लाहौल-स्पीति: हिमाचल प्रदेश के ऊंचाई वाले इलाकों में बीते दिनों जमकर बर्फबारी हुई है. ऐसे में अब बर्फबारी का मजा लेने के लिए सैलानी भी प्रदेश के विभिन्न पर्यटन स्थलों का रुख कर रहे हैं. लाहौल स्पीति में भी इन दिनों बड़ी तादाद में सैलानी पहुंच रहे हैं, लेकिन क्षमता से अधिक पर्यटकों की आवाजाही पर अब एनजीटी ने कड़ा रुख अपनाया है. एनजीटी ने लाहौल घाटी के कोकसर में क्षमता से अधिक सैलानियों की आवाजाही और ठोस कचरे की डंपिंग को लेकर कड़ा संज्ञान लिया है. इस बारे में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और हिमाचल प्रदेश सरकार को भी नोटिस भेजा है.
कोकसर में बढ़ रही गंदगी: गौरतलब है कि लाहौल स्पीति में रोहतांग दर्रा बर्फबारी के कारण साल में 7 महीने तक बंद रहता है. वहीं, रोहतांग दर्रे के दूसरी तरफ कोकसर स्थित है. कोकसर में बर्फबारी होने के चलते यहां पर पर्यटन गतिविधियां काफी अधिक हो रही हैं. ऐसे में बीते दिनों भी यहां पर काफी ज्यादा तादाद में ठोस कचरा फेंके जाने का मामला सामने आया था.
3 अप्रैल को होगी सुनवाई: एनजीटी में दायर याचिका में कहा गया है कि हजारों की संख्या में सैलानियों के पहुंचने से यहां पर प्लास्टिक का कचरा, पानी की बोतल सहित कई तरह के अपशिष्ट पदार्थ फेंके जा रहे हैं. जिससे यहां का पेयजल भी प्रदूषित हो रहा है. अब एनजीटी ने पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और हिमाचल प्रदेश सरकार से इस बारे में जवाब मांगा है. एनजीटी ने 3 अप्रैल को अगली सुनवाई निर्धारित की है.
पर्यावरण संगठन फ्रेंड्स ने दायर की याचिका: बीते दिनों पर्यावरण संगठन फ्रेंड्स द्वारा इस संदर्भ में एक याचिका दायर की गई थी और एनजीटी की खंडपीठ ने इस मामले को गंभीरता से लिया. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता आकाश विशिष्ट ने इस मामले की पैरवी की और एनजीटी की बेंच के समक्ष कई तथ्य रखे. वहीं, लाहौल घाटी के कोकसर में चल रही गतिविधियों के कारण आसपास के इलाकों में आगामी समय में पड़ने वाले दुष्परिणामों को लेकर भी बेंच में चर्चा की गई.
एनजीटी के चेयरपर्सन जस्टिस प्रकाश श्रीनिवास और विशेषज्ञ सदस्य डॉ. ए. सेंथिल की बेंच ने पर्यावरण के प्रति अत्यधिक संवेदनशील क्षेत्र में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन 2016 के गैर अनुपालन से उत्पन्न बड़े पैमाने पर पर्यावरण उल्लंघन पर भी ध्यान दिया है. अधिवक्ता आकाश वशिष्ठ ने बताया कि उन्होंने पर्यावरण संगठन फ्रेंड्स द्वारा दायर की गई याचिका को एनजीटी के समक्ष रखा है और कचरे की डंपिंग सहित कई अन्य मामलों को लेकर भी सुप्रीम कोर्ट द्वारा अल्मित्रा एच पटेल बनाम भारत संघ एवं अन्य मामलों में पारित निर्देशों का भी जिक्र किया है.
बिना किसी योजना के बढ़ रही पर्यटकों की संख्या: बता दें कि लाहौल स्पीति के कोकसर में सैलानियों की अधिक आवाजाही बिना किसी योजना के हो रही है. वहीं, ठोस कचरा डंपिंग मामले में हिमाचल प्रदेश पर्यावरण विभाग, हिमाचल प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, डीसी लाहौल स्पीति और ग्राम पंचायत कोकसर की कोताही भी सामने आने लगी है, क्योंकि स्थानीय पंचायत व अन्य विभागों के साथ मिलकर सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के बायोलॉज बनाने होते हैं, लेकिन इस बारे अभी तक कोई भी नियम नहीं बनाया गया है.
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