नूंह: हरियाणा में किसान नए-नए तरीके से खेती कर रहे हैं और काफी मुनाफा भी कमा रहे हैं. नूंह के फिरोजपुर झिरका तथा तावडू खंड में किसान गाजर की खेती कर रहे हैं. जिसे काफी मुनाफा हो रहा है. करीब 7 हजार एकड़ भूमि में उगाई जाने वाली गाजर की फसल की गुणवत्ता का कोई सानी नहीं है. यह गाजर की फसल एनसीआर की मंडियों की शोभा बढ़ा रही है. इस बार किसानों को बीते सालों की तुलना में सब्जियों का भाव भी अच्छा मिल रहा है.
गाजर का रेट: किसानों की गाजर की फसल तकरीबन 15 रुपये प्रति किलो सब्जी मंडी में खरीदी जा रही है. आम ग्राहकों को तकरीबन 30 रुपये प्रति किलो गाजर खरीदनी पड़ रही है. कुल मिलाकर यहां की भूमि में पोटेशियम की मात्रा अधिक होती है. यही वजह है कि अन्य जिलों में उगाई जाने वाली गाजर की फसल पर यहां की गाजर की फसल गुणवत्ता में भारी पड़ती है.
2 हजार एकड़ क्लस्टर में गाजर की खेती: जिला बागवानी अधिकारी डॉ. दीन मोहम्मद ने कहा कि अखनाका, रिगड़, शाहपुर, अगोन इत्यादि गांव गाजर का पूरा कलेक्टर है. इस कलेक्टर की जमीन में पोटेशियम की मात्रा अधिक है. पोटेशियम गाजर के लिए बहुत ही ज्यादा उपयोगी है. जिसकी वजह से इसकी गुणवत्ता का कोई सानी नहीं है. गाजर काफी होती है. इस क्लस्टर में तकरीबन 2000 एकड़ भूमि में गाजर की फसल उगाई जाती है और इसी तरह का एक क्षेत्र गोयला, डिंगरहेड़ी इत्यादि क्षेत्र में है. जहां 800-1000 एकड़ भूमि में गाजर की फसल है.
नूंह की 7 हजार एकड़ जमीन पर गाजर की खेती: अगर नूंह जिले में गाजर के रकबे की बात करें, तो तकरीबन 7000 एकड़ भूमि में गाजर की फसल होती है. जिला बागवानी अधिकारी डॉ. दीन मोहम्मद ने बताया कि विभाग गाजर ही नहीं सभी सब्जी फसलों के लिए आर्थिक मदद करता है. उसके लिए विभाग ने कुछ मापदंड तय किया है कि जो तकनीक अपनाएगा, पानी देने के लिए स्प्रिंकलर सिस्टम, ड्रिप सिस्टम या दूसरी ऑफ सीजन की सब्जियां हैं. घीया, तोरई, करेला लो टनल का जो इस्तेमाल करेगा या मल्चिंग का करेगा जो जमीन पर लगाई जाती है. जिससे खरपतवार नहीं होता है.
किसानों को डबल फायदा: बंबू के साथ जो बेल वाली सब्जी करेला, टमाटर की सब्जी फसल उगाते हैं. उनको यह अनुदान राशि दी जाएगी. उस पर 15000 प्रति एकड़ की अनुदान राशि दी जाएगी. जो किसान खुला पानी गाजर में देते हैं. उनको इस तरह की कोई सुविधा सरकार द्वारा उपलब्ध नहीं कराई जाएगी. डॉ. दीन मोहम्मद ने बताया कि गाजर की ढुलाई और बुआई की मशीन भी विभाग द्वारा दी जाती है. जिस पर किसानों को सरकार 50 फीसदी अनुदान राशि देती है.
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