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अस्सी और वरुणा नदी पर अतिक्रमण न हटाने को लेकर एनजीटी कोर्ट नाराज, यूपी सरकार से मांगा जवाब - NGT COURT

अस्सी और वरुणा नदी पर अतिक्रमण न हटाने को लेकर एनजीटी कोर्ट ने यूपी सरकार से जवाब मांगा है.

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अस्सी और वरुणा नदी अतिक्रमण से एनजीटी कोर्ट नाराज (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : 2 hours ago

वाराणसी: गंगा के हालात को लेकर एनजीटी काफी कड़ा रुख अपना रहा है. एनजीटी के दिल्ली स्थित कोर्ट में सुनवाई थी. इस दौरान वाराणसी में गंगा की सहायक नदियों अस्सी और वरुणा के जीणोद्धार को लेकर हो रही देरी पर एनजीटी ने उत्तर प्रदेश सरकार और जिलाधिकारी वाराणसी की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की पीठ ने वरुणा नदी और अस्सी नदी के अतिक्रमण पर उत्तर प्रदेश सरकार से सीधे जवाब मांगा है. सुनवाई में एनजीटी ने यह सवाल भी पूछा कि आखिर अस्सी और वरुणा से अतिक्रमण कब हटेगा? इस मामले में इतनी देरी क्यों हो रही है?

दरअसल एनजीटी चेयरपर्सन न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव एवं विशेषज्ञ सदस्य डॉक्टर ए सेंथिल की संयुक्त पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है. शुक्रवार को सुनवाई के दौरान पीठ में यह पूछा गया कि अस्सी और वरुणा नदी के जिम्मेदारी के लिए एक स्थाई पर्यावरणविद् की नियुक्ति करनी थी. लेकिन, वह अब तक क्यों नहीं हुई? इस पर राज्य सरकार के अधिवक्ता ने जानकारी न होने की बात बताई.

यूपी सरकार काउंसिल एडवोकेट भंवर पाल यादव ने कोर्ट को बताया कि जिलाधिकारी वाराणसी एस राज निगम ने एनजीटी की ओर से लगाए गए 10 हजार के जुर्माने की रकम को भर दिया है. इस पर कोर्ट ने कहा कि जिलाधिकारी को यह जुर्माना निजी मद से भरना था, न कि सरकारी मद से. यह जुर्माना जिलाधिकारी पर लगाया गया था, न की जनता के पैसे से भरने के लिए सरकारी खर्चे से.

एडवोकेट सौरभ तिवारी ने दी जानकारी (Video Credit; ETV Bharat)

इसे भी पढ़ें - महाकुंभ 2025; NGT ने गंगा की वर्तमान स्थिति की रिपोर्ट प्रस्तुत न करने पर जताई नाराजगी, पर्यावरण मंत्रालय के प्रमुख सचिव को किया तलब - MAHAKUMBH 2025

इस बारे में अस्सी और वरुणा नदी समेत गंगा की स्थिति को लेकर याचिका दायर करने वाले एडवोकेट सौरभ तिवारी ने बताया कि आज अस्सी और वरुणा नदी कि पुनर्स्थापन एवं पुनरुद्धार को लेकर राष्ट्रीय हरित अधिकरण, प्रधान पीठ नई दिल्ली के समक्ष दो याचिकाओं पर हुई सुनवाई हुई. उत्तर प्रदेश सरकार (डीएम बनारस) एवं National Institute of Hydrology के बीच MOU पर हस्ताक्षर हुआ है. इसके तहत अगले वर्ष 6 मई तक अस्सी और वरुणा नदी के Flood Plain Zone का निर्धारण होगा और पिलर गाड़ा जाएगा. फिर अतिक्रमण को हटाया जाएगा.

सौरभ तिवारी ने बताया कि वाराणसी में गंगा की दो बड़ी सहायक नदियों अस्सी और वरुणा के जीणोद्धार की धीमी प्रगति को लेकर 4 अगस्त 2024 को एनजीटी में याचिका दायर की गई थी. 150 पन्नों की सियाचिका में बताया गया था कि किस तरह से एनजीटी ने 2021 में काम को पूरा करने के लिए 5 साल का समय दिया था. लेकिन, 3 साल बीत जाने के बाद भी ग्राउंड पर कोई काम नहीं हुआ.

एनजीटी ने 2021 में 23 नवंबर को ऑर्डर दिया था. इसके बाद 29 नवंबर को सुपरवाइजरी कमेटी और एग्जीक्यूशन कमेटी की बैठक भी हुई थी. यहां के इस प्रोजेक्ट को लागू करने की कवायद शुरू की गई थी. लेकिन, कागज पर ही जीणोद्धार का काम चलता रहा. इस वजह से काम आगे ही नहीं बढ़ सका. 40 एग्जीक्यूटिव और कमिश्नर मीटिंग हो चुकी है, लेकिन दोनों नदियों पर कोई भी काम दिखाई नहीं दे रहा है.

इतना समय बीतने के बाद भी दोनों जगह कायाकल्प के लिए एनजीटी ने 12 महीने का समय दिया था. लेकिन, 34 महीने बीतने के बाद भी कोई काम नहीं हुआ है. इसके बाद एनजीटी ने इस पर कड़ा रुख अपनाते हुए उत्तर प्रदेश सरकार से सीधा सवाल किया है कि अतिक्रमण कब हटेगा.

यह भी पढ़ें - महाकुंभ मेले 2025 के दौरान गंगा यमुना का प्रदूषण कम करने का प्रयास करें: एनजीटी - NGT on pollution in Ganga Yamuna - NGT ON POLLUTION IN GANGA YAMUNA

वाराणसी: गंगा के हालात को लेकर एनजीटी काफी कड़ा रुख अपना रहा है. एनजीटी के दिल्ली स्थित कोर्ट में सुनवाई थी. इस दौरान वाराणसी में गंगा की सहायक नदियों अस्सी और वरुणा के जीणोद्धार को लेकर हो रही देरी पर एनजीटी ने उत्तर प्रदेश सरकार और जिलाधिकारी वाराणसी की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की पीठ ने वरुणा नदी और अस्सी नदी के अतिक्रमण पर उत्तर प्रदेश सरकार से सीधे जवाब मांगा है. सुनवाई में एनजीटी ने यह सवाल भी पूछा कि आखिर अस्सी और वरुणा से अतिक्रमण कब हटेगा? इस मामले में इतनी देरी क्यों हो रही है?

दरअसल एनजीटी चेयरपर्सन न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव एवं विशेषज्ञ सदस्य डॉक्टर ए सेंथिल की संयुक्त पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है. शुक्रवार को सुनवाई के दौरान पीठ में यह पूछा गया कि अस्सी और वरुणा नदी के जिम्मेदारी के लिए एक स्थाई पर्यावरणविद् की नियुक्ति करनी थी. लेकिन, वह अब तक क्यों नहीं हुई? इस पर राज्य सरकार के अधिवक्ता ने जानकारी न होने की बात बताई.

यूपी सरकार काउंसिल एडवोकेट भंवर पाल यादव ने कोर्ट को बताया कि जिलाधिकारी वाराणसी एस राज निगम ने एनजीटी की ओर से लगाए गए 10 हजार के जुर्माने की रकम को भर दिया है. इस पर कोर्ट ने कहा कि जिलाधिकारी को यह जुर्माना निजी मद से भरना था, न कि सरकारी मद से. यह जुर्माना जिलाधिकारी पर लगाया गया था, न की जनता के पैसे से भरने के लिए सरकारी खर्चे से.

एडवोकेट सौरभ तिवारी ने दी जानकारी (Video Credit; ETV Bharat)

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इस बारे में अस्सी और वरुणा नदी समेत गंगा की स्थिति को लेकर याचिका दायर करने वाले एडवोकेट सौरभ तिवारी ने बताया कि आज अस्सी और वरुणा नदी कि पुनर्स्थापन एवं पुनरुद्धार को लेकर राष्ट्रीय हरित अधिकरण, प्रधान पीठ नई दिल्ली के समक्ष दो याचिकाओं पर हुई सुनवाई हुई. उत्तर प्रदेश सरकार (डीएम बनारस) एवं National Institute of Hydrology के बीच MOU पर हस्ताक्षर हुआ है. इसके तहत अगले वर्ष 6 मई तक अस्सी और वरुणा नदी के Flood Plain Zone का निर्धारण होगा और पिलर गाड़ा जाएगा. फिर अतिक्रमण को हटाया जाएगा.

सौरभ तिवारी ने बताया कि वाराणसी में गंगा की दो बड़ी सहायक नदियों अस्सी और वरुणा के जीणोद्धार की धीमी प्रगति को लेकर 4 अगस्त 2024 को एनजीटी में याचिका दायर की गई थी. 150 पन्नों की सियाचिका में बताया गया था कि किस तरह से एनजीटी ने 2021 में काम को पूरा करने के लिए 5 साल का समय दिया था. लेकिन, 3 साल बीत जाने के बाद भी ग्राउंड पर कोई काम नहीं हुआ.

एनजीटी ने 2021 में 23 नवंबर को ऑर्डर दिया था. इसके बाद 29 नवंबर को सुपरवाइजरी कमेटी और एग्जीक्यूशन कमेटी की बैठक भी हुई थी. यहां के इस प्रोजेक्ट को लागू करने की कवायद शुरू की गई थी. लेकिन, कागज पर ही जीणोद्धार का काम चलता रहा. इस वजह से काम आगे ही नहीं बढ़ सका. 40 एग्जीक्यूटिव और कमिश्नर मीटिंग हो चुकी है, लेकिन दोनों नदियों पर कोई भी काम दिखाई नहीं दे रहा है.

इतना समय बीतने के बाद भी दोनों जगह कायाकल्प के लिए एनजीटी ने 12 महीने का समय दिया था. लेकिन, 34 महीने बीतने के बाद भी कोई काम नहीं हुआ है. इसके बाद एनजीटी ने इस पर कड़ा रुख अपनाते हुए उत्तर प्रदेश सरकार से सीधा सवाल किया है कि अतिक्रमण कब हटेगा.

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