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कालकाजी मंदिर में प्रशासक की अनुमति के बिना कोई जागरण या धार्मिक आयोजन नहीं होंगे - दिल्ली हाई कोर्ट - court appointed administrator

Delhi High Court: दिल्ली के कालकाजी मंदिर में कोर्ट की ओर से नियुक्त प्रशासक की अनुमति के बिना कोई जागरण या धार्मिक आयोजन नहीं होगा. दिल्ली हाई कोर्ट ने ये आदेश जारी किया है.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Feb 23, 2024, 10:39 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि दिल्ली के कालकाजी मंदिर में कोर्ट की ओर से नियुक्त प्रशासक की अनुमति के बिना कोई भी जागरण या धार्मिक आयोजन नहीं किए जा सकते हैं. जस्टिस प्रतिभा सिंह की बेंच ने 27 जनवरी को जागरण के दौरान एक महिला की मौत के बाद ये आदेश जारी किया. सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि 27 जनवरी को सेवादार मित्र मंडल के दो सदस्यों ने कालकाजी मंदिर में जागरण का आयोजन किया था.

यह भी पढ़ें- दिल्ली हेल्थ बिल 2022: हाईकोर्ट ने दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री और स्वास्थ्य सचिव को किया तलब

इस कार्यक्रम में गीतकार बी प्राक को बुलाया गया था. कोर्ट ने इस आयोजन के दौरान महिला की मौत पर नाखुशी जताते हुए कहा कि मंदिर का पूरा प्रबंधन और नियंत्रण कोर्ट की ओर से नियुक्त प्रशासक के अधीन होना चाहिए न कि किसी दूसरे व्यक्ति या सोसायटी के. कोर्ट ने साफ किया कि मंदिर के महंत प्रशासनिक फैसले नहीं ले सकते हैं और वह मंदिर परिसर में किसी कार्यक्रम के आयोजन की अनुमति नहीं दे सकते. कोर्ट ने मंदिर के प्रशासक को निर्देश दिया कि वह मंदिर परिसर में भीड़ पर नियंत्रण को लेकर कदम उठाएं.

बता दें कि 22 सितंबर 2021 को हाई कोर्ट ने कालकाजी मंदिर की व्यवस्था का काम देखने के लिए हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस एआर मिधा को प्रशासक नियुक्त किया था. कोर्ट ने कहा था कि प्रशासक श्रद्धालुओं, बारीदारों की सुरक्षा और मंदिर की पवित्रता बनाए रखने के लिए सभी जरूरी कदम उठाएंगे. प्रशासक के सहयोग के लिए कोर्ट ने मनमीत अरोड़ा की लोकल कमिश्नर के रुप में नियुक्ति की थी. कोर्ट ने प्रशासक को एक सचिव सह कोषाध्यक्ष नियुक्त करने का निर्देश दिया था जो प्रशासक के रोजाना के कामों में मदद करेंगे.

यह भी पढ़ें- मां का भरण-पोषण करना बेटे का नैतिक और कानूनी जिम्मेदारी : दिल्ली हाईकोर्ट

नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि दिल्ली के कालकाजी मंदिर में कोर्ट की ओर से नियुक्त प्रशासक की अनुमति के बिना कोई भी जागरण या धार्मिक आयोजन नहीं किए जा सकते हैं. जस्टिस प्रतिभा सिंह की बेंच ने 27 जनवरी को जागरण के दौरान एक महिला की मौत के बाद ये आदेश जारी किया. सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि 27 जनवरी को सेवादार मित्र मंडल के दो सदस्यों ने कालकाजी मंदिर में जागरण का आयोजन किया था.

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इस कार्यक्रम में गीतकार बी प्राक को बुलाया गया था. कोर्ट ने इस आयोजन के दौरान महिला की मौत पर नाखुशी जताते हुए कहा कि मंदिर का पूरा प्रबंधन और नियंत्रण कोर्ट की ओर से नियुक्त प्रशासक के अधीन होना चाहिए न कि किसी दूसरे व्यक्ति या सोसायटी के. कोर्ट ने साफ किया कि मंदिर के महंत प्रशासनिक फैसले नहीं ले सकते हैं और वह मंदिर परिसर में किसी कार्यक्रम के आयोजन की अनुमति नहीं दे सकते. कोर्ट ने मंदिर के प्रशासक को निर्देश दिया कि वह मंदिर परिसर में भीड़ पर नियंत्रण को लेकर कदम उठाएं.

बता दें कि 22 सितंबर 2021 को हाई कोर्ट ने कालकाजी मंदिर की व्यवस्था का काम देखने के लिए हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस एआर मिधा को प्रशासक नियुक्त किया था. कोर्ट ने कहा था कि प्रशासक श्रद्धालुओं, बारीदारों की सुरक्षा और मंदिर की पवित्रता बनाए रखने के लिए सभी जरूरी कदम उठाएंगे. प्रशासक के सहयोग के लिए कोर्ट ने मनमीत अरोड़ा की लोकल कमिश्नर के रुप में नियुक्ति की थी. कोर्ट ने प्रशासक को एक सचिव सह कोषाध्यक्ष नियुक्त करने का निर्देश दिया था जो प्रशासक के रोजाना के कामों में मदद करेंगे.

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