निवाड़ी: जिले के पनिहारी में शादी के दौरान दूल्हे पक्ष ने दहेज लेने से इंकार कर दिया. लड़के के पक्ष वालों ने कहा कि "शादी में दहेज लेना समाज की सबसे बड़ी कुप्रथा है. बेटियां परिवार पर बोझ नहीं, बेटियां तो संबल होती हैं. आज के वर्तमान युग में मां-बाप दहेज के डर से बेटियों को पैदा करने से डरते हैं, क्योंकि दहेज के रूप में उनके जीवन की अमूल्य पूंजी एक झटके में चली जाती है. लेकिन, आज समय आ गया है कि समस्त समाज और हमारा सामाजिक परिवेश इस धारणा को बदले और दहेज मुक्त समाज का निर्माण करे."
'अपेक्षाओं से नहीं स्वयं की सोच से होगा बदलाव'
निवाड़ी के पनिहारी निवासी समाजसेवी सुरेंद्र प्रकाश यादव अपने पुत्र प्रदीप यादव के विवाह में दहेज लेने से इंकार कर दिया. शादी समारोह कार्यक्रम के दौरान उन्होंने दुल्हन पक्ष की ओर से दिए गए 11 लाख रुपए को वापस कर दिए. उन्होंने कहा कि "यह एक मुहिम है, जिसे समाज को आगे बढ़ाना चाहिए. दूसरों की अपेक्षाओं से नहीं ये स्वयं की सोच से शुरू होती है. इसलिए मैंने दहेज वापस कर इस मुहिम की शुरुआत की है और अमूल्य धन के रूप में लक्ष्मी स्वरूप उस बेटी को स्वीकार किया न की उस धन को जो उसके मां-बाप की जीवन की कमाई होती है."
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दहेज मुक्त विवाह की प्रशंसा
समाजसेवी सुरेंद्र प्रकाश यादव ने यादव समाज के सभी बंधुओं से भी आग्रह किया कि "इस मुहिम में आप लोग भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लें, ताकि हमारा समाज दहेज मुक्त हो सके और बेटियां बोझ न बनें. एक बेटी किसी के घर की बेटी होती है तो वह किसी के घर की बहू है." समारोह में आए रिश्तेदार और समाज के लोगों ने लड़के के पिता सुरेंद्र प्रकाश यादव के इस दहेज के खिलाफ की गई पहल की प्रशंसा करते हुए समाज के अन्य लोगों को इस पहल में साथ देने की बात कही.