सिरमौर: हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिला के नौहराधार में स्थित को-ऑपरेटिव बैंक में सामने आए करोड़ों रुपये के बहुचर्चित घोटाले की चर्चा हर तरफ हो रही है. घोटाले के सामने आने के बाद उपभोक्ताओं के बीच हड़कंप मचा हुआ है. अभी तक हुई जांच में 4 करोड़ 2 लाख रुपये की हेरा-फेरी सामने आ चुकी है, लेकिन माना जा रहा है कि जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ेगी तो घोटाले की राशि का आंकड़ा भी बढ़ सकता है.
हालांकि बैंक प्रबंधन उपभोक्ताओं को बैंक में जमा करवाई गई राशि को पूरी तरह से सुरक्षित होने की बात कह रहा है, लेकिन कहीं न कहीं इस तरह का घोटाला सामने आने के बाद बैंक की कार्यप्रणाली पर दाग लगा है.
3 अगस्त को बैंक प्रबंधन के सामने आया मामला
बैंक प्रबंधन की मानें तो नौहराधार शाखा में तैनात सहायक प्रबंधक द्वारा करोड़ों रुपये की हेराफेरी का मामला बीते 3 अगस्त को प्रबंधन के सामने आया. करीब एक हफ्ते तक प्रबंधन ने खुद मामले की जांच की. प्रबंधन की तरफ से 10 अगस्त को इस संदर्भ में संगड़ाह पुलिस थाने में आरोपी कर्मचारी सहायक प्रबंधक के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई गई.
13 अगस्त को मामला हुआ जगजाहिर
मामले के सामने आने के बाद शिमला मुख्यालय से भी बैंक की टीम ने 2 दिनों तक सारे दस्तावेजों की जांच की. मामला तब सार्वजनिक हुआ, जब घोटाले की जानकारी लगते ही बहुत से उपभोक्ता 13 अगस्त को अपने बैंक खातों की जांच के लिए बैंक पहुंचे और तब मीडिया में मामला पहुंचने के बाद यह मामला जगजाहिर हो गया. तुरंत प्रभाव से सहायक प्रबंधक को सस्पेंड कर शिमला मुख्यालय भेज दिया गया और पुलिस में अलग से शिकायत दर्ज करवाई गई.
सहायक प्रबंधक पर लगे ये आरोप
सहायक बैंक प्रबंधक पर लोगों के नाम पर फर्जी तरीके से लिमिट बढ़वाने. कई लोगों की लिमिट पर फर्जी तरीके से लोन लिया. कुछ लोगों की एफडीआर का पूरा पैसा ही गबन कर दिया. कुछ लोगों की एफडीआर पर लोन ले लिया. कुछ लोगों के केसीसी अकाउंट से भी भारी राशि का गबन किया गया. बताया जा रहा है कि कई लोगों के एफडी खाते से लाखों रुपये का गबन हुआ है. कई खातों का बैलेंस भी जीरो हो गया है. अभी बैंक प्रबंधन की तरफ से मामले की विस्तृत जांच जारी है.
3 सालों के दस्तावेजों की हो रही जांच
बैंक प्रबंधन की ओर से बीते 3 सालों के दस्तावेजों की जांच की जा रही है. उधर कई उपभोक्ताओं ने भी बताया कि उनके साथ लाखों रुपये की हेरा-फेरी की गई है. कुछ उपभोक्ताओं का बैंक बैलेंस जीरो हो गया है. पुलिस सूत्रों की मानें तो बैंक प्रबंधन की तरफ से 4 करोड़ 2 लाख रुपये की हेराफेरी से संबंधित कागजात पुलिस को सौंप दिए गए हैं. अन्य दस्तावेजों को भी मांगा गया है. इसके अलावा पुलिस मामले की जांच में जुटी हुई है.
किरकिरी के बाद बैंक प्रबंधन हुआ सख्त
करोड़ों रुपये के घोटाले के बाद बैंक प्रबंधन भी सख्ती से कार्रवाई की बात कह रहा है. प्रबंधन की तरफ से अब तक बैंक के 7 कर्मचारियों को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड किया जा चुका है और 10 कर्मचारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई अमल में लाने के लिए उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है. यही नहीं नौहराधार शाखा में तैनात अन्य कर्मचारियों को भी दूसरी जगहों पर ट्रांसफर कर दिया गया है. इस मामले में विभागीय जांच के तुरंत आदेश जारी कर विस्तृत जानकारी बैंक प्रबंधन जुटा रहा है.
CBI से मामले की जांच करवाने की मांग
बैंक प्रबंधन इस घोटाले की जांच सीबीआई से करवाने की मांग कर रहा है. जांच के लिए मामला सीबीआई को भेजा गया है, लेकिन अब देखना होगा कि कब तक सीबीआई इस मामले को जांच के लिए अपने हाथों में लेती है.
उपभोक्ताओं की जमा राशि पूरी तरह से सुरक्षित
हिमाचल प्रदेश राज्य सहकारी बैंक के अध्यक्ष देवेंद्र श्याम ने कहा "इस प्रकार की घटनाएं बैंक के लिए बेहद चिंतनीय व अस्वीकार्य हैं. मामले में विस्तृत विभागीय जांच जारी है और गहनता से जांच पड़ताल के बाद ही पूरा सच सामने आएगा. जांच के लिए मामले को सीबीआई को भेज दिया गया है."
बैंक के सभी ग्राहकों को आश्वस्त करते हुए देवेंद्र श्याम ने कहा "उपभोक्ताओं की बैंक में जमा राशि पूरी तरह से सुरक्षित है. ऐसे में उन्हें किसी भी प्रकार की चिंता करने की जरूरत नहीं है. बैंक उनके प्रति पूरी निष्ठा रखता है और समर्पित भाव से उन्हें सभी प्रकार की बैंक सेवाएं प्रदान करने के लिए वचनबद्ध है.घोटाले में संलिप्त कोई भी बैंक कर्मी बख्शा नहीं जाएगा"
बैंक उपभोक्ताओं के विश्वास की एक संस्था होती है, लेकिन इस घोटाले के सामने आने के बाद कहीं न कहीं उपभोक्ताओं के विश्वास को भी झटका लगा है. अब पूरे प्रदेश में इस घोटाले की चर्चा हो रही है. माना जा रहा है कि जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ेगी, कई चौंकान्ने वाले खुलासे होने की उम्मीद है.
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