नई दिल्ली: दिल्ली के राऊज एवेन्यू कोर्ट ने दिल्ली आबकारी घोटाला मामले के संदर्भ में मनी लांड्रिंग के आरोपियों में शामिल पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को एक महत्वपूर्ण राहत प्रदान की है. अदालत ने केजरीवाल द्वारा दायर उस याचिका पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को नोटिस जारी किया है, जिसमें उन्होंने अपने खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए आवश्यक दस्तावेजों की मांग की है. इस मामले की अगली सुनवाई 26 नवंबर को होगी.
कोर्ट में पेश की गई याचिका में केजरीवाल ने स्पष्ट किया है कि ट्रायल कोर्ट ने ईडी द्वारा पेश चार्जशीट पर आपराधिक प्रक्रिया का पालन किए बिना संज्ञान लिया, जो कि कानूनी दृष्टिकोण से सही नहीं है. उनके अनुसार, मुकदमा शुरू करने के लिए आवश्यक अनुमति बिना ली गई थी, जिससे न्यायिक प्रक्रिया पर सवाल उठता है.
वहीं, इस मामले में केजरीवाल की एक अदालती स्थिति यह भी है कि सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दिल्ली हाईकोर्ट में कहा था कि उनकी अनुमति ली गई थी, जिसके आधार पर केजरीवाल ने दस्तावेजों की मांग की.
10 जुलाई 2023 को, राऊज एवेन्यू कोर्ट ने ईडी के चार्जशीट पर संज्ञान लेते हुए केजरीवाल को पेश होने का आदेश दिया था. 17 मई को ईडी ने अपनी सातवीं पूरक चार्जशीट दाखिल की थी, जिसमें आम आदमी पार्टी और उसके नेताओं को आरोपी बनाया गया था. इस दौरान, केजरीवाल के अलावा संजय सिंह, मनीष सिसोदिया, और के कविता को भी सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल चुकी है.
केस की पृष्ठभूमि: ईडी द्वारा 21 मार्च को पूछताछ के दौरान केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद यह मामला जांच के दायरे में आया. 10 मई को सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें अंतरिम जमानत दी थी. इसके बाद, उन्हें 2 जून को सरेंडर करना पड़ा. इस मामले से पहले, 26 जून को सीबीआई ने उन्हें गिरफ्तार किया था.
अदलत में मौजूदा विवाद का केंद्र यह है कि क्या ईडी ने ठीक से न्यायिक प्रक्रिया का पालन किया या नहीं. यह मामला न केवल केजरीवाल के राजनीतिक भविष्य के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह राजनीति और कानून के बीच की जटिलताओं को भी उजागर करता है.
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