जयपुर. यूडीएच विभाग में ट्रांसफर से लेकर टेंडर तक सभी कार्यों की स्वीकृति अब यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा से लेनी होगी. खर्रा ने आवासन मंडल सहित प्रदेश के नगरीय निकायों, नगर विकास न्यास और विकास प्राधिकरण में सरकार स्तर पर होने वाले कार्य विभाजन के स्टैंडिंग आदेश जारी किए हैं. उन्होंने इसमें कई अतिरिक्त वित्तीय और प्रशासनिक अधिकार अधिकारियों को न देते हुए अपने ही पास रखे हैं.
प्रदेश में अब लोकल बॉडीज में कोई भी काम यूडीएच मंत्री की स्वीकृति के बिना नहीं हो सकेगा. इस संबंध में मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने स्टैंडिंग आदेश जारी किए हैं. जिसके तहत छोटा सा टेंडर करने से लेकर कर्मचारियों के कार्य और प्रतिनियुक्ति की अंतिम स्वीकृति उनसे लेनी होगी. यही नहीं 20 लाख से ज्यादा का फर्नीचर खरीदना होगा तो उसके लिए भी फाइल मंत्री स्तर पर भेजनी होगी. वहीं रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी, आवासन मंडल के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति से लेकर उन्हें पद से हटाने और उनका कार्यकाल बढ़ाने का फैसला भी मंत्री स्तर पर ही होगा. हालांकि मंत्री खुद इस विषय में सीएम से भी चर्चा करेंगे.
इसके अलावा विकास प्राधिकरण और नगर विकास न्यास में चार करोड़ से ज्यादा के टेंडर की फाइल भी मंत्री के पास जाएगी. जबकि इससे कम राशि की फाइल प्रमुख शासन सचिव मंजूर कर सकेंगे. हालांकि आवासन मंडल के मामले में हर निविदा फाइल को मंत्री के हाथ के नीचे से गुजरना होगा. ऐसे में ये भी कहा जा सकता है कि समितियां और अध्यक्ष के अधिकार सीमित रखते हुए मंत्री ने टॉप से बॉटम तक पूरा कंट्रोल अपने हाथ में रखा है. हालांकि 6 महीने पहले ही स्टैंडिंग ऑर्डर जारी किए गए थे, जिसमें अब संशोधन किया गया है. इसके पीछे तर्क दिया जा रहा है कि कुछ क्लेरिकल कमियां रह गई थी. इसलिए अब संशोधित आदेश जारी किए गए हैं.
बहरहाल, संशोधित स्टैंडिंग आदेश के बाद अब नगरीय निकायों में अधिकारियों को कर्मचारियों के ट्रांसफर के लिए भी मंत्री से स्वीकृति लेनी होगी. मंत्री के स्तर पर अंतिम स्वीकृति मिलने के बाद ही निकायों, यूआईटी, विकास प्राधिकरण, हाउसिंग बोर्ड और रेरा में ट्रांसफर होंगे.