वाराणसी : धर्मनगरी काशी पर्यटन के लिहाज से एक नया आयाम स्थापित करती जा रही है, जिसकी तस्वीर यहां पर मौजूद रिवर टूरिज्म के रूप में देखने को मिल रही है. वाराणसी रिवर टूरिज्म का केंद्र बनने की तैयारी में है. काशी को पहला इलेक्ट्रॉनिक क्रूज मिला है, इसका नाम है कैटमरॉन. इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने वाराणसी दौरे पर यहां के लोगों को समर्पित किया है. इस क्रूज की मदद से अब पर्यटक आसानी से गंगा की सैर और आरती का दर्शन कर सकेंगे.
वाराणसी में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश में डबल इंजन की सरकार लगातार कई प्रयास कर रही है. इसके लिए मंदिरों का जीर्णाद्धार किए जाने लेकर उनका कायाकल्प किया जाना. सड़कों की मरम्मत से लेकर पार्किंग स्थल का निर्माण. बिजली-पानी की व्यवस्था को दुरुस्त करने का काम किया जा रहा है. इसके साथ ही स्पेशल बस चलाई जा रही है. गंगा में क्रूज का भी संचालन किया जा रहा है. मगर इस बार जो क्रूज गंगा की गोद में उतारी गई है, वह कुछ खास है. यह डिजिटल क्रूज कहा जा रहा है. इसे रिवर मेट्रो भी कहा जा रहा है. यह पूरी तरीके से पर्यावरण फ्रेंडली है. बैट्री से चलने वाला यह क्रूज रविदास घाट से नमो घाट तक चलेगा. इसमें सिटिंग क्षमता 100 लोगों की है.
इस तरीके से बनाया गया है क्रूज
क्रूज को ऐसा बनाया गया है, जिससे कि खुली छत के साथ पर्यटक वाराणसी के घाटों का नजारा मां गंगा की गोद में बैठकर देख सकेंगे. इस पर बालकनी बनाई गई है, जो कि ओपन रूफ है. इस क्रूज को पानी का मेट्रो कहा जा रहा है. जिस तरीके से मेट्रो ट्रेनों में सुविधाएं होती हैं, ठीक उसी तरीके से गंगा की गोद में संचालित होने वाला ये इलेक्ट्रॉनिक क्रूज मेट्रो ट्रेन की तर्ज पर तैयार किया गया है. इस क्रूज में यात्रियों को आधुनिक सुविधाएं मिलेंगी. इस क्रूज में बैठने के लिए बेहतरीन सीट की व्यवस्था की गई है. सुरक्षा के लिहाज से क्रूज में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं. यहां आने वाले पर्यटकों का किस तरीके से खयाल रखा जाए इसको लेकर भी ध्यान रखा गया है.
50 लोग बैठ सकते हैं, 50 खड़े हो सकते हैं
क्रूज के संचालक बताते हैं कि इस क्रूज को चलाने के लिए डीजल आदि की जरूरत नहीं होती है. पॉल्यूशन भी नहीं होगा. वहीं गर्मी के दिनों में इस क्रूज के अंदर एसी भी चलाया जाएगा. इसमें 50 यात्री बैठकर घूम सकते हैं. क्रूज में टीवी भी लगा है. जिस तरीके से शहरों में मेट्रो ट्रेन चलती है, उसी तरीक से इसे बनाया गया है. इसका नाम भी वाटर मेट्रो है. मेट्रो में जैसी सुविधा है. उसी तरह इसमें भी सुविधा है. उन्होंने बताया कि मेट्रो में 50 लोग बैठ सकते हैं और 50 लोग खड़े रहकर यात्रा कर सकते हैं. 100 लोगों के लिए इसे तैयार किया गया है.
20 मिनट में नमो घाट की होगी यात्रा
इसके संचालन को लेकर उन्होंने बताया कि रविदास घाट से नमो घाट तक इसका संचालन किया जाएगा. ये क्रूज तीन मोड में चलती है. एक मोड है बैट्री का. अगर बैट्री ज्यादा खर्च हो गई है तब डीजल सिस्टम का इंजन चलेगा, लेकिन इसे ज्यादा नहीं चलाया जाएगा. जब तक बैट्री से क्रूज चल रहा है तो हम उसी से चलाएंगे. हम रविदास से नमोघाट पर 20 मिनट में पहुंच जाएंगे. इस क्रूज के जरिए पर्यावरण का भी खासा खयाल रखा गया है कि किस तरीके से पर्यावरण को संरक्षित करते हुए बनारस में रिवर टूरिज्म को नया आयाम दिया जा सके. यही वजह है कि ये इलेक्ट्रॉनिक क्रूज है जोकि पर्यावरण की दृष्टि से लाभदायक है.