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माननीयों की राय से तैयार होगी ट्रांफसर पॉलिसी, 4 जून के बाद कैबिनेट में लगेगी मुहर - new transfer policy - NEW TRANSFER POLICY

राजस्थान में 5 महीने पहले बनी नई भजन लाल सरकार कर्मचारी-अधिकारियों के तबादलों को पॉलिसी लाने जा रही है. इसको लेकर प्रशासनिक सुधार विभाग की ओर से नई तबादला नीति की कवायद को अब अंतिम रूप दिया जा रहा है. इस पॉलिसी में जनप्रतिनिधियों की राय को भी प्राथमिकता दी जाए इसको लेकर विधायकों ने आवाज तेज कर दी है.

माननीयों की राय से तैयार होगी ट्रांफसर पॉलिसी
माननीयों की राय से तैयार होगी ट्रांफसर पॉलिसी (ETV Bharat GFX Team)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : May 16, 2024, 6:40 PM IST

Updated : May 16, 2024, 6:52 PM IST

माननीयों की राय से तैयार होगी ट्रांफसर पॉलिसी (ETV Bharat Jaipur)

जयपुर. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भले ही प्रदेश के भाजपा विधायकों को कर्मचारी-अधिकारियों के तबादलों से दूरी रखने की नसीहत दी हो, लेकिन इन माननीयों को लगता है कि तबादलों में इनकी दखल जरूरी है. यही वजह है सरकार के स्तर पर तैयार हो रही तबादला नीति में विधायकों की राय शामिल करने की उम्मीद लगाई जा रही है. हालांकि, तबादला नीति को लेकर विभागीय स्तर पर सुझाव मांगे गए हैं, लेकिन मंत्रियों के लोकसभा चुनाव प्रचार को लेकर अन्य राज्यों में हो रहे दौरे के बीच रिपोर्ट तैयार नहीं हो पा रही है.

तबादला नीति पर मंथन : दरअसल, प्रदेश में कर्मचारी-अधिकारियों के तबादलों को लेकर मुख्य सचिव के निर्देश पर प्रशासनिक सुधार विभाग की ओर से नई तबादला नीति को अंतिम रूप दिया जा रहा है. तबादला नीति पर फाइनल मंथन को लेकर सचिवालय में 18 मई को बैठक प्रस्तावित है, जिसमें मुख्य सचिव सुधांश पंत सभी विभागों के प्रमुख अधिकारियों के साथ तबादला नीति के बिंदुओं पर चर्चा करेंगे. माना जा रहा है कि इसके बाद तबादला नीति का मसौदा तैयार किया जाएगा और आचार संहिता हटने के बाद जब भी कैबिनेट की बैठक होगी, तो उसमें तबादला नीति का मसौदा रखा जाएगा.

इसे भी पढ़ें-लोकसभा चुनाव के बाद राजस्थान में लागू होगी तबादला नीति, सरकार ने मांगे सभी विभागों से प्रस्ताव - Transfer Policy In Rajasthan

मंत्री चुनाव में व्यस्त, विभाग नहीं भेज पा रहे रिपोर्ट : बता दें कि प्रदेश की भजनलाल सरकार केंद्र की तर्ज पर तबादला नीति बनाने जा रही है. इसको लेकर मुख्य सचिव के निर्देश पर प्रशासनिक सुधार विभाग की ओर से नई तबादला नीति पर मंथन चल रहा है. पिछले दिनों सभी विभागों के लिए एसओपी जारी की गई. इस एसओपी में कहा गया है कि मुख्य सचिव की अध्यक्षता में 4 अप्रैल को हुई बैठक के निर्देश अनुसार सभी राज्य की विभागों, उपक्रमों, बोर्ड, निगम और अन्य समस्त स्वायत्तशासी संस्थाओं में कार्यरत कार्मिकों के स्थानांतरण प्रक्रिया को सरल, पारदर्शी और एक रूप में लाने के लिए तबादला नीति तैयार की जा रही है. इस तबादला नीति के लिए सभी विभाग आवश्यकताओं के अनुरूप स्वयं के स्तर पर स्टेक होल्डर्स, लाभार्थियों, कर्मचारियों के मुख्य प्रतिनिधियों से चर्चा कर एक माह में विभाग को स्थानांतरण नीति दिशा-निर्देश तैयार भेजनी थी, लेकिन मंत्रियों के लोकसभा चुनाव प्रचार के लिए अन्य राज्यों में हो रहे दौरे की वजह से विभाग रिपोर्ट तैयार नहीं कर पा रहा है. रिपोर्ट पर अंतिम मुहर विभागीय मंत्री की होगी.

