पटना: पटना के पटेल नगर आसरा केंद्र में तीन बच्चियों की मौत का मामला अब तुल पकड़ रहा है. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने संज्ञान लेते हुए बिहार सरकार को नोटिस भेजा है. इस पूरी घटना का विस्तृत रिपोर्ट दो सप्ताह के भीतर देने का निर्देश जारी किया गया है.
2 सप्ताह में देना होगा रिपोर्ट: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने बिहार के मुख्य सचिव को नोटिस भेजकर दो सप्ताह के भीतर विस्तृत रिपोर्ट देने को कहा है. इस रिपोर्ट में पीड़ितों की वर्तमान स्वास्थ्य स्थिति, प्रभावित व्यक्तियों या उनके परिवारों को मुआवजा प्रदान किया गया है या नहीं, वहीं भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए बिहार सरकार द्वारा क्या उपाय किया जा रहा है यह पूछा गया है.
NHRC takes suo motu cognizance of a media report after 13 inmates fell ill and three died due to food poisoning at a State Government-run shelter home in the Patel Nagar area of Patna, Bihar. May like to refer to the press release at: https://t.co/1IQApPFmXi pic.twitter.com/uhS6BI9KCH
— NHRC India (@India_NHRC) November 21, 2024
पटना आसरा केंद्र में हुई थी 3 बच्चियों की मौत: गौरतलब हो कि राजधानी पटना के पटेल नगर स्थित एक शेल्टर होम में रहने वाली तीन बच्चियों की फूड प्वाइजनिंग से मौत होने पर हड़कंप मच गया था. 7 नवंबर को घटी घटना में कहा गया है कि इन बच्चियों की मौत फूड प्वाइजनिंग से हुई है. हालांकि मृतक बच्चियों का पोस्टमार्टम रिपोर्ट अभी नहीं आयी है.
कैसे हुई तीन बच्चियों की मौत: पटना के पटेल नगर स्थित आसरा गृह में 7 नवंबर को खाना खाने के बाद 13 बच्चियां बीमार हो गई थी. इनमें सें दो बच्चियों ने पहले ही दम तोड़ दिया था. वहीं दो दिन बाद 12 साल की एक और बच्ची की पीएमसीएच के शिशु इमरजेंसी में इलाज के दौरान मौत हो गई थी.
तीन दिन बाद खुली विभाग की नींद: घटना के तीन दिन बाद समाज कल्याण विभाग की नींद खुली थी. बाल संरक्षण आयोग के सदस्य राकेश कुमार सिंह ने ईटीवी भारत से फोन पर बातचीत में कहा कि वे लोग घटना के बाद 12 नवंबर को पूरे मामले की जांच करने के लिए केंद्र पर पहुंचे थे. हालांकि जिस विभाग के अधीन यह सेंटर आता है वहां के अधिकारी को वहां पहुंचने में तीन दिन लग गए. 13 सितंबर को विभाग की प्रधान सचिव हरजोत कौर पूरे मामले की छानबीन के लिए वहां पहुंची थीं.
सेंटर की दिखी लापरवाही: बिहार बाल संरक्षण आयोग के सदस्य राकेश कुमार सिंह ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि आयोग की पूरी टीम इस मामले की छानबीन के लिए आसरा केंद्र पर पहुंची थी. जब आयोग की टीम ने पूरे मामले की जांच की तो काफी लापरवाही देखने को मिली. आगे राकेश कुमार सिंह ने कहा कि सरकार के तरफ से मानसिक रूप से बीमार बच्चियों की देखरेख के लिए बेहतर व्यवस्था की योजना है ताकि ऐसे बच्चियों को भी हुनरमंद बनाया जा सके.
![पटना स्थित आसरा गृह](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/22-11-2024/22955000_patna.jpg)
सीसीटीवी फुटेज की मांग: राकेश कुमार सिंह का कहना था कि केंद्र की संचालिका वहां से गायब थी. उन लोगों ने बच्चियों को जो खाना दिया गया था उसके सैंपल की जांच की गई. मानसिक रूप से बीमार बच्चियों को जो दवा दी जा रही थी. उस दवा की जांच और उस सेंटर के पिछले एक सप्ताह का सीसीटीवी फुटेज की मांग की गई है.अभी तक यह रिपोर्ट उन लोगों को नहीं मिली है.
"इस सेंटर पर कहीं ना कहीं बड़ी गलती हुई है, जिसके कारण इस तरीके की घटना सामने आई है. इस मामले की छानबीन के लिए आसरा केंद्र पर पहुंची थी. जब आयोग की टीम ने पूरे मामले की जांच की तो काफी लापरवाही देखने को मिली."-राकेश कुमार सिंह, सदस्य, बिहार बाल संरक्षण आयोग
समाज कल्याण विभाग के अधीन है सेंटर: अनाथ बच्चों के लिए बिहार सरकार हर जिले में शेल्टर होम एवं आसरा केंद्र एनजीओ के माध्यम से चलवाती है. बिहार में चलने वाले जितने भी शेल्टर होम एवं आसरा केंद्र हैं वह समाज कल्याण विभाग के अंदर ही आते हैं. इन शेल्टर होम में अनाथ बच्चों एवं कम उम्र के सजायाफ्ता को रखने का प्रावधान है. ऐसे शेल्टर होम एवं आसरा गृह में सरकार के द्वारा तय मानक के अनुसार बच्चों को रखने का नियम है.
चर्चा में रहा मुजफ्फरपुर का शेल्टर होम: 2018 मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड में बच्चियों के साथ हुई घटना पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया था. किस तरीके से शेल्टर होम में लड़कियों के साथ यौन शोषण जैसे घिनौने अपराध हुए. पूरे देश में इस घटना की चर्चा होने लगी थी. बिहार सरकार के समाज कल्याण मंत्री तक इस आरोप के कटघरे में आ गए थे. उनको अपने पद से इस्तीफा भी देना पड़ा था. यह मामला अभी भी न्यायालय में चल रहा है.
सरकारी सेंटर होम बनाने का था प्रस्ताव: मुजफ्फरपुर शेल्टर होम कांड से सीख लेते हुए बिहार सरकार ने खुद शेल्टर होम चलाने का फैसला किया था. समाज कल्याण विभाग 2020 में ही 12 जिलों में जमीन अधिगृहित कर जल्द ही शेल्टर होम बनाने की प्रक्रिया शुरू करने का निर्णय लिया था. जानकारी के अनुसार शुरुआत में ये शेल्टर होम 12 जिलों में बनाना था, इसके लिए 500 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया था.
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