पंचकूला: हरियाणा पुलिस अपनी हर यूनिट को पहले से कहीं अधिक मजबूत बनाने की दिशा में काम कर रही है. अपराध नियंत्रण की दिशा में भी हरियाणा पुलिस कई कदम उठा रही है. इस कड़ी में डीजीपी हरियाणा शत्रुजीत कपूर के निर्देशों पर पुलिस विभाग के डॉग स्क्वॉड में तैनात डॉग्स की संख्या 36 से बढ़ाकर 63 कर दी गई है. इनकी संख्या बढ़ाने के साथ डॉग्स को बेहतर प्रशिक्षण भी दिया गया है, ताकि अपराधियों की धरपकड़ कर अपराध पर नियंत्रण पाया जा सके.
डॉग्स ने 10 महीने में 24 मामले सुलझाए: हरियाणा पुलिस विभाग के अनुसार डॉग स्क्वॉड की मदद से जनवरी 2024 से 31 अक्टूबर 2024 तक 24 मामले सुलझाने में मदद मिली है. राज्य की सीमा पर डॉग स्क्वॉड की मदद से 24 किलो 450 ग्राम गांजा, 17.18 ग्राम हेरोइन, 42.45 ग्राम स्मैक, 10 किलो 572 ग्राम डोडा पोस्त और 62 ग्राम चरस की बरामदगी की गई है
3 तरह के डॉग बेड़े में शामिल किए: हरियाणा के डीजीपी शत्रुजीत कपूर ने बताया कि पुलिस विभाग में वर्तमान में तीन तरह के डॉग्स को तैनात किया गया है. इन डॉग्स को इनकी खूबियों के अनुसार अलग-अलग श्रेणियों में बांटा गया है.
- पहली तरह के डॉग को ट्रैकर डॉग्स कहा जाता है, जो चोरी, हत्या जैसे मामलों में अनुसंधान अधिकारी(आईओ) की मदद करते हैं. लैब्राडोर नस्ल के ये डॉग्स राज्य अपराध शाखा के पास हैं.
- दूसरी तरह के डॉग एक्सप्लोसिव डॉग्स के नाम से जाने जाते हैं, जो वीआईपी सुरक्षा और संदिग्ध स्थानों पर बम आदि की जांच के लिए इस्तेमाल होते हैं. यहां भी लैब्राडोर नस्ल के डॉग्स इस्तेमाल में लाए जाते हैं और ये डॉग्स सीआईडी के पास होते हैं.
- तीसरी तरह के डॉग नारकोटिक्स डॉग्स होते हैं. ये डॉग्स मादक पदार्थों को जमीन, मकान, बिल्डिंग, वाहनों आदि को सूंघ कर उनके बारे में इशारा करते हैं.
डॉग हैंडलर और असिस्टेंट डॉग हैंडलर तैनात: डीजीपी ने बताया कि वर्तमान में हरियाणा पुलिस के पास 63 डॉग्स हैं. इनमें से पांच डॉग्स हरियाणा राज्य नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो और 58 डॉग्स हरियाणा के सभी जिलों में तैनात हैं. इन सभी डॉग्स पर एक-एक डॉग हैंडलर और असिस्टेंट डॉग हैंडलर तैनात है. हरियाणा पुलिस के बेड़े में बेल्जियम शेफर्ड, जर्मन शेफर्ड और लैब्राडोर तीन प्रजाति के डॉग शामिल हैं. इनके खान पान और रखरखाव पर विशेष ध्यान दिया जाता है.
डॉग्स की 3-6 माह की आयु में खरीद: डीजीपी ने बताया कि नारकोटिक्स डॉग्स को 3 माह से 6 माह तक की आयु में विभिन्न फर्मों से खरीदा जाता है. इसके बाद इनका मेडिकल चेकअप करवा कर 6 माह का नारकोटिक कोर्स करवाया जाता है. यहां इन्हें 6 महीने की और ट्रेनिंग दी जाती है. इसके बाद इन डॉग्स को विभिन्न जिलों में भेजा जाता है.
इस आयु में रिटायरमेंट: नारकोटिक्स डॉग करीब 10 या 11 साल के बाद रिटायर हो जाते हैं. रिटायर्ड डॉग्स को नियम के अनुसार सबसे पहले डॉग हैंडलर और उसके बाद असिस्टेंट डॉग हैंडलर को अपने साथ घर ले जाने का ऑफर दिया जाता है. यदि ये दोनों नहीं लेते तो इन्हें किसी एनजीओ या संस्था को दिया जाता है. इन सभी डॉग्स का प्रशिक्षण एक ट्रेनिंग प्रोग्राम के अनुसार होता है. इसके अलावा डॉग स्क्वॉड 26 जनवरी और 15 अगस्त पर डॉग शो भी करता है.
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