3 साल से पहले तबादला नहीं, 2 साल ग्रामीण में सेवा : बताया जा रहा है कि सरकार के स्तर पर तैयार की जा रही तबादला नीति में किसी कर्मचारी का 3 साल से पहले तबादला नहीं होगा, साथ ही हर कर्मचारी को सर्विस में 2 साल ग्रामीण क्षेत्र में बितानी होगा. कॉमन एसओपी के अनुसार, कर्मचारियों के ट्रांसफर से पहले सभी विभागों से ऑनलाइन आवेदन मांगे जाएंगे. अधिकारी-कर्मचारी इच्छानुसार खाली पद के लिए ट्रांसफर आवेदन कर सकेंगे. संबंधित विभाग की टीम उनकी काउंसलिंग करेगी. काउंसलिंग में दिव्यांग, विधवा, भूतपूर्व सैनिक, उत्कृष्ट खिलाड़ी, एकल महिला, पति-पत्नी प्रकरण, असाध्य रोग से पीड़ित, शहीद के आश्रित सदस्य और दूरस्थ इलाकों में तीन साल से कार्यरत कर्मचारियों को प्राथमिकता मिलेगी. हालांकि, राजस्थान की SOP राजभवन, विधानसभा सचिवालय और राज्य निर्वाचन आयोग में लागू नहीं होगी. शेष सभी विभागों में इसी के आधार पर तबादले किए जाएंगे. जिस डिपार्टमेंट में 2 हजार से कम कर्मचारी हैं, वहां एसओपी ऐसे ही लागू की जाएगी, लेकिन 2 हजार से ज्यादा कर्मचारी वाले विभागों में सुविधा अनुसार पॉलिसी प्रस्ताव तैयार कर सक्षम स्तर के अनुमोदन के साथ प्रशासनिक सुधार एवं समन्वय विभाग को भेजनी होगी.

इसे भी पढ़ें-तबादला सूची में जाति की राजनीति: डोटासरा का आरोप, कहा- तबादलों में साफ दिखी दुर्भावना, सीएम करें विचार

विधायकों की राय जरुरी : बता दें कि नई सरकार बनने के बाद फरवरी में तबादलों से शिक्षा विभाग को छोड़ कमोबेश सभी विभागों से कर्मचारियों की लंबी लिस्ट जारी की गई. तबादला नीति नही होने से कई अलग-अलग तबादला सूची पर विवाद हुआ. कुछ कर्मचारी ट्रांसफर के खिलाफ कोर्ट चले गए. इसी तरह के विवाद को देखते हुए भजनलाल सरकार तबादला नीति लाने जा रही है, लेकिन अधिकारियों के स्तर पर तैयार हो रही इस पॉलिसी को लेकर भाजपा विधायकों को एतराज है. खंडार से विधायक और संगठन में महामंत्री जितेंद्र गोठवाल ने कहा कि भाजपा सरकार पॉलिसी बना रही है. तबादला नीति बनानी चाहिए, इससे सबसे बड़ा लाभ होता है कि कुछ लोगों की दुकान बंद हो जाती है. नेताओं को रिलीफ मिलता है, क्योंकि पॉलिसी के कारण जो नियम हैं, उसी के अनुसार ट्रांसफर होंगे और इससे अधिकारियों और कर्मचारियों का भी मनोबल बढ़ता है. इस तबादला नीति में विधायकों की राय ली जाएगी. पॉलिसी लागू होने से पहले अंतिम सुझाव प्रतिनिधि का होगा. वहीं, हवामहल से विधायक बालमुकुंद आचार्य ने भी कहा कि तबादला नीति में विधायकों की राय जरूर ली जाएगी. अभी चुनावी दौरे चल रहे हैं, इसके बाद पॉलिसी लाई जाएगी. सामूहिक रूप से राय से पॉलिसी बनेगी तब ही उसका सार्थक परिणाम निकल कर आएगा.

