जयपुर: राजधानी जयपुर के सवाईमान सिंह अस्पताल के सुपरस्पेशलिटी ब्लॉक में संचालित उत्तर भारत के पहले स्किन बैंक में पिछले दो साल से महज 22 स्किन डोनेशन हुए हैं. इस स्किन बैंक की स्थापना जून 2022 में की गई थी, लेकिन अत्याधुनिक उपकरणों से लैस इस स्कीन बैंक का उपयोग जागरूकता के अभाव में नहीं हो पा रहा.
स्किन बैंक के नोडल अधिकारी डॉ. राकेश जैन का कहना है कि स्किन डोनेशन के लिए अब तक करीब 48 कॉल्स रिसीव की गई हैं, लेकिन 22 ही स्किन डोनेशन हो पाए हैं. हालांकि, उनका कहना है कि स्किन डोनेशन को लेकर लोगों में धीरे-धीरे जागरूकता नजर आ रही है. बर्न मरीजों के लिए डोनेटेड स्किन जीवनदान का काम कर सकती है, क्योंकि डोनेटेड स्किन बर्न मरीजों के लिए ड्रेसिंग का काम करती है.
डॉक्टर जैन का कहना है कि स्किन बैंक के माध्यम से त्वचा को लंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है, फिर जरूरत के मुताबिक मरीज को स्किन लगाई जा सकती है. इस प्रोसेस में हाथ और पैरों से स्किन ली जाती है. जब डोनेटेड स्किन बर्न मरीजों को लगाई जाती है तो दो से तीन सप्ताह बाद मरीज रिकवर करना शुरू हो जाता है और मरीज के बचने की उम्मीद काफी बढ़ जाती है. सुपरस्पेशलिटी ब्लॉक में स्थापित स्किन बैंक की खासियत यह है कि डोनेट की गई स्किन को 3 से 5 साल तक प्रिजर्व रखा जा सकता है.
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संक्रमण फैलने से होती है मौत : डॉ. राकेश जैन का कहना है कि कई बार हादसों के दौरान मरीज का शरीर 40 से 50 फीसदी तक झुलस जाता है. ऐसे में मरीज के शरीर से प्रोटीन लॉस और इलेक्ट्रोलाइट फ्लूड की कमी होने लगती है. इस लॉस के बाद धीरे-धीरे मरीज के शरीर में संक्रमण फैलना शुरू होता है और इस संक्रमण के कारण अधिकतर मरीजों की जान चली जाती है, लेकिन अब स्किन बैंक के माध्यम से ऐसे मरीजों को स्किन उपलब्ध कराई जा रही है.