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सरकार की अनुमति के बिना नहीं हो सकेगा भूगर्भ जल का उपयोग; जल प्रबंधन समिति का गठन

Firozabad News : भूगर्भ जल का उपयोग करने के लिए सरकार से लेनी पड़ेगी एनओसी.

जल प्रबंधन समिति का गठन
जल प्रबंधन समिति का गठन (Photo credit: ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : 2 hours ago

फिरोजाबाद : जिले में भूगर्भ जल का उपयोग करने के लिए अब सरकार की अनुमति लेनी पड़ेगी. यहां सरकार ने भूगर्भ जल प्रबंधन परिषद का गठन कर दिया है. परिषद तय करेगी कि किसे भूगर्भ जल उपयोग की अनुमति दी जाए और किसको नहीं दी जाए. दरअसल, यूपी के कई जिलों में लगातार गिर रहे भूगर्भ जल स्तर को रोकने के लिए सरकार ने यह कदम उठाया है. आइए इस बारे में विस्तार से जानते हैं.

बता दें कि फिरोजाबाद जिले में पिछले एक दशक में भूगर्भ जल स्तर तेजी से गिरा है, हालांकि समय-समय पर जलस्तर को ऊपर उठाने की कोशिश भी हुई है, लेकिन नतीजा सार्थक नहीं निकला है. जिले के नौ में से चार ब्लाक तो ऐसे हैं जो डार्क एरिया हैं. मतलब यह कि यहां पानी का गंभीर संकट है. जनपद के टूंडला, हाथवंत, सदर, नारखी ब्लाक तो पूरी तरह डार्क एरिया हो चुके हैं, जबकि एका, शिकोहाबाद, मदनपुर यह एरिया आंशिक रूप से डार्क जोन हैं.

यूपी सरकार इस समस्या पर गंभीर है. सरकार ने भूगर्भ जल स्तर ऊपर उठाने के लिए कड़ा कदम उठाया है. सरकार ने जमीन के जल के निजी उपयोग पर रोक लगा दी है. मतलब यह कि अगर कोई जमीन के जल का उपयोग करेगा तो उसे सरकार से एनओसी लेनी पड़ेगी. इसके लिए जिले में जल प्रबंधन समिति का गठन किया गया है और इसी परिषद को एनओसी देने का अधिकार दिया गया है.

इस संबंध में मुख्य विकास अधिकारी शत्रोहन वैश्य ने बताया कि प्रदेश में गिरते हुए भूजल स्तर के संचयन एवं संरक्षण के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा अधिनियम 2019 एवं नियमावली 2020 लागू किया गया है. जिसका मूल उद्देश्य डार्क जोन को जल संचयन संरक्षण द्वारा सुरक्षित जोन में करना सुनिश्चित किया गया है. प्रदेश सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश भूगर्भ जल प्रबंधन एवं विनियम अधिनियम 2019 में दिए गए निर्देशों के क्रम में जनपद स्तर पर जिला भूगर्भ जल प्रबंधन परिषद का गठन किया गया है. परिषद द्वारा समस्त भूजल उपभोक्ताओं को अनापत्ति प्रमाण पत्र पंजीकरण करवाना अनिवार्य है, यदि कोई भूजल उपभोक्ता पंजीकरण एवं एनओसी नहीं लेता है तो उसके बोरवेल एवं कूप को पूर्णतया बंद करने का निर्देश परिषद दिया गया है.

मुख्य विकास अधिकारी शत्रोहन वैश्य ने बताया कि जिला भूगर्भ जल प्रबंधन परिषद की बैठक में कुल वेब पोर्टल में 190 आवेदन प्राप्त हुए, जिसमें औद्योगिक क्षेत्र में अनापत्ति प्रमाण पत्र के लिए 12 आवेदन, बल्क यूजर के 2 आवेदन, अनापत्ति प्रमाण पत्र के लिए व औद्योगिक पंजीकरण के लिए एक आवेदन तथा कृषि पंजीकरण के लिए 175 आवेदन प्राप्त हुए, जिसमें कुल 122 आवेदन स्वीकृत किए गए तथा 68 आवेदन अस्वीकृत किए गए हैं. सदस्य सचिव मुख्य विकास अधिकारी एवं जिला भूगर्भ जल प्रबंधन परिषद द्वारा विचार विमर्श के उपरांत समस्त भूजल उपभोक्ताओं एवं पूर्व में अनापत्ति प्राप्त एवं पंजीकरण प्राप्त किए गए. भूजल उपभोक्ताओं के वर्षा जल संचयन प्रणाली का भौतिक सत्यापन करने का निर्णय लिया गया है.

यह भी पढ़ें : यूपी में जल संकट; कानपुर में सालाना 50 सेंटीमीटर गिर रहा जल स्तर, होगी पानी की किल्लत - Kanpur water level

यह भी पढ़ें : भूगर्भीय संरचनाओं से छेड़छाड़ बढ़ा रही भूकंप से नुकसान का खतरा, नियंत्रित करना होगा भूगर्भ जल का दोहन

फिरोजाबाद : जिले में भूगर्भ जल का उपयोग करने के लिए अब सरकार की अनुमति लेनी पड़ेगी. यहां सरकार ने भूगर्भ जल प्रबंधन परिषद का गठन कर दिया है. परिषद तय करेगी कि किसे भूगर्भ जल उपयोग की अनुमति दी जाए और किसको नहीं दी जाए. दरअसल, यूपी के कई जिलों में लगातार गिर रहे भूगर्भ जल स्तर को रोकने के लिए सरकार ने यह कदम उठाया है. आइए इस बारे में विस्तार से जानते हैं.

बता दें कि फिरोजाबाद जिले में पिछले एक दशक में भूगर्भ जल स्तर तेजी से गिरा है, हालांकि समय-समय पर जलस्तर को ऊपर उठाने की कोशिश भी हुई है, लेकिन नतीजा सार्थक नहीं निकला है. जिले के नौ में से चार ब्लाक तो ऐसे हैं जो डार्क एरिया हैं. मतलब यह कि यहां पानी का गंभीर संकट है. जनपद के टूंडला, हाथवंत, सदर, नारखी ब्लाक तो पूरी तरह डार्क एरिया हो चुके हैं, जबकि एका, शिकोहाबाद, मदनपुर यह एरिया आंशिक रूप से डार्क जोन हैं.

यूपी सरकार इस समस्या पर गंभीर है. सरकार ने भूगर्भ जल स्तर ऊपर उठाने के लिए कड़ा कदम उठाया है. सरकार ने जमीन के जल के निजी उपयोग पर रोक लगा दी है. मतलब यह कि अगर कोई जमीन के जल का उपयोग करेगा तो उसे सरकार से एनओसी लेनी पड़ेगी. इसके लिए जिले में जल प्रबंधन समिति का गठन किया गया है और इसी परिषद को एनओसी देने का अधिकार दिया गया है.

इस संबंध में मुख्य विकास अधिकारी शत्रोहन वैश्य ने बताया कि प्रदेश में गिरते हुए भूजल स्तर के संचयन एवं संरक्षण के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा अधिनियम 2019 एवं नियमावली 2020 लागू किया गया है. जिसका मूल उद्देश्य डार्क जोन को जल संचयन संरक्षण द्वारा सुरक्षित जोन में करना सुनिश्चित किया गया है. प्रदेश सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश भूगर्भ जल प्रबंधन एवं विनियम अधिनियम 2019 में दिए गए निर्देशों के क्रम में जनपद स्तर पर जिला भूगर्भ जल प्रबंधन परिषद का गठन किया गया है. परिषद द्वारा समस्त भूजल उपभोक्ताओं को अनापत्ति प्रमाण पत्र पंजीकरण करवाना अनिवार्य है, यदि कोई भूजल उपभोक्ता पंजीकरण एवं एनओसी नहीं लेता है तो उसके बोरवेल एवं कूप को पूर्णतया बंद करने का निर्देश परिषद दिया गया है.

मुख्य विकास अधिकारी शत्रोहन वैश्य ने बताया कि जिला भूगर्भ जल प्रबंधन परिषद की बैठक में कुल वेब पोर्टल में 190 आवेदन प्राप्त हुए, जिसमें औद्योगिक क्षेत्र में अनापत्ति प्रमाण पत्र के लिए 12 आवेदन, बल्क यूजर के 2 आवेदन, अनापत्ति प्रमाण पत्र के लिए व औद्योगिक पंजीकरण के लिए एक आवेदन तथा कृषि पंजीकरण के लिए 175 आवेदन प्राप्त हुए, जिसमें कुल 122 आवेदन स्वीकृत किए गए तथा 68 आवेदन अस्वीकृत किए गए हैं. सदस्य सचिव मुख्य विकास अधिकारी एवं जिला भूगर्भ जल प्रबंधन परिषद द्वारा विचार विमर्श के उपरांत समस्त भूजल उपभोक्ताओं एवं पूर्व में अनापत्ति प्राप्त एवं पंजीकरण प्राप्त किए गए. भूजल उपभोक्ताओं के वर्षा जल संचयन प्रणाली का भौतिक सत्यापन करने का निर्णय लिया गया है.

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