माननीयों की राय से तैयार होगी ट्रांफसर पॉलिसी (ETV Bharat Jaipur)

जयपुर. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भले ही प्रदेश के भाजपा विधायकों को कर्मचारी-अधिकारियों के तबादलों से दूरी रखने की नसीहत दी हो, लेकिन इन माननीयों को लगता है कि तबादलों में इनकी दखल जरूरी है. यही वजह है सरकार के स्तर पर तैयार हो रही तबादला नीति में विधायकों की राय शामिल करने की उम्मीद लगाई जा रही है. हालांकि, तबादला नीति को लेकर विभागीय स्तर पर सुझाव मांगे गए हैं, लेकिन मंत्रियों के लोकसभा चुनाव प्रचार को लेकर अन्य राज्यों में हो रहे दौरे के बीच रिपोर्ट तैयार नहीं हो पा रही है.

तबादला नीति पर मंथन : दरअसल, प्रदेश में कर्मचारी-अधिकारियों के तबादलों को लेकर मुख्य सचिव के निर्देश पर प्रशासनिक सुधार विभाग की ओर से नई तबादला नीति को अंतिम रूप दिया जा रहा है. तबादला नीति पर फाइनल मंथन को लेकर सचिवालय में 18 मई को बैठक प्रस्तावित है, जिसमें मुख्य सचिव सुधांश पंत सभी विभागों के प्रमुख अधिकारियों के साथ तबादला नीति के बिंदुओं पर चर्चा करेंगे. माना जा रहा है कि इसके बाद तबादला नीति का मसौदा तैयार किया जाएगा और आचार संहिता हटने के बाद जब भी कैबिनेट की बैठक होगी, तो उसमें तबादला नीति का मसौदा रखा जाएगा.

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मंत्री चुनाव में व्यस्त, विभाग नहीं भेज पा रहे रिपोर्ट : बता दें कि प्रदेश की भजनलाल सरकार केंद्र की तर्ज पर तबादला नीति बनाने जा रही है. इसको लेकर मुख्य सचिव के निर्देश पर प्रशासनिक सुधार विभाग की ओर से नई तबादला नीति पर मंथन चल रहा है. पिछले दिनों सभी विभागों के लिए एसओपी जारी की गई. इस एसओपी में कहा गया है कि मुख्य सचिव की अध्यक्षता में 4 अप्रैल को हुई बैठक के निर्देश अनुसार सभी राज्य की विभागों, उपक्रमों, बोर्ड, निगम और अन्य समस्त स्वायत्तशासी संस्थाओं में कार्यरत कार्मिकों के स्थानांतरण प्रक्रिया को सरल, पारदर्शी और एक रूप में लाने के लिए तबादला नीति तैयार की जा रही है. इस तबादला नीति के लिए सभी विभाग आवश्यकताओं के अनुरूप स्वयं के स्तर पर स्टेक होल्डर्स, लाभार्थियों, कर्मचारियों के मुख्य प्रतिनिधियों से चर्चा कर एक माह में विभाग को स्थानांतरण नीति दिशा-निर्देश तैयार भेजनी थी, लेकिन मंत्रियों के लोकसभा चुनाव प्रचार के लिए अन्य राज्यों में हो रहे दौरे की वजह से विभाग रिपोर्ट तैयार नहीं कर पा रहा है. रिपोर्ट पर अंतिम मुहर विभागीय मंत्री की होगी.

3 साल से पहले तबादला नहीं, 2 साल ग्रामीण में सेवा : बताया जा रहा है कि सरकार के स्तर पर तैयार की जा रही तबादला नीति में किसी कर्मचारी का 3 साल से पहले तबादला नहीं होगा, साथ ही हर कर्मचारी को सर्विस में 2 साल ग्रामीण क्षेत्र में बितानी होगा. कॉमन एसओपी के अनुसार, कर्मचारियों के ट्रांसफर से पहले सभी विभागों से ऑनलाइन आवेदन मांगे जाएंगे. अधिकारी-कर्मचारी इच्छानुसार खाली पद के लिए ट्रांसफर आवेदन कर सकेंगे. संबंधित विभाग की टीम उनकी काउंसलिंग करेगी. काउंसलिंग में दिव्यांग, विधवा, भूतपूर्व सैनिक, उत्कृष्ट खिलाड़ी, एकल महिला, पति-पत्नी प्रकरण, असाध्य रोग से पीड़ित, शहीद के आश्रित सदस्य और दूरस्थ इलाकों में तीन साल से कार्यरत कर्मचारियों को प्राथमिकता मिलेगी. हालांकि, राजस्थान की SOP राजभवन, विधानसभा सचिवालय और राज्य निर्वाचन आयोग में लागू नहीं होगी. शेष सभी विभागों में इसी के आधार पर तबादले किए जाएंगे. जिस डिपार्टमेंट में 2 हजार से कम कर्मचारी हैं, वहां एसओपी ऐसे ही लागू की जाएगी, लेकिन 2 हजार से ज्यादा कर्मचारी वाले विभागों में सुविधा अनुसार पॉलिसी प्रस्ताव तैयार कर सक्षम स्तर के अनुमोदन के साथ प्रशासनिक सुधार एवं समन्वय विभाग को भेजनी होगी.

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विधायकों की राय जरुरी : बता दें कि नई सरकार बनने के बाद फरवरी में तबादलों से शिक्षा विभाग को छोड़ कमोबेश सभी विभागों से कर्मचारियों की लंबी लिस्ट जारी की गई. तबादला नीति नही होने से कई अलग-अलग तबादला सूची पर विवाद हुआ. कुछ कर्मचारी ट्रांसफर के खिलाफ कोर्ट चले गए. इसी तरह के विवाद को देखते हुए भजनलाल सरकार तबादला नीति लाने जा रही है, लेकिन अधिकारियों के स्तर पर तैयार हो रही इस पॉलिसी को लेकर भाजपा विधायकों को एतराज है. खंडार से विधायक और संगठन में महामंत्री जितेंद्र गोठवाल ने कहा कि भाजपा सरकार पॉलिसी बना रही है. तबादला नीति बनानी चाहिए, इससे सबसे बड़ा लाभ होता है कि कुछ लोगों की दुकान बंद हो जाती है. नेताओं को रिलीफ मिलता है, क्योंकि पॉलिसी के कारण जो नियम हैं, उसी के अनुसार ट्रांसफर होंगे और इससे अधिकारियों और कर्मचारियों का भी मनोबल बढ़ता है. इस तबादला नीति में विधायकों की राय ली जाएगी. पॉलिसी लागू होने से पहले अंतिम सुझाव प्रतिनिधि का होगा. वहीं, हवामहल से विधायक बालमुकुंद आचार्य ने भी कहा कि तबादला नीति में विधायकों की राय जरूर ली जाएगी. अभी चुनावी दौरे चल रहे हैं, इसके बाद पॉलिसी लाई जाएगी. सामूहिक रूप से राय से पॉलिसी बनेगी तब ही उसका सार्थक परिणाम निकल कर आएगा.

Last Updated : May 16, 2024, 6:52 PM IST
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