ETV Bharat / state

नजूल भूमि पर नहीं होगी ध्वस्तीकरण और बेदखली की कार्रवाई: हाइकोर्ट - Allahabad High Court order

शुक्रवार को अपने एक आदेश में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि नजूल भूमि पर ध्वस्तीकरण और बेदखली की कार्रवाई नहीं होगी. फिलहाल सिर्फ सर्वे होगा.

नजूल भूमि पर नहीं होगी ध्वस्तीकरण और बेदखली की कार्रवाई: हाइकोर्ट
No demolition and eviction action will be taken on Nazul land Allahabad High Court order
author img

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Mar 15, 2024, 9:44 PM IST

प्रयागराज: योगी सरकार द्वारा नजूल भूमि को लेकर जारी नए अध्यादेश को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है. अध्यादेश को रद्द करने की मांग की गई है. हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से इस मामले में 5 अप्रैल तक जवाब दाखिल करने के लिए कहा है. इस दौरान राज्य सरकार की ओर से कोर्ट में इस आशय की अंडरटेकिंग दी गई है कि फिलहाल अभी सर्वे कार्य ही किया जाएगा. किसी को नजूल भूमि से न तो बेदखल किया जाएगा और न ही ध्वस्तीकरण होगा.

डॉ. अशोक तेहलियानी की याचिका न्यायमूर्ति एस सिंह और न्यायमूर्ति सुरेंद्र कुमार प्रथम की खंडपीठ ने सुनवाई की. कोर्ट ने राज्य सरकार को 5 अप्रैल तक या याचिका पर अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है. गौरतलब है कि राज्य सरकार द्वारा जारी अध्यादेश में निर्णय लिया गया है कि सरकार अब नजूल भूमिका पट्टा किसी प्राइवेट व्यक्ति या संस्था को नहीं देगी. नजूल भूमि सिर्फ सरकारी संस्थाओं को ही दी जाएगी. सरकार नजूल भूमि पर आवंटित पट्टों और निर्माण का सर्वे कर रही है ताकि पता किया जा सके कि किन लोगों के पट्टे की अवधि समाप्त हो चुकी है.

अवधि समाप्त होने के बाद सरकार उसका नवीनीकरण नहीं करेगी और जमीन वापस ले लेगी. इसके खिलाफ याचिका दाखिल कर अध्यादेश को गैरकानूनी बताया गया है तथा इसे रद्द करने की मांग की गई है. कोर्ट में सुनवाई के दौरान मुख्य स्थाई अधिवक्ता कुणाल रवि सिंह ने कहा कि सरकार अभी किसी का ध्वस्तीकरण या बेदखली की कार्रवाई नहीं करेगी. मामले की सुनवाई पांच अप्रैल को होगी.

ये भी पढे़ं- CSJMU के करीब 5 लाख छात्रों का बनेगा एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट, देश विदेश के किसी भी विश्वविद्यालय में ले सकेंगे प्रवेश

प्रयागराज: योगी सरकार द्वारा नजूल भूमि को लेकर जारी नए अध्यादेश को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है. अध्यादेश को रद्द करने की मांग की गई है. हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से इस मामले में 5 अप्रैल तक जवाब दाखिल करने के लिए कहा है. इस दौरान राज्य सरकार की ओर से कोर्ट में इस आशय की अंडरटेकिंग दी गई है कि फिलहाल अभी सर्वे कार्य ही किया जाएगा. किसी को नजूल भूमि से न तो बेदखल किया जाएगा और न ही ध्वस्तीकरण होगा.

डॉ. अशोक तेहलियानी की याचिका न्यायमूर्ति एस सिंह और न्यायमूर्ति सुरेंद्र कुमार प्रथम की खंडपीठ ने सुनवाई की. कोर्ट ने राज्य सरकार को 5 अप्रैल तक या याचिका पर अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है. गौरतलब है कि राज्य सरकार द्वारा जारी अध्यादेश में निर्णय लिया गया है कि सरकार अब नजूल भूमिका पट्टा किसी प्राइवेट व्यक्ति या संस्था को नहीं देगी. नजूल भूमि सिर्फ सरकारी संस्थाओं को ही दी जाएगी. सरकार नजूल भूमि पर आवंटित पट्टों और निर्माण का सर्वे कर रही है ताकि पता किया जा सके कि किन लोगों के पट्टे की अवधि समाप्त हो चुकी है.

अवधि समाप्त होने के बाद सरकार उसका नवीनीकरण नहीं करेगी और जमीन वापस ले लेगी. इसके खिलाफ याचिका दाखिल कर अध्यादेश को गैरकानूनी बताया गया है तथा इसे रद्द करने की मांग की गई है. कोर्ट में सुनवाई के दौरान मुख्य स्थाई अधिवक्ता कुणाल रवि सिंह ने कहा कि सरकार अभी किसी का ध्वस्तीकरण या बेदखली की कार्रवाई नहीं करेगी. मामले की सुनवाई पांच अप्रैल को होगी.

ये भी पढे़ं- CSJMU के करीब 5 लाख छात्रों का बनेगा एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट, देश विदेश के किसी भी विश्वविद्यालय में ले सकेंगे प्रवेश

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.