नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच की साइबर सेल ने बलात्कार और धोखाधड़ी के मामले में 10 साल की सजा काट रहे एक भगोड़े को गिरफ्तार किया है. अभियुक्त को दिसंबर 2020 में मां के इलाज कराने के लिए अंतरिम जमानत दी गई थी. इसके बाद से वह अपनी गिरफ्तारी से बचता आ रहा था. दोषी को मार्च 2021 में सरेंडर करना था, लेकिन वह तब से ही पुलिस की आंख में धूल झोंककर बचता आ रहा था. दोषी ने तलाकशुदा महिला के साथ शादी का झांसा देकर दुष्कर्म किया था और भारतीय रेलवे में नौकरी दिलाने के नाम पर 6 लाख रुपए भी ठगी की थी. क्राइम ब्रांच की साइबर सेल ने उसको नोएडा की एक सोसाइटी से धरदबोचा है.
11 मार्च 2021 को सरेंडर करने के बजाय हो गया था फरारः डीसीपी राकेश पावरिया (अपराध-II एवं मुख्यालय) के मुताबिक, आम चुनाव-2024 के मद्देनजर साइबर सेल की टीम जघन्य मामलों के वांछित/फरार अभियुक्तों और पैरोल जंपर्स का पता लगाने के काम में जुटी थी. इस कड़ी में दक्षिणी दिल्ली के नेब सराय थाने में आईपीसी की धारा 376/420 के तहत दर्ज एक केस में राहुल भारद्वाज नाम के दोषी को 8 मई 2017 को 10 साल की सजा सुनाई गई थी. इसके बाद उसको 14 दिसंबर 2020 को अपनी बीमार मां के इलाज के लिए अंतरिम जमानत मिल गई थी. तब से वह फरार चल रहा था. आरोपी को 11 मार्च 2021 को सरेंडर करना था, लेकिन वह पुलिस की नजर से अपने को बचाता रहा.
पीड़ित महिला सरकारी कर्मचारी और तलाकशुदाः डीसीपी के मुताबिक, दोषी की गिरफ्तारी के लिए साइबर सेल, अपराध शाखा (दरियागंज) एसीपी प्रभात कुमार के निरीक्षण में इंस्पेक्टर वीरेंद्र सिंह के नेतृत्व में एक टीम गठित की गई. टीम ने 2017 के जघन्य मामले में 10 साल की सजा काट रहे राहुल भारद्वाज को पकड़ने की रणनीति तैयार की. इस मामले की महिला शिकायतकर्ता ने बताया था कि वह सरकारी कर्मचारी है और तलाकशुदा है. उन्होंने पुनर्विवाह के लिए अपनी प्रोफाइल जीवनसाथी.कॉम पर अपलोड की थी. वह राहुल भारद्वाज के संपर्क में आई थी जिसने उसे भारतीय रेलवे में कर्मचारी बताया था.
बीमार मां के इलाज के नाम पर मिली थी अंतरिम जमानतः दोनों सोशल मीडिया के जरिये एक दूसरे के करीब आए थे और राहुल भारद्वाज ने उसे भारतीय रेलवे में नौकरी की पेशकश भी की थी. इसकी एवज में दोषी राहुल ने महिला से 6 लाख रुपये की मांग की थी. उसने 6 लाख रुपए भी आरोपी को दे दिए थे, लेकिन राहुल ने उसको शादी का झांसा देकर उसके साथ जबरदस्ती की. बाद में उसे गिरफ्तार कर लिया गया और 31 अगस्त 2020 को राहुल भारद्वाज को 10 साल की सजा सुनाई गई थी. इसके बाद उसने 14 दिसंबर 2020 को अपनी बीमार मां के इलाज के नाम पर अंतरिम जमानत हासिल कर ली थी.
बार-बार बदलता रहा ठिकानेः इसकी धरपकड़ करने के लिए टीम ने दिल्ली-एनसीआर, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड के कई ठिकानों को लेकर जानकारी जुटाई, लेकिन उसे पकड़ने में कामयाबी हासिल नहीं हो सकी. इसकी बड़ी वजह यह रही कि वह बार-बार अपने ठिकाने बदल रहा था. टीम को टेक्नीकल मदद से जानकारी मिली कि राहुल भारद्वाज बिसरख, नोएडा (यूपी) में हो सकता है. स्थानीय मुखबिर की मदद से करीब दो दिनों तक लगातार नजर रखने के बाद टीम को पता चला कि उसकी बहन उक्त सोसायटी में रहती है और वह अपनी गिरफ्तारी से बचने के लिए पास ही एक फ्लैट में छिपकर रह रहा है.
आरोपी के घर के बाहर पुलिस ने बिछाया पूरा जालः टीम ने दोषी राहुल भारद्वाज की तस्वीरें एकत्र की और उसके फ्लैट के पास एक जाल बिछाया. इसके कुछ घंटों बाद दोषी की वहां एंट्री होती है, जिसके बाद टीम उसको उसके ठिकाने से धरदबोचने में कामयाब हो जाती है. पूछताछ के दौरान आरोपी राहुल भारद्वाज ने बताया कि वह अपने परिवार के साथ यूपी के आगरा में रहता था और नोएडा में एक बीपीओ कंपनी में काम करता था.
ये भी पढ़ें : नोएडा पुलिस ने दुष्कर्म के मामले में फरार आरोपी को किया गिरफ्तार
उसने बताया कि आसानी से पैसा कमाने के लिए उसे शादी/प्यार के बहाने भोली-भाली/तलाकशुदा महिलाओं से धोखाधड़ी करने का विचार आया. उसने शिकायतकर्ता को अपनी छोटी-छोटी बातों में फंसाया और उससे 6 लाख रुपये ठग लिए. उसने शादी का झांसा देकर उसके साथ शारीरिक संबंध भी बनाए थे. अंतरिम जमानत मिलने के बाद वह दिल्ली-एनसीआर, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड में अपने कई ठिकानों पर जाकर छिप गया था.
ये भी पढ़ें : द्वारका में ब्याज के नाम पर महिला ने ठगे 2 करोड़, 23 महिलाओं ने दर्ज कराई शिकायत