नई दिल्ली: 20 मई, 2020 को राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) द्वारा पारित आदेश के अनुपालन में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने दिल्ली में डेयरी फार्म्स और गौशालाओं के लिए पर्यावरण प्रबंधन के नए दिशानिर्देश जारी किए हैं. यह आदेश एन जयसिम्हा बनाम दिल्ली सरकार के मामले के तहत पारित किया गया था. इन दिशानिर्देशों को लागू करने के लिए सीपीसीबी ने पर्यावरणीय मानकों का निर्धारण किया है. अब दिल्ली में सभी गौशालाओं और 15 या उससे अधिक मवेशियों वाले स्टैंडअलोन डेयरी फार्म्स को 15 दिन के भीतर डीपीसीसी में जल और वायु प्रदूषण नियंत्रण अधिनियम के तहत एनओसी प्राप्त करने के लिए ऑनलाइन आवेदन करना होगा. एनओसी न होने पर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
सीपीसीबी द्वारा तैयार किए गए ये दिशानिर्देश जल और वायु प्रदूषण से बचाव के लिए हैं. इसके अनुसार, सभी डेयरी फार्म्स और गौशालाओं को दो श्रेणियों में बांटा गया है. 10 जुलाई, 2020 को किए गए इस वर्गीकरण में डेयरी फार्म्स और गौशालाओं को क्रमशः नारंगी और हरे रंग की श्रेणियों में बांटा गया है, जो उनके पर्यावरणीय प्रभाव और प्रदूषण नियंत्रण उपायों पर आधारित हैं. दिल्ली में सभी गौशालाओं और 15 या उससे अधिक मवेशियों वाले स्टैंडअलोन डेयरी फार्मों को महत्वपूर्ण निर्देश भी जारी किया गया है.
स्वच्छता और हवा की गुणवत्ता में होगा सुधार: दरअसल, 2022 में सुनयना सिब्बल बनाम जीएनसीटीडी (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार) के मामले में उच्च न्यायालय के आदेश के अनुपालन में सभी संबंधित डेयरी फार्म्स और गौशालाओं को यह निर्देश दिया गया कि, वे 15 दिनों के भीतर डीपीसीसी में जल और वायु प्रदूषण नियंत्रण अधिनियम के तहत सहमति प्राप्त करने के लिए ऑनलाइन आवेदन करें. अगर वे ऐसा नहीं करते हैं, तो संबंधित कानूनी कार्रवाई की जाएगी. डीपीसीसी ने इस प्रक्रिया को तत्काल लागू करने का निर्देश दिया है, ताकि दिल्ली में प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सके और पर्यावरणीय मानकों का पालन सुनिश्चित किया जा सके. इससे न केवल मवेशियों के कल्याण को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि शहर की स्वच्छता और हवा की गुणवत्ता भी सुधरेगी.
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