वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गूगल नाइजीरिया में वहां के सबसे प्रतिष्ठित अवार्ड से सम्मानित किया गया है. नाइजीरिया में प्रधानमंत्री मोदी को द ग्रैंड कमांडर ऑफ द ऑर्डर ऑफ द नाइजीरिया से सम्मानित किया जाना देश के लिए भी गर्व की बात है. प्रधानमंत्री के साथ नाइजीरिया के संबंध पहले से ही काफी अच्छे रहे हैं. जिसकी बानगी उनके संसदीय क्षेत्र वाराणसी में 2016 के दौरान देखने को मिली थी. उस वक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों से तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने वहां काम करने वाले एक मरीन इंजीनियर को पीएम मोदी के हस्तक्षेप के बाद समुद्री लुटेरों के चंगुल से आजाद करवाया था. वह मरीन इंजीनियर संतोष भारद्वाज पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस के रहने वाले थे. किडनैपिंग के बाद परेशान परिवार की गुहार पर पीएम मोदी ने खुद इनिशिएटिव लिया था.
2016 में समुद्री लुटेरों ने संतोष को पकड़ लिया था. जिसके बाद पूरे परिवार का हाल खराब था. लेकिन, पीएम मोदी के हस्तक्षेप के बाद संतोष की रिहाई संभव हो सकी थी. प्रधानमंत्री मोदी को मिले इस सम्मान को लेकर संतोष उनका परिवार बेहद खुश है. ईटीवी भारत से हुई फोन पर बातचीत में संतोष ने बताया, कि कि मेरे लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसी भगवान से काम नहीं है, क्योंकि उस वक्त जब मैं उस कठिन दौर से गुजर रहा था. तब मेरा पूरा परिवार यहां परेशान था. समुद्री लुटेरों ने मेरी कंपनी से मेरी और मेरे अन्य साथियों की रिहाई के लिए मोटी रकम मांगी थी. लेकिन, हम लोगों को यह समझ नहीं आ रहा था, कि हम लोग रिहा होंगे भी कि नहीं. उस वक्त मेरी पत्नी कंचन ने वाराणसी में प्रधानमंत्री जनसंपर्क कार्यालय पहुंचकर मेरी रिहाई की गुहार लगाई थी. वह गुहार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक पहुंची थी. जिसके बाद हम सभी की रिहाई संभव हो सकी थी.
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संतोष कहते हैं, कि बनारस में रहते हुए मेरे परिजनों ने प्रधानमंत्री तक अपनी बात पहुंचाई और उन्होंने खुद नाइजीरियन गवर्नमेंट से बात करके हम सभी को रिहा करवाया. जो हमारे लिए बड़ी बात है. 2016 में हुए इस अपहरण कांड में संतोष 42 दिनों तक समुद्री लुटेरे की गिरफ्त में थे. बाद में प्रधानमंत्री के हस्तक्षेप के बाद विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने नाइजीरियाई गवर्नमेंट से बातचीत करके संतोष की रिहाई को संभव किया था.
बनारस के जरिए नाइजीरिया से भारत के संबंध और भी मजबूत इसलिए हैं. क्योंकि वाराणसी में आज भी नाइजीरियन सेना और नाइजीरियन पुलिस के बैच भी तैयार होते हैं. वाराणसी के लल्लापुरा पीली कोठी समेत कई इलाकों में जरी जरदोजी के जरिए विदशों की कई सेनाओं और क्लब और स्कूलों के बैच बनाने का काम सदियों से किया जा रहा है. वाराणसी के लल्लापुरा इलाके में यहां काम कई पीढियां से हो रहा है.