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Watch Video; राजसी अंदाज में निकाली गई निरंजन अखाड़े की छावनी यात्रा, दिखी सनातनी वैभव की झलक - MAHA KUMBH MELA 2025

यात्रा में सबसे आगे सजे संवरे हुए हाथी चल रहे थे, इनके पीछे ऊंट और घोड़ों पर सवार होकर साधु संत-सन्यासी चल रहे थे.

छावनी प्रवेश यात्रा पेशवाई
छावनी प्रवेश यात्रा पेशवाई (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 4, 2025, 8:40 PM IST

प्रयागराजः संगन नगरी में गंगा की रेती पर बसने वाली तम्बुओं की नगरी में 13 जनवरी 2025 से महाकुंभ मेले की शुरुआत हो जाएगी. महाकुंभ को लेकर सभी अखाड़े मेला शिविर में जाने के लिए छावनी प्रवेश यात्रा पेशवाई के जरिये प्रवेश कर रहे हैं. इस कड़ी में शनिवार को श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी की तरफ से छावनी प्रवेश यात्रा की शुरुआत की गयी.

श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी की छावनी प्रवेश यात्रा राजसी अंदाज में रथों पर सवार संतों महंतों के साथ नागाओं के नेतृत्व में निकाली गयी. छावनी प्रवेश यात्रा बाघम्बरी गद्दी से निकलकर अलग अलग मार्गों से होते हुए काली सड़क और त्रिवेणी मार्ग से होते हुए पीपा पुल पारकर मेला छावनी में प्रवेश किया. निरंजनी अखाड़े की छावनी प्रवेश यात्रा में अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशा नंद गिरी रथ पर सवार होकर चल रहे थे. जिनपर रास्ते भर श्रद्धालु भक्त पुष्पों की वर्षा कर उनका स्वागत कर रहे थे.

निरंजन अखाड़े की छावनी यात्रा. (Video Credit; ETV Bharat)

ऊंट और घोड़ों पर सवार होकर निकले साधु-संतः यात्रा में सबसे आगे भगवान गणेश के प्रतीक के रूप में सजे संवरे हुए हाथी चल रहे थे और उनके पीछे ऊंट और घोड़ों पर सवार होकर साधु संत और सन्यासी चल रहे थे. इसके साथ ही अखाड़े की नागा साधुओं की सेना भी युद्ध कौशल कला का प्रदर्शन करते हुए छावनी प्रवेश में चल रहे थे. शैव सन्यासी परंपरा के इस अखाड़े की छावनी प्रवेश यात्रा राजसी अंदाज में निकाली गयी. जिसमें एक तरफ नागाओं के साथ साधुओं के अनूठे रंग और कला प्रदर्शन देखने को मिला तो वहीं अखाड़े की यात्रा में सनातन धर्म का वैभव भी झलक रहा था.

सड़क पर खड़े भक्तों ने की पुष्पवर्षाः निरंजनी अखाड़े की छावनी प्रवेश यात्रा में ईष्टदेव की पालकी के बाद नागाओं के पीछे आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशा नंद गिरि रथ पर सवार होकर चल रहे थे.जिन्हें देखने और उनका आशीर्वाद लेने के लिए रास्ते भर भक्त श्रद्धालुओं लाइन लगाकर घंटो तक उनकी प्रतीक्षा कर रहे थे.जिस वक्त रास्ते से उनका रथ गुजर रहा था भक्त उनके ऊपर पुष्पवर्षा कर उनसे आशीष मांग रहे थे जिसके रथ के ऊपर आचार्य महामंडलेश्वर भक्तों की तरफ भक्तों पर पुष्प फेंककर उन्हें आशीष दिया जा रहा था और उनके शिष्य रथ से प्रसाद भी दे रहे थे. निरंजनी अखाड़े की छावनी प्रवेश यात्रा में हाथी,घोड़े और ऊंट पर बैठकर जब नागा संन्यासी प्रयागराज की सड़कों से गुजर रहे थे तो ऐसा दिख रहा था कि जैसे देवताओं की कोई यात्रा निकल रही हो और उनके भक्त उनके स्वागत के लिए खड़े होकर इंतज़ार कर रहे हैं और पुष्प वर्षा के जरिये भक्त अपने भगवान का स्वागत कर रहे हों.

सनातन की एकता और भाईचारे का संदेश दियाः निरंजनी अखाड़े की छावनी प्रवेश यात्रा में धर्म के प्रतीक ध्वज के साथ अखाड़े के ईष्ट देव भगवान निरंजन कार्तिकेय स्वामी की मूर्ति भी पालकी में सवार होकर आगे आगे चल रही थी.जिसके साथ नागाओं की सेना और उसके बाद रथों पर सवार होकर अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर के अलावा महामंडलेश्वर,मंडलेश्वर और संत,महंत के साथ ही सन्यासी और नागाओं की सेना चल रही थी. इस मौके पर पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी श्री महंत और अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी ने कहाकि निरंजनी अखाड़े की महाकुंभ छावनी प्रवेश शोभायात्रा के जरिए सनातन की एकता और भाईचारे का संदेश दिया गया है.

इसे भी पढ़ें-महाकुंभ 2025: राजसी अंदाज में श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़े का हुआ नगर प्रवेश

प्रयागराजः संगन नगरी में गंगा की रेती पर बसने वाली तम्बुओं की नगरी में 13 जनवरी 2025 से महाकुंभ मेले की शुरुआत हो जाएगी. महाकुंभ को लेकर सभी अखाड़े मेला शिविर में जाने के लिए छावनी प्रवेश यात्रा पेशवाई के जरिये प्रवेश कर रहे हैं. इस कड़ी में शनिवार को श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी की तरफ से छावनी प्रवेश यात्रा की शुरुआत की गयी.

श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी की छावनी प्रवेश यात्रा राजसी अंदाज में रथों पर सवार संतों महंतों के साथ नागाओं के नेतृत्व में निकाली गयी. छावनी प्रवेश यात्रा बाघम्बरी गद्दी से निकलकर अलग अलग मार्गों से होते हुए काली सड़क और त्रिवेणी मार्ग से होते हुए पीपा पुल पारकर मेला छावनी में प्रवेश किया. निरंजनी अखाड़े की छावनी प्रवेश यात्रा में अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशा नंद गिरी रथ पर सवार होकर चल रहे थे. जिनपर रास्ते भर श्रद्धालु भक्त पुष्पों की वर्षा कर उनका स्वागत कर रहे थे.

निरंजन अखाड़े की छावनी यात्रा. (Video Credit; ETV Bharat)

ऊंट और घोड़ों पर सवार होकर निकले साधु-संतः यात्रा में सबसे आगे भगवान गणेश के प्रतीक के रूप में सजे संवरे हुए हाथी चल रहे थे और उनके पीछे ऊंट और घोड़ों पर सवार होकर साधु संत और सन्यासी चल रहे थे. इसके साथ ही अखाड़े की नागा साधुओं की सेना भी युद्ध कौशल कला का प्रदर्शन करते हुए छावनी प्रवेश में चल रहे थे. शैव सन्यासी परंपरा के इस अखाड़े की छावनी प्रवेश यात्रा राजसी अंदाज में निकाली गयी. जिसमें एक तरफ नागाओं के साथ साधुओं के अनूठे रंग और कला प्रदर्शन देखने को मिला तो वहीं अखाड़े की यात्रा में सनातन धर्म का वैभव भी झलक रहा था.

सड़क पर खड़े भक्तों ने की पुष्पवर्षाः निरंजनी अखाड़े की छावनी प्रवेश यात्रा में ईष्टदेव की पालकी के बाद नागाओं के पीछे आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशा नंद गिरि रथ पर सवार होकर चल रहे थे.जिन्हें देखने और उनका आशीर्वाद लेने के लिए रास्ते भर भक्त श्रद्धालुओं लाइन लगाकर घंटो तक उनकी प्रतीक्षा कर रहे थे.जिस वक्त रास्ते से उनका रथ गुजर रहा था भक्त उनके ऊपर पुष्पवर्षा कर उनसे आशीष मांग रहे थे जिसके रथ के ऊपर आचार्य महामंडलेश्वर भक्तों की तरफ भक्तों पर पुष्प फेंककर उन्हें आशीष दिया जा रहा था और उनके शिष्य रथ से प्रसाद भी दे रहे थे. निरंजनी अखाड़े की छावनी प्रवेश यात्रा में हाथी,घोड़े और ऊंट पर बैठकर जब नागा संन्यासी प्रयागराज की सड़कों से गुजर रहे थे तो ऐसा दिख रहा था कि जैसे देवताओं की कोई यात्रा निकल रही हो और उनके भक्त उनके स्वागत के लिए खड़े होकर इंतज़ार कर रहे हैं और पुष्प वर्षा के जरिये भक्त अपने भगवान का स्वागत कर रहे हों.

सनातन की एकता और भाईचारे का संदेश दियाः निरंजनी अखाड़े की छावनी प्रवेश यात्रा में धर्म के प्रतीक ध्वज के साथ अखाड़े के ईष्ट देव भगवान निरंजन कार्तिकेय स्वामी की मूर्ति भी पालकी में सवार होकर आगे आगे चल रही थी.जिसके साथ नागाओं की सेना और उसके बाद रथों पर सवार होकर अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर के अलावा महामंडलेश्वर,मंडलेश्वर और संत,महंत के साथ ही सन्यासी और नागाओं की सेना चल रही थी. इस मौके पर पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी श्री महंत और अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी ने कहाकि निरंजनी अखाड़े की महाकुंभ छावनी प्रवेश शोभायात्रा के जरिए सनातन की एकता और भाईचारे का संदेश दिया गया है.

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