टाइगर रिजर्व के हाथियों का जेनेटिक्स क्या है. पीटीआर में रहने वाले हाथी बेहद ही कम हिंसक हैं और उनका एक ही दांत होता है.
इतिहास में इस बात का जिक्र है कि सरगुजा के महाराज ने पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके में बड़ी संख्या में हाथियों को छोड़ा था. यही हाथी धीरे-धीरे अपने दायरे को बढ़ाते गए. पलामू टाइगर रिजर्व के हाथियों का जेनेटिक्स क्या है यह अभी भी रहस्य बना हुआ है. पीटीआर के उपनिदेशक प्रजेशकांत जेना बताते हैं कि रिपोर्ट प्रकाशित होने के बाद हाथियों के जेनेटिक्स के बारे में पता चल पाएगा.
झारखंड में कहां-कहां हैं हाथियों की मौजूदगी और कैसे जुड़ा है छत्तीसगढ़ कॉरिडोर से
झारखंड में बड़ी संख्या में हाथियों की मौजूदगी है, सिंहभूम का इलाका एलिफेंट रिजर्व एरिया कहा जाता है. पलामू टाइगर रिजर्व छत्तीसगढ़ कॉरिडोर से जुड़ा हुआ है. छत्तीसगढ़ से बड़ी संख्या में हाथी पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके में दाखिल होते हैं. झारखंड के पलामू, गढ़वा, लातेहार, गुमला, लोहरदगा, सिमडेगा, खूंटी, चाईबासा के इलाके में सबसे अधिक हाथियों की गतिविधि है. पीटीआर का इलाका छत्तीसगढ़ से सटा हुआ है जबकि सिंहभूम का इलाका हाथियों के केरल कॉरिडोर से जुड़ा हुआ है.
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