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ड्राइवर न होने के कारण वर्कशॉप और डिपो में खड़ी हैं 76 रोडवेज बसें, रोज हो रहा 10 लाख रुपये का नुकसान - Negligence in Transport Corporation - NEGLIGENCE IN TRANSPORT CORPORATION

परिवहन निगम (Negligence in Transport Corporation) के घाटे से न उबर पाने में खुद विभाग ही जिम्मेदार है. गोरखपुर से चौंकाने वाली रिपोर्ट है कि यहां ड्राइवरों के अभाव में 40 प्रतिशत (कीरब 76) बसें वर्कशॉप और डिपो में खड़ी हैं.

NEGLIGENCE IN TRANSPORT CORPORATION
NEGLIGENCE IN TRANSPORT CORPORATION (Photo Credit-Etv Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jun 29, 2024, 9:44 PM IST

परिवहन विभाग की अनदेखी से घाटे में रोडवेज. (Video Credit-Etv Bharat)

गोरखपुर : परिवहन निगम को न तो अपने घाटे की चिंता है और न ही यात्रियों की सुविधाओं की. ऐसी ही खबर गोरखपुर की है. बसों के संचालन के लिए ड्राइवर नहीं मिलने के कारण गोरखपुर क्षेत्र की करीब 40 प्रतिशत (76) बसें वर्कशॉप और डिपो में खड़ी हैं. इससे परिवहन निगम को 10 लाख रुपये का प्रतिदिन नुकसान हो रहा है. आरएम परिवहन निगम लव कुमार कहते हैं कि जब ड्राइवर मिलेंगे और बसों की मरम्मत हो जाएगी तभी बसों का संचालन संभव है.

बता दें, परिवहन निगम को एक एसी बस से लगभग 20 हजार और साधारण बस से लगभग 15 हजार रुपये प्रति दिन की कमाई होती है. बहरहाल गोरखपुर और राप्ती नगर डिपो से बड़ी संख्या में बसों का संचालन नियमित नहीं हो पा रहा. संचालित हो रही बसों के लगातार सफर में रहने की वजह से ब्रेक, स्टीयरिंग, एक्सीलेटर, बेयरिंग सहित अन्य पुर्जों में खराबी ज्यादा हो रही है. इसके कारण वर्कशॉप में बसों की संख्या लगातार बढ़ रही है. इसके चलते गोरखपुर से लखनऊ, दिल्ली और वाराणसी, आजमगढ़ रूट के यात्रियों को परेशानी उठानी पड़ रही है. यात्रियों को आसपास के जिलों से जुगाड़ वाहनों के सहारे सफर करना पड़ रहा है.

क्षेत्रीय प्रबंधक लव कुमार सिंह का कहना है कि चालकों के अभाव में बसें डिपो में खड़ी हैं. बहुत जल्द परिवहन निगम को पर्याप्त चालक मिल जाने की उम्मीद है. जिससे व्यवस्था में सुधार हो जाएगा. दिल्ली-लखनऊ- आज़मगढ़, मऊ, बनारस, प्रयागराज समेत विभिन्न रूट पर संचालन के लिए, राप्ती नगर डिपो के पास रोडवेज की 76 और 26 संबंधित कुल 102 बसें हैं, लेकिन वर्तमान में यहां से प्रतिदिन लगभग 56 बस ही रवाना हो रही हैं.

दिल्ली- लखनऊ- देवरिया-कुशीनगर सहित विभिन्न रूट पर संचालन के लिए गोरखपुर रोडवेज के पास 82 बसें हैं. इनमें से चालक और मरम्मत के अभाव में पिछले कई दिनों से 30 से अधिक बसों का संचालन नहीं हो पा रहा है. बस चालक नहीं होने से इसका असर कंडक्टरों की सेवा पर भी पड़ रहा है. वे मौजूद रहते हैं, लेकिन बस न चलने से उनकी हाजिरी नहीं लग पा रही है. ऐसे में उनका भुगतान प्रभावित हो रहा है. बताया जा रहा है कि चालकों को स्थाई नहीं बल्कि संविदा और अनुबंध के आधार पर नियुक्ति देने से, चालक इसमें इंटरेस्ट नहीं ले रहे हैं. जिससे बसों का संचालन प्रभावित है.

इन रूट के यात्रिओं की परेशानी बढ़ी : बसों का संचालन नहीं होने से सबसे ज्यादा प्रभावित गोरखपुर से वाराणसी, गोरखपुर से कुशीनगर के साथ लखनऊ और दिल्ली रूट के यात्री हो रहे हैं. वजह यह है कि गोरखपुर से वाराणसी का जो बस रूट है इस पर ट्रेन का संचालन नहीं होता है. ऐसे यात्री गोरखपुर से यात्रा प्रारंभ करके वह कौड़ीराम, बड़हलगंज, मऊ, आजमगढ़, जौनपुर होते हुए वाराणसी पहुंचते हैं. प्रतिदिन 8 से 10 हजार यात्रियों का आवागमन इस रूट पर बसों के जरिए होता है.

इसी प्रकार गोरखपुर से कुशीनगर रूट पर बस संचालन प्रभावित है. यह रूट भी रेल नेटवर्क से कटा हुआ है. दिल्ली और लखनऊ रूट के बाद सबसे अहम रूट है. गर्मी में जब ट्रेनों की लेट- लतीफी है तो पैसेंजर इस रूट पर बस को ही चुनता है. बहरहाल इस रूट पर बसें निश्चित संख्या से आधी ही चल रही हैं. कर्मचारी नेता रूपेश श्रीवास्तव कहते हैं कि ऐसी अनुबंध की नौकरी करने से क्या फायदा, जब ड्राइवर न तो खुद का पेट पाल सके और न ही अपने परिवार का भरण पोषण कर सके. सरकार अनुबंध की राशि बढ़ाए, उचित वेतन का भुगतान करे तो ही ड्राइवर मिल पाएंगे नहीं तो ऐसी दिक्कतों का सामना रोडवेज को करना पड़ेगा.

यह भी पढ़ें : मासूम को गोद में लेकर बस में टिकट काट रही बेबस मां, अफसरों को नहीं आई दया

यह भी पढ़ें : गोरखपुर: बीच रास्ते में बंद हुई रोडवेज बस, यात्रियों को लगाना पड़ा धक्का

परिवहन विभाग की अनदेखी से घाटे में रोडवेज. (Video Credit-Etv Bharat)

गोरखