नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ (डूसू) चुनाव से एक दिन पहले एनएसयूआई की ओर से डीयू प्रशासन पर डूसू चुनाव ड्यूटी में एबीवीपी और बीजेपी से संबंध रखने वाले शिक्षकों की ड्यूटी लगाने का आरोप लगाया गया. एनएसयूआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष वरुण चौधरी ने प्रेस कांफ्रेंस करके डीयू प्रशासन से ऐसे शिक्षकों को चुनाव ड्यूटी से हटाने की मांग की है, जो विद्यार्थी परिषद और बीजेपी से जुड़े हैं.
वरुण चौधरी ने डीयू की प्रोफेसर रजनी अब्बी पर भी आरोप लगाते हुए कहा कि यह बताने की जरूरत नहीं है कि रजनी अब्बी का बीजेपी से क्या संबंध है. सभी जानते हैं कि रजनी का प्रोफाइल क्या है. इसी की वजह से वह लगातार चुनाव को प्रभावित करने की कोशिश कर रही हैं. दरअसल, दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रॉक्टर रजनी अब्बी बीजेपी की पार्षद और दिल्ली नगर निगम की मेयर रही है. वह लॉ फैकल्टी में प्रोफेसर हैं. उन्हें दो साल पहले ही डीयू का प्रॉक्टर बनाया गया है.
चौधरी ने आरोप लगाया कि रजनी अब्बी लगातार विद्यार्थी परिषद की चुनाव में मदद कर रही हैं. विद्यार्थी परिषद के कार्यक्रम को चुनाव के बीच में रामजस कॉलेज में कराने की परमिशन दी गई. यह खुले तौर पर चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन है. जब चुनाव चल रहे हैं तो ऐसे में किसी कॉलेज के अंदर विद्यार्थी परिषद के बैनर तले चुनाव कराना चुनाव को प्रभावित करना है.
"हमारी डूसू चुनाव में कोई भूमिका नहीं है. सारा काम मुख्य चुनाव अधिकारी देख रहे हैं. किसी भी कॉलेज में किसी भी छात्र संगठन को कोई कार्यक्रम करने की अनुमति हमने नहीं दी है और ना ही चुनाव में शिक्षकों की ड्यूटी लगाने में मेरा कोई रोल है. एनएसयूआई के मेरे ऊपर लगाए गए आरोप निराधार हैं. मैंने किसी भी तरीके से विद्यार्थी परिषद के प्रत्याशियों की चुनाव में कोई मदद नहीं की है." -प्रोफेसर रजनी अब्बी, प्रॉक्टर, डीयू
चौधरी ने मिरांडा हाउस कॉलेज के गेट पर एनएसयूआई प्रत्याशियों को रोकने वाली छात्राओं को एबीवीपी की जेएनयू यूनिट की कार्यकर्ता बताया. साथ ही यह भी आरोप लगाया है कि एबीवीपी का मिरांडा हाउस के गेट पर एनएसयूआई के प्रत्याशियों को रोककर प्रोपेगेंडा करने का प्लान पहले से था. इस प्लान के तहत ही उन्होंने एबीवीपी की जेएनयू यूनिट की कार्यकर्ताओं को गेट पर खड़ा किया और मिरांडा हाउस के कुछ एबीवीपी और बीजेपी से संबंध रखने वाले शिक्षकों ने हमारे प्रत्याशियों को गेट पर रोकने की कोशिश की. साथ ही गलत तरीके से वीडियो निकाल कर प्रोपेंडा फैलाने की कोशिश की गई.
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