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गुरुकुल आवासीय विद्यालय में घोर लापरवाही, मधुमक्खी के हमले से बच्चा घायल,दो दिन बाद खुद से पहुंचा अस्पताल - Gurukul Residential School

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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jul 8, 2024, 2:40 PM IST

Negligence in Gurukul Residential School गौरेला पेंड्रा मरवाही में गुरुकुल आवासीय विद्यालयों की व्यवस्था भगवान भरोसे हैं.यहां पढ़ने वाले नौनिहालों की जान की परवाह किसी को नहीं है. इसका ताजा उदाहरण शुक्रवार को देखने मिला,जब छात्रावास में पढ़ने वाले एक बच्चे पर मधुमक्खी का हमला हुआ.इस छात्र की मदद के लिए कोई नहीं आया.यही नहीं इलाज के लिए भी बच्चे को खुद एक दिन बाद हॉस्पिटल जाना पड़ा.Child victim of bee attack

Gurukul Residential School
मधुमक्खी के हमले से बच्चा घायल (ETV Bharat Chhattisgarh)

गौरेला पेंड्रा मरवाही : पेंड्रा के गुरुकुल आवासीय विद्यालय में प्रबंधन की घोर लापरवाही सामने आई है. इस आवासीय विद्यालय में रहने वाले एक 14 साल के छात्र पर गुरुवार को मधुमक्खियों ने हमला किया था.इस हमले में छात्र बुरी तरह से घायल हो गया.लेकिन छात्रावास के किसी भी जिम्मेदार ने छात्र की सुध नहीं ली.लिहाजा गुरुवार से लेकर शुक्रवार तक छात्र मधुमक्खियों के डंक के दर्द को सहन करता रहा.शुक्रवार रात को जब छात्र से दर्द सहन नहीं हुआ तो वो खुद ही अपना इलाज कराने के लिए जिला अस्पताल पहुंचा.जहां डॉक्टरों ने छात्र की हालत देखते ही उसका तुरंत उपचार शुरु किया.

मधुमक्खी के हमले से बच्चा घायल दो दिन बाद खुद से पहुंचा अस्पताल (ETV Bharat Chhattisgarh)

छात्र को हॉस्पिटल में लगी बॉटल : मधुमक्खी के हमले में घायल हुए छात्र का डॉक्टरों ने इलाज किया.इस दौरान उसे कई इंजेक्शन भी आईवी के माध्यम से दिए गए.जब छात्र को दर्द का अहसास कुछ कम हुआ तो डॉक्टरों ने उसे डिस्चार्ज कर दिया.इसके बाद छात्र अकेले ही वापस अपने हॉस्टल आ गया.इस दौरान मीडिया को इस बात की जानकारी लगी.जिसने छात्रावास जाकर छात्र की सुध ली.

छात्र ने बताई आप बीती : जब मीडिया ने पीड़ित छात्र से बात की तो पता चला कि मधुमक्खी के हमले के बाद वो स्कूल गया.जहां पर शिक्षकों ने भी उसकी बिगड़ी सूरत देखी.लेकिन किसी ने भी मासूम को अस्पताल ले जाने की जहमत नहीं उठाई.उल्टा छात्र को समझाईश दे दी कि किसी को साथ लेकर हॉस्पिटल चले जाए.छात्र भी डर के कारण चुपचाप वापस अपने हॉस्टल चला आया.लेकिन जब शुक्रवार को तकलीफ बढ़ी तो वो खुद अस्पताल चला गया.इस दौरान ना तो हॉस्टल प्रबंधक दिखाई दिए और ना ही कोई जिम्मेदार छात्र की सुध लेने के लिए आया.

''गुरुवार सुबह मधुमक्खी ने काटा था.इसके बाद में स्कूल गया जहां शिक्षकों ने कहा कि किसी को लेकर हॉस्पिटल चले जाना.रात को बुखार हुआ तो अगले दिन मैं खुद ही हॉस्पिटल गया.हॉस्टल में कोई भी शिक्षक नहीं है.''- युवराज सिंह,पीड़ित छात्र

वहीं इस हॉस्टल की चौकीदारी करने वाले शख्स ने मीडिया से कहा कि उसे इस बात की जानकारी नहीं थी कि बच्चे के साथ क्या हुआ है.शुक्रवार की सुबह हॉस्टल आने के बाद सूचना मिली कि बच्चे को मधुमक्खी ने काटा है.

'' मुझे बच्चे के बारे में कोई जानकारी नहीं थी.बच्चे को हॉस्टल में मधुमक्खी ने काटा था.गुरुवार को कोई भी बच्चे को हॉस्पिटल नहीं ले गया.शुक्रवार को मैं आया तो बच्चे को हॉस्पिटल ले गया हूं''- राजेश कोल,चौकीदार

राम भरोसे चल रहा गुरुकुल : छत्तीसगढ़ में स्कूल खुले अभी आधा महीना भी नहीं बीता है.ऐसे में आवासीय विद्यालयों में इस तरह की तस्वीर सामने आ रही है.आवासीय विद्यालय चौकीदार के भरोसे चल रहा है.प्रबंधक की नियुक्ति तो हुई है लेकिन वो भी मिस्टर इंडिया बने घूम रहा है.गरीब मां बाप अपने जिगर के टुकड़े को आवासीय विद्यालय में पढ़ाई के लिए भेजते हैं.लेकिन जिस तरह की व्यवस्था इन आवासीय विद्यालयों में हैं,उसे देखकर यही लगता है कि बच्चों की जान की चिंता किसी को नहीं है.गनीमत ये है कि बच्चे को मधुमक्खी ने काटा था.जरा सोचिये जंगली क्षेत्र में यदि जहरीले कीड़े ने इस आवासीय विद्यालय के बच्चे को काटा होता तो स्थिति क्या होती.क्योंकि मधुमक्खी के हमले से घायल बच्चा खुद ही अपने पैरों पर चलकर इलाज के लिए पहुंचा था.आपको बता दें कि जिस हॉस्टल की ये घटना है वहां से आदिवासी विकास विभाग के सहायक आयुक्त का निवास ठीक सामने है.फिर भी हॉस्टल में कर्मचारियों की लापरवाही कम नहीं हो रही.ऐसे में ये सवाल उठना लाजिमी है कि प्रदेश के अन्य आदिवासी हॉस्टल का क्या हाल होगा.

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मधुमक्खी के हमले से बच्चा घायल दो दिन बाद खुद से पहुंचा अस्पताल (ETV Bharat Chhattisgarh)

छात्र को हॉस्पिटल में लगी बॉटल : मधुमक्खी के हमले में घायल हुए छात्र का डॉक्टरों ने इलाज किया.इस दौरान उसे कई इंजेक्शन भी आईवी के माध्यम से दिए गए.जब छात्र को दर्द का अहसास कुछ कम हुआ तो डॉक्टरों ने उसे डिस्चार्ज कर दिया.इसके बाद छात्र अकेले ही वापस अपने हॉस्टल आ गया.इस दौरान मीडिया को इस बात की जानकारी लगी.जिसने छात्रावास जाकर छात्र की सुध ली.

छात्र ने बताई आप बीती : जब मीडिया ने पीड़ित छात्र से बात की तो पता चला कि मधुमक्खी के हमले के बाद वो स्कूल गया.जहां पर शिक्षकों ने भी उसकी बिगड़ी सूरत देखी.लेकिन किसी ने भी मासूम को अस्पताल ले जाने की जहमत नहीं उठाई.उल्टा छात्र को समझाईश दे दी कि किसी को साथ लेकर हॉस्पिटल चले जाए.छात्र भी डर के कारण चुपचाप वापस अपने हॉस्टल चला आया.लेकिन जब शुक्रवार को तकलीफ बढ़ी तो वो खुद अस्पताल चला गया.इस दौरान ना तो हॉस्टल प्रबंधक दिखाई दिए और ना ही कोई जिम्मेदार छात्र की सुध लेने के लिए आया.

''गुरुवार सुबह मधुमक्खी ने काटा था.इसके बाद में स्कूल गया जहां शिक्षकों ने कहा कि किसी को लेकर हॉस्पिटल चले जाना.रात को बुखार हुआ तो अगले दिन मैं खुद ही हॉस्पिटल गया.हॉस्टल में कोई भी शिक्षक नहीं है.''- युवराज सिंह,पीड़ित छात्र

वहीं इस हॉस्टल की चौकीदारी करने वाले शख्स ने मीडिया से कहा कि उसे इस बात की जानकारी नहीं थी कि बच्चे के साथ क्या हुआ है.शुक्रवार की सुबह हॉस्टल आने के बाद सूचना मिली कि बच्चे को मधुमक्खी ने काटा है.

'' मुझे बच्चे के बारे में कोई जानकारी नहीं थी.बच्चे को हॉस्टल में मधुमक्खी ने काटा था.गुरुवार को कोई भी बच्चे को हॉस्पिटल नहीं ले गया.शुक्रवार को मैं आया तो बच्चे को हॉस्पिटल ले गया हूं''- राजेश कोल,चौकीदार

राम भरोसे चल रहा गुरुकुल : छत्तीसगढ़ में स्कूल खुले अभी आधा महीना भी नहीं बीता है.ऐसे में आवासीय विद्यालयों में इस तरह की तस्वीर सामने आ रही है.आवासीय विद्यालय चौकीदार के भरोसे चल रहा है.प्रबंधक की नियुक्ति तो हुई है लेकिन वो भी मिस्टर इंडिया बने घूम रहा है.गरीब मां बाप अपने जिगर के टुकड़े को आवासीय विद्यालय में पढ़ाई के लिए भेजते हैं.लेकिन जिस तरह की व्यवस्था इन आवासीय विद्यालयों में हैं,उसे देखकर यही लगता है कि बच्चों की जान की चिंता किसी को नहीं है.गनीमत ये है कि बच्चे को मधुमक्खी ने काटा था.जरा सोचिये जंगली क्षेत्र में यदि जहरीले कीड़े ने इस आवासीय विद्यालय के बच्चे को काटा होता तो स्थिति क्या होती.क्योंकि मधुमक्खी के हमले से घायल बच्चा खुद ही अपने पैरों पर चलकर इलाज के लिए पहुंचा था.आपको बता दें कि जिस हॉस्टल की ये घटना है वहां से आदिवासी विकास विभाग के सहायक आयुक्त का निवास ठीक सामने है.फिर भी हॉस्टल में कर्मचारियों की लापरवाही कम नहीं हो रही.ऐसे में ये सवाल उठना लाजिमी है कि प्रदेश के अन्य आदिवासी हॉस्टल का क्या हाल होगा.

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