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अब QR कोड स्कैन कर कई भाषाओं में जान सकेंगे बुद्धिस्ट सर्किट का इतिहास, टूरिस्ट गाइड की नहीं पड़ेगी जरूरत - VARANASI BUDDHIST CIRCUIT

पर्यटकों का डिजिटल वेलकम करेगा UP टूरिज्म विभाग, बनारस से हो रही शुरुआत, सारनाथ में लगाए जाएंगे आधुनिक साइनेज बोर्ड.

UP टूरिज्म विभाग ने बनाया प्लान.
UP टूरिज्म विभाग ने बनाया प्लान. (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Dec 30, 2024, 9:53 AM IST

वाराणसी : विश्वनाथ कॉरिडोर के निर्माण के बाद वाराणसी में पर्यटन को एक नई दिशा मिली है. 3 सालों में पर्यटकों के आकड़ों ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. अब उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग बाबा विश्वनाथ के साथ भगवान बुद्ध की तपोस्थली सारनाथ में भी पर्यटकों का स्वागत करने के लिए नई दिशा में काम कर रहा है. इसके लिए सौंदर्यीकरण के साथ पर्यटकों के मूलभूत सुविधाओं पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. सारनाथ बुद्ध सर्किट में आधुनिक साइनेज बोर्ड लगाए जाएंगे. ये क्यूआर कोड आधारित होंगे. स्कैन करते ही ये अलग-अलग भाषाओं में पर्यटकों को सारनाथ का इतिहास बताएंगे.

QR कोड से स्कैन कर जान सकेंगे इतिहास. (Video Credit; ETV Bharat)

बता दें कि वाराणसी के सारनाथ में भगवान बुद्ध की तपोस्थली है. इसे देखने के लिए देश-दुनिया से बुद्ध अनुयायी आते हैं. इसमें सबसे ज्यादा संख्या जापान, श्रीलंका, तिब्बत के लोगों की होती है. भगवान बुद्ध के तपोस्थली पर घूमने के लिए उन्हे गाइड की भी जरूरत पड़ती है. पहली बार आने वाले पर्यटकों को स्थान के बारे में जानकारी लेने के लिए मदद की जरूरत पड़ती है.

हर मंदिर-धरोहर के बारे में जान सकेंगे : अब ऐसी व्यवस्था की जा रही है कि पर्यटकों को यहां घूमने के लिए किसी टूरिस्ट गाइड की जरूरत ही नहीं पड़ेगी. उनकी मदद के लिए उत्तर प्रदेश टूरिज्म विभाग ने आधुनिक रास्ता निकाल लिया है. इसके तहत सारनाथ के चप्पे-चप्पे पर आधुनिक और महंगे साइनेज बोर्ड लगाए जाएंगे. इस पर भगवान बुद्ध से जुड़ी जानकारियों को लिखा जाएगा. इससे पर्यटक यहां स्थापित हर मंदिर व धरोहर के बारे में जान सकेंगे.

क्यूआर कोड बेस होंगे साइनेज बोर्ड : पर्यटन उपनिदेशक आरके रावत ने बताया कि यहां पर लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं का आना होता है. ऐसे में उन्हें सारनाथ घूमने के लिए टूरिस्ट गाइड की जरूरत पड़ती है. कुछ ऐसे भी पर्यटक होते हैं जो गाइड को नहीं हायर करते, अकेले ही भ्रमण पर निकल पड़ते हैं. इसकी वजह से उन्हें कई बार यहां की वास्तविक जानकारी नहीं मिल पाती है. इसी को देखते हुए क्यूआर कोड बेस साइनेज बोर्ड लगाने की व्यवस्था की जा रही है. यह साइनेज भगवान बुद्ध के जीवन से जुड़े हर मंदिर व एतिहासिक धरोहर पर लगाई जाएगी. इसे स्कैन करके यात्री संबंधित धरोहर या मंदिर की पूरी जानकारी ले सकेंगे.

500 से ज्यादा मंदिर क्यूआर से लैस : उन्होंने बताया कि यह साइनेज हिंदी, इंग्लिश के साथ साथ जापानी और तिब्बती भाषा में होंगे. इससे मंदिर के साथ-साथ वहां तक जाने की जानकारी भी प्राप्त हो जाएगी, जो पर्यटकों को खासा लाभ पहुंचाएगी. प्रतिदिन एक लाख के लगभग पर्यटक यहां आते हैं. अब तक बनारस में लगभग 500 से ज्यादा मंदिरों को क्यूआर व साइनेज से लैस किया गया है, जहां पर बाकायदा मंदिर के नाम के साथ स्कैनर लगाए गए हैं.

पूरे यूपी में भगवान बुद्ध से जुड़े स्थानों पर लगेगा बोर्ड : स्कैन करके कोई भी श्रद्धालु बनारस के मंदिरों की जानकारी प्राप्त कर सकता है. यह जानकारी पूरी तरीके से सत्य होती है. इसी क्रम पर अब यह कवायद बुद्ध सर्किट पर भी की जा रही है. जल्द ही इस पर काम शुरू होगा. उत्तर प्रदेश में पड़ने वाले सभी भगवान बुद्ध के स्थानों पर इस तरीके से क्यूआर को लगाने का प्रावधान है. इसकी शुरुआत बनारस से हो रही है. टेंडर आवंटित कर दिया गया है. यूपीसीएल कार्यदायी संस्था है.जल्द ही काम शुरू किया जाएगा.

बनारस में भगवान बुद्ध के जीवन से जुड़े हुए सारनाथ में मौजूद सभी स्थानों पर इसे लगाया जाएगा. इस आधुनिक साइनेज से सारनाथ में आने वाले पर्यटकों को भटकना नहीं पड़ेगा, एक स्कैन करते ही उन्हें पूरी जानकारी मिल जाएगी. उन्हें आगे बढ़ने में भी मदद मिलेगी. इससे पर्यटक अवैध गाइडों के शिकार भी नहीं होंगे. उन्हें इतिहास की सटीक जानकारी भी प्राप्त होगी.

अब जानिए क्या है बुद्धिस्ट सर्किट : बुद्धिस्ट सर्किट बौद्ध धर्म के संस्थापक बुद्ध से संबंधित हैं. इसमें वे पवित्र स्थल शामिल हैं, जहां भगवान बुद्ध शिक्षा दी, निवास किया. यहां भगवान बुद्ध के आध्यात्मिक विकास की झलक देखने को मिलती है. कपिवस्तु, सारनाथ, श्रावस्ती, संकिसा, कौशांबी और कुशीनगर बुद्ध से संबंधित हैं. बनारस जिला मुख्यालय से 10 किमी की दूरी पर सारनाथ स्थित है. यहां भगवान बुद्ध ने ज्ञान प्राप्ति के बाद पहला उपदेश दिया था. शहर में प्रसिद्ध सिंह स्तंभ या अशोक स्तंभ भी है. पर्यटक चौखंडी स्तूप, मूलगंध कुटी विहार और सारनाथ आश्रम के शांत वातावरण का आनंद लेते हैं.

यह भी पढ़ें : 90 करोड़ से बदल गया बनारस का सारनाथ, अब नए कलेवर में आएगा नजर, पर्यटकों को मिलेगी ये सुविधा

वाराणसी : विश्वनाथ कॉरिडोर के निर्माण के बाद वाराणसी में पर्यटन को एक नई दिशा मिली है. 3 सालों में पर्यटकों के आकड़ों ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. अब उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग बाबा विश्वनाथ के साथ भगवान बुद्ध की तपोस्थली सारनाथ में भी पर्यटकों का स्वागत करने के लिए नई दिशा में काम कर रहा है. इसके लिए सौंदर्यीकरण के साथ पर्यटकों के मूलभूत सुविधाओं पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. सारनाथ बुद्ध सर्किट में आधुनिक साइनेज बोर्ड लगाए जाएंगे. ये क्यूआर कोड आधारित होंगे. स्कैन करते ही ये अलग-अलग भाषाओं में पर्यटकों को सारनाथ का इतिहास बताएंगे.

QR कोड से स्कैन कर जान सकेंगे इतिहास. (Video Credit; ETV Bharat)

बता दें कि वाराणसी के सारनाथ में भगवान बुद्ध की तपोस्थली है. इसे देखने के लिए देश-दुनिया से बुद्ध अनुयायी आते हैं. इसमें सबसे ज्यादा संख्या जापान, श्रीलंका, तिब्बत के लोगों की होती है. भगवान बुद्ध के तपोस्थली पर घूमने के लिए उन्हे गाइड की भी जरूरत पड़ती है. पहली बार आने वाले पर्यटकों को स्थान के बारे में जानकारी लेने के लिए मदद की जरूरत पड़ती है.

हर मंदिर-धरोहर के बारे में जान सकेंगे : अब ऐसी व्यवस्था की जा रही है कि पर्यटकों को यहां घूमने के लिए किसी टूरिस्ट गाइड की जरूरत ही नहीं पड़ेगी. उनकी मदद के लिए उत्तर प्रदेश टूरिज्म विभाग ने आधुनिक रास्ता निकाल लिया है. इसके तहत सारनाथ के चप्पे-चप्पे पर आधुनिक और महंगे साइनेज बोर्ड लगाए जाएंगे. इस पर भगवान बुद्ध से जुड़ी जानकारियों को लिखा जाएगा. इससे पर्यटक यहां स्थापित हर मंदिर व धरोहर के बारे में जान सकेंगे.

क्यूआर कोड बेस होंगे साइनेज बोर्ड : पर्यटन उपनिदेशक आरके रावत ने बताया कि यहां पर लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं का आना होता है. ऐसे में उन्हें सारनाथ घूमने के लिए टूरिस्ट गाइड की जरूरत पड़ती है. कुछ ऐसे भी पर्यटक होते हैं जो गाइड को नहीं हायर करते, अकेले ही भ्रमण पर निकल पड़ते हैं. इसकी वजह से उन्हें कई बार यहां की वास्तविक जानकारी नहीं मिल पाती है. इसी को देखते हुए क्यूआर कोड बेस साइनेज बोर्ड लगाने की व्यवस्था की जा रही है. यह साइनेज भगवान बुद्ध के जीवन से जुड़े हर मंदिर व एतिहासिक धरोहर पर लगाई जाएगी. इसे स्कैन करके यात्री संबंधित धरोहर या मंदिर की पूरी जानकारी ले सकेंगे.

500 से ज्यादा मंदिर क्यूआर से लैस : उन्होंने बताया कि यह साइनेज हिंदी, इंग्लिश के साथ साथ जापानी और तिब्बती भाषा में होंगे. इससे मंदिर के साथ-साथ वहां तक जाने की जानकारी भी प्राप्त हो जाएगी, जो पर्यटकों को खासा लाभ पहुंचाएगी. प्रतिदिन एक लाख के लगभग पर्यटक यहां आते हैं. अब तक बनारस में लगभग 500 से ज्यादा मंदिरों को क्यूआर व साइनेज से लैस किया गया है, जहां पर बाकायदा मंदिर के नाम के साथ स्कैनर लगाए गए हैं.

पूरे यूपी में भगवान बुद्ध से जुड़े स्थानों पर लगेगा बोर्ड : स्कैन करके कोई भी श्रद्धालु बनारस के मंदिरों की जानकारी प्राप्त कर सकता है. यह जानकारी पूरी तरीके से सत्य होती है. इसी क्रम पर अब यह कवायद बुद्ध सर्किट पर भी की जा रही है. जल्द ही इस पर काम शुरू होगा. उत्तर प्रदेश में पड़ने वाले सभी भगवान बुद्ध के स्थानों पर इस तरीके से क्यूआर को लगाने का प्रावधान है. इसकी शुरुआत बनारस से हो रही है. टेंडर आवंटित कर दिया गया है. यूपीसीएल कार्यदायी संस्था है.जल्द ही काम शुरू किया जाएगा.

बनारस में भगवान बुद्ध के जीवन से जुड़े हुए सारनाथ में मौजूद सभी स्थानों पर इसे लगाया जाएगा. इस आधुनिक साइनेज से सारनाथ में आने वाले पर्यटकों को भटकना नहीं पड़ेगा, एक स्कैन करते ही उन्हें पूरी जानकारी मिल जाएगी. उन्हें आगे बढ़ने में भी मदद मिलेगी. इससे पर्यटक अवैध गाइडों के शिकार भी नहीं होंगे. उन्हें इतिहास की सटीक जानकारी भी प्राप्त होगी.

अब जानिए क्या है बुद्धिस्ट सर्किट : बुद्धिस्ट सर्किट बौद्ध धर्म के संस्थापक बुद्ध से संबंधित हैं. इसमें वे पवित्र स्थल शामिल हैं, जहां भगवान बुद्ध शिक्षा दी, निवास किया. यहां भगवान बुद्ध के आध्यात्मिक विकास की झलक देखने को मिलती है. कपिवस्तु, सारनाथ, श्रावस्ती, संकिसा, कौशांबी और कुशीनगर बुद्ध से संबंधित हैं. बनारस जिला मुख्यालय से 10 किमी की दूरी पर सारनाथ स्थित है. यहां भगवान बुद्ध ने ज्ञान प्राप्ति के बाद पहला उपदेश दिया था. शहर में प्रसिद्ध सिंह स्तंभ या अशोक स्तंभ भी है. पर्यटक चौखंडी स्तूप, मूलगंध कुटी विहार और सारनाथ आश्रम के शांत वातावरण का आनंद लेते हैं.

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