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मोदी सरकार ने पलटा 58 साल पुराना फैसला; अब RSS की शाखाओं में जा सकेंगे सरकारी कर्मचारी, मायावती भड़कीं - Government Employees RSS Shakha

बसपा सुप्रीमो मायावती ने तर्क दिया है कि आरएसएस राजनीतिक गतिविधियों में लिप्त है. लिहाजा, सरकारी कर्मचारियों को आरएसएस की शाखाओं में जाने की अनुमति नहीं होनी चाहिए. सरकार का यह कदम बिल्कुल गलत है. इसे हरहाल में वापस लेना चाहिए.

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पीएम मोदी ने 58 साल पुराना प्रतिबंध हटाया तो बसपा सुप्रीमो मायावती ने किया विरोध. (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jul 22, 2024, 12:12 PM IST

Updated : Jul 22, 2024, 12:58 PM IST

लखनऊ: केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखाओं में सरकारी कर्मचारियों के जाने पर लगे 58 साल पुराने प्रतिबंध को हटा लिया है. यानी अब सरकारी कर्मचारी भी आरएसएस की शाखाओं में जा सकते हैं. केंद्र सरकार के इस निर्णय का बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष व उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने कड़ा विरोध किया है.

उन्होंने इस निर्णय को तत्काल वापस लेने की मांग की है. तर्क दिया है कि आरएसएस राजनीतिक गतिविधियों में लिप्त है. लिहाजा, सरकारी कर्मचारियों को आरएसएस की शाखाओं में जाने की अनुमति नहीं होनी चाहिए. सरकार का यह कदम बिल्कुल गलत है. इसे हरहाल में वापस लेना चाहिए. बसपा सुप्रीमो मायावती ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट की है.

मायावती ने अपनी पोस्ट में लिखा है कि सरकारी कर्मचारियों को आरएसएस की शाखाओं में जाने पर 58 वर्ष से जारी प्रतिबंध को हटाने का केन्द्र का निर्णय देशहित से परे है. राजनीति से प्रेरित संघ तुष्टीकरण का निर्णय है, जिससे सरकारी नीतियों व इनके अहंकारी रवैयों आदि को लेकर लोकसभा चुनाव के बाद दोनों के बीच तीव्र हुई तल्खी दूर हो.

सरकारी कर्मचारियों को संविधान व कानून के दायरे में रहकर निष्पक्षता के साथ जनहित व जनकल्याण में कार्य करना जरूरी होता है, जबकि कई बार प्रतिबन्धित रहे आरएसएस की गतिविधियां काफी राजनीतिक ही नहीं बल्कि पार्टी विशेष के लिए चुनावी भी रही हैं. ऐसे में यह निर्णय अनुचित है, इसे वापस लेना चाहिए. इस मुद्दे पर कांग्रेस भी आवाज उठा चुकी है.

बता दें कि केंद्र सरकार के इस फैसले का सिर्फ बहुजन समाज पार्टी ही नहीं, अन्य विपक्षी दल भी विरोध कर रहे हैं. राजनीतिक दलों का मानना है कि पिछले लोकसभा चुनाव में आरएसएस और भारतीय जनता पार्टी के बीच तल्खी बढ़ी है. यही वजह है कि भारतीय जनता पार्टी इस तरह के फैसले ले रही है, जिससे आरएसएस के साथ संबंध अच्छे रहें.

अब समझिए पूरा मामला: दरअसल, केंद्र की पहले की सरकारों ने सरकारी कर्मचारियों के संघ के कार्यक्रमों में जाने को बैन कर दिया था. ऐसी गतिविधियों में शामिल होने पर उनके खिलाफ कार्रवाई और सजा देने का प्रावधान भी लागू था.

1966, 1970 और 1980 में लागू किए गए ऐसे आदेशों के तहत कुछ अन्य संस्थाओं के साथ-साथ आरएसएस की शाखाओं और अन्य गतिविधियों में शामिल होने पर सरकारी कर्मचारियों पर एक्शन के प्रावधान किए गए थे.

लेकिन, अब मोदी सरकार ने हाल ही में पूर्व की केंद्र सरकारों के द्वारा जारी इन आदेशों में बदलाव कर दिया है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के अधीन आने वाले डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल और ट्रेनिंग ने एक आदेश जारी करते हुए सरकारी कर्मचारियों के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की तमाम गतिविधियों में शामिल होने पर लगा प्रतिबंध हटा लिया है.

मध्य प्रदेश जैसे कई राज्य पहले ही रद्द कर चुके केंद्र का आदेश: संघ की शाखाओं में जाने व RSS की अन्य गतिविधियों में शामिल होने पर प्रतिबंध को कई राज्य पहले ही रद्द कर चुके थे. ऐसे राज्यों में मध्य प्रदेश भी शामिल है, लेकिन ये आदेश अब तक केंद्र के स्तर से लागू था. इसकी वजह से पेंशन और रिटायरमेंट के अन्य लाभ को देखते हुए सरकारी कर्मचारी संघ की गतिविधियों में शामिल होने से कतराते थे.

ये भी पढ़ेंः लखनऊ में शादियां होंगी महंगी; कम्युनिटी सेंटरों का किराया दोगुना करने की तैयारी में LDA

लखनऊ: केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखाओं में सरकारी कर्मचारियों के जाने पर लगे 58 साल पुराने प्रतिबंध को हटा लिया है. यानी अब सरकारी कर्मचारी भी आरएसएस की शाखाओं में जा सकते हैं. केंद्र सरकार के इस निर्णय का बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष व उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने कड़ा विरोध किया है.

उन्होंने इस निर्णय को तत्काल वापस लेने की मांग की है. तर्क दिया है कि आरएसएस राजनीतिक गतिविधियों में लिप्त है. लिहाजा, सरकारी कर्मचारियों को आरएसएस की शाखाओं में जाने की अनुमति नहीं होनी चाहिए. सरकार का यह कदम बिल्कुल गलत है. इसे हरहाल में वापस लेना चाहिए. बसपा सुप्रीमो मायावती ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट की है.

मायावती ने अपनी पोस्ट में लिखा है कि सरकारी कर्मचारियों को आरएसएस की शाखाओं में जाने पर 58 वर्ष से जारी प्रतिबंध को हटाने का केन्द्र का निर्णय देशहित से परे है. राजनीति से प्रेरित संघ तुष्टीकरण का निर्णय है, जिससे सरकारी नीतियों व इनके अहंकारी रवैयों आदि को लेकर लोकसभा चुनाव के बाद दोनों के बीच तीव्र हुई तल्खी दूर हो.

सरकारी कर्मचारियों को संविधान व कानून के दायरे में रहकर निष्पक्षता के साथ जनहित व जनकल्याण में कार्य करना जरूरी होता है, जबकि कई बार प्रतिबन्धित रहे आरएसएस की गतिविधियां काफी राजनीतिक ही नहीं बल्कि पार्टी विशेष के लिए चुनावी भी रही हैं. ऐसे में यह निर्णय अनुचित है, इसे वापस लेना चाहिए. इस मुद्दे पर कांग्रेस भी आवाज उठा चुकी है.

बता दें कि केंद्र सरकार के इस फैसले का सिर्फ बहुजन समाज पार्टी ही नहीं, अन्य विपक्षी दल भी विरोध कर रहे हैं. राजनीतिक दलों का मानना है कि पिछले लोकसभा चुनाव में आरएसएस और भारतीय जनता पार्टी के बीच तल्खी बढ़ी है. यही वजह है कि भारतीय जनता पार्टी इस तरह के फैसले ले रही है, जिससे आरएसएस के साथ संबंध अच्छे रहें.

अब समझिए पूरा मामला: दरअसल, केंद्र की पहले की सरकारों ने सरकारी कर्मचारियों के संघ के कार्यक्रमों में जाने को बैन कर दिया था. ऐसी गतिविधियों में शामिल होने पर उनके खिलाफ कार्रवाई और सजा देने का प्रावधान भी लागू था.

1966, 1970 और 1980 में लागू किए गए ऐसे आदेशों के तहत कुछ अन्य संस्थाओं के साथ-साथ आरएसएस की शाखाओं और अन्य गतिविधियों में शामिल होने पर सरकारी कर्मचारियों पर एक्शन के प्रावधान किए गए थे.

लेकिन, अब मोदी सरकार ने हाल ही में पूर्व की केंद्र सरकारों के द्वारा जारी इन आदेशों में बदलाव कर दिया है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के अधीन आने वाले डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल और ट्रेनिंग ने एक आदेश जारी करते हुए सरकारी कर्मचारियों के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की तमाम गतिविधियों में शामिल होने पर लगा प्रतिबंध हटा लिया है.

मध्य प्रदेश जैसे कई राज्य पहले ही रद्द कर चुके केंद्र का आदेश: संघ की शाखाओं में जाने व RSS की अन्य गतिविधियों में शामिल होने पर प्रतिबंध को कई राज्य पहले ही रद्द कर चुके थे. ऐसे राज्यों में मध्य प्रदेश भी शामिल है, लेकिन ये आदेश अब तक केंद्र के स्तर से लागू था. इसकी वजह से पेंशन और रिटायरमेंट के अन्य लाभ को देखते हुए सरकारी कर्मचारी संघ की गतिविधियों में शामिल होने से कतराते थे.

ये भी पढ़ेंः लखनऊ में शादियां होंगी महंगी; कम्युनिटी सेंटरों का किराया दोगुना करने की तैयारी में LDA

Last Updated : Jul 22, 2024, 12:58 PM IST
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