पटना: पूरे देश में 1 जुलाई से नया आपराधिक कानून लागू हो जाएगा. इसको लेकर बिहार पुलिस मुख्यालय द्वारा राजधानी पटना के ज्ञान भवन में पुलिसकर्मियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है. इस तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ आज सोमवार से किया गया है, जिसमें लगभग 25000 पुलिसकर्मियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है. वहीं, पूरे बिहार के थाना प्रभारी डिजिटल तरीके से जुड़कर इस प्रशिक्षण को प्राप्त कर रहे हैं.
पुलिस को आईफोन और लैपटॉप मिलेगा: इस बीच सभी थानों को डिजिटल करने के लिए पुलिस मुख्यालय द्वारा लगातार कई कदम उठाए जा रहे हैं. उसी कड़ी में अब बिहार पुलिस मुख्यालय द्वारा सभी केस के आईओ को आईफोन के साथ लैपटॉप भी दिया जाएगा. इसके अलावा अब ऑनलाइन स्टेशन डायरी भी लिखने की प्रक्रिया की गई है. साथ ही कोर्ट से वारंट और कुर्की जब्ती वारेंट भी अब ऑनलाइन ही प्राप्त कर सकेंगे. सभी थानों को सीसीटीएनएस के माध्यम से जोड़कर यह कार्य किया जा रहा है.
कोर्ट में ऑनलाइन प्रस्तुत होगा FIR: बता दें कि नया कानून आने से अब अनुसंधानकर्ता ऑनलाइन केस डायरी भी लिख सकेंगे. साथ ही ऑनलाइन FIR को कोर्ट में ऑनलाइन ही प्रस्तुत किया जाएगा. वहीं, विधि विज्ञान प्रयोगशाला को भी लगातार मॉडर्नाइज किया जा रहा है. इसके साथ ही नागरिक को अधिक से अधिक सुरक्षा और विश्वास किस तरीके से दिया जाए इस पर भी पुलिस मुख्यालय द्वारा काम किया जा रहा है. वहीं, सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाने वालों पर भी पुलिस मुख्यालय जल्द कार्रवाई की जाएगी. सीसीटीएनएस के माध्यम से पुलिसकर्मी कोर्ट से सीधे ऑनलाइन जुड़ सकेंगे.
1 जुलाई से नया कानून लागू: इस संबंध में एडीजी पुलिस मुख्यालय जे एस गंगवार ने बताया कि 1 जुलाई से देश भर नया कानून लागू होने जा रहे हैं, जिसको लेकर पुलिस मुख्यालय द्वारा पूरे बिहार में तैयारी की जा रही है. वहीं, सभी पुलिसकर्मियों को इसका प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है. नए अपराधी कानून के अलावा इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में अनुसंधान के समय में कैसे विधि विज्ञान का प्रयोग कर सकते हैं और किस तरीके से डिजिटलाइजेशन को पुलिस कर्मियों से बढ़ावा मिल सकता है इसके बारे में भी पुलिस पदाधिकारी को प्रशिक्षित किया जा रहा है.
पूरी तरीके से डिजिटल करने का प्रयास: उन्होंने बताया कि अब सीसीटीएनएस को बहुत जल्द आईसीजेएस से जोड़ दिया जाएगा. यानी पुलिस अब पूरी तरीके से डिजिटल होगी. अनुसंधानकर्ताओं को लैपटॉप और स्मार्टफोन उपलब्ध कराए जाएंगे जिससे उनके समय की भी बचत होगी. अनुसंधान करने में भी काफी सहूलियत मिलेगा. साथ-साथ अनुसंधान भी ऑनलाइन तरीके से होगा. वहीं, वादी के बयान में या पीड़ित के बयान में किसी तरह की छेड़छाड़ भी नहीं हो पाएगी.
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