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दुर्लभ बीमारी से पीड़ित जुड़वा बच्चों की इलाज के दौरान मौत, प्लास्टिक की तरह दिखती थी चमड़ी

बीकानेर में दुर्लभ त्वचा की बीमारी से पीड़ित नवजात जुड़वा बच्चों की पीबीएम अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई.

दुर्लभ बीमारी से पीड़ित बच्चे
दुर्लभ बीमारी से पीड़ित बच्चों की मौत (ETV Bharat Bikaner)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Nov 7, 2024, 4:32 PM IST

बीकानेर : जिले में त्वचा की दुर्लभ बीमारी से पीड़ित जुड़वा नवजात बच्चों की पीबीएम अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई. इनमें एक लड़की और लड़का था. जन्म के साथ ही इनकी स्किन प्लास्टिक जैसी थी और नाखून की तरह हार्ड होकर चमड़ी फटी हुई थी. दोनों बच्चों का जन्म नोखा के एक निजी अस्पताल में हुआ था. इसके बाद उन्हें बीकानेर के PBM शिशु अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां दोनों नवजात की मौत हो गई.

दुर्लभ बीमारी से पीड़ित बच्चे : पीबीएम अस्पताल के चिकित्सक शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ जीएस तंवर ने जुड़वा बच्चों की मौत की पुष्टि करते हुए कहा कि बच्चे हार्लेक्विन-टाइप इचिथोसिस नाम की दुर्लभ बीमारी से पीड़ित थे. इसमें नवजात त्वचा और अविकसित आंखों के बिना पैदा होते हैं. इस बीमारी से पीड़ित बच्चे सिर्फ एक सप्ताह तक ही जीवित रह पाते हैं. इलाज के दौरान दोनों बच्चों की मौत हो गई.

इसे भी पढ़ें- जिंदगी मिली दोबारा ! दुर्लभ बीमारी से ग्रसित बच्चे हृदयांश को लगा दुनिया का सबसे महंगा इंजेक्शन - Injection of 17 Crore Saved Baby

नाखून की तरह कठोर है त्वचा : उन्होंने कहा कि इस बीमारी में बाह्य त्वचा प्लास्टिक की तरह दिखती है. त्वचा कठोर होने के बाद भी दरार की तरह फटी होती है. त्वचा फटने से बच्चों के इन्फेक्शन होता है. डॉ मुकेश बेनीवाल ने बताया कि महिला और पुरुष में 23-23 क्रोमोसोम पाए जाते हैं, लेकिन इनमें गड़बड़ी के चलते ये बीमारी होती है. कई बार माता-पिता को बीमारी नहीं हो, लेकिन जीन में गड़बड़ी हो तो उनके बच्चों को ये बीमारी हो सकती है.

बचने की संभावना कम : बेनीवाल कहते हैं कि इस बीमारी से पीड़ित बच्चों में धीरे-धीरे संक्रमण बढ़ता है और यही संक्रमण जानलेवा साबित होता है उन्होंने बताया कि अब तक की हिस्ट्री में इस बीमारी में मृत्यु दर ज्यादा है. ऐसे में इस बीमारी से पीड़ित बच्चों के यदि संक्रमण बढ़ता है तो उसका जीवन बचा पाना मुश्किल होता है.

बीकानेर : जिले में त्वचा की दुर्लभ बीमारी से पीड़ित जुड़वा नवजात बच्चों की पीबीएम अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई. इनमें एक लड़की और लड़का था. जन्म के साथ ही इनकी स्किन प्लास्टिक जैसी थी और नाखून की तरह हार्ड होकर चमड़ी फटी हुई थी. दोनों बच्चों का जन्म नोखा के एक निजी अस्पताल में हुआ था. इसके बाद उन्हें बीकानेर के PBM शिशु अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां दोनों नवजात की मौत हो गई.

दुर्लभ बीमारी से पीड़ित बच्चे : पीबीएम अस्पताल के चिकित्सक शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ जीएस तंवर ने जुड़वा बच्चों की मौत की पुष्टि करते हुए कहा कि बच्चे हार्लेक्विन-टाइप इचिथोसिस नाम की दुर्लभ बीमारी से पीड़ित थे. इसमें नवजात त्वचा और अविकसित आंखों के बिना पैदा होते हैं. इस बीमारी से पीड़ित बच्चे सिर्फ एक सप्ताह तक ही जीवित रह पाते हैं. इलाज के दौरान दोनों बच्चों की मौत हो गई.

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नाखून की तरह कठोर है त्वचा : उन्होंने कहा कि इस बीमारी में बाह्य त्वचा प्लास्टिक की तरह दिखती है. त्वचा कठोर होने के बाद भी दरार की तरह फटी होती है. त्वचा फटने से बच्चों के इन्फेक्शन होता है. डॉ मुकेश बेनीवाल ने बताया कि महिला और पुरुष में 23-23 क्रोमोसोम पाए जाते हैं, लेकिन इनमें गड़बड़ी के चलते ये बीमारी होती है. कई बार माता-पिता को बीमारी नहीं हो, लेकिन जीन में गड़बड़ी हो तो उनके बच्चों को ये बीमारी हो सकती है.

बचने की संभावना कम : बेनीवाल कहते हैं कि इस बीमारी से पीड़ित बच्चों में धीरे-धीरे संक्रमण बढ़ता है और यही संक्रमण जानलेवा साबित होता है उन्होंने बताया कि अब तक की हिस्ट्री में इस बीमारी में मृत्यु दर ज्यादा है. ऐसे में इस बीमारी से पीड़ित बच्चों के यदि संक्रमण बढ़ता है तो उसका जीवन बचा पाना मुश्किल होता है.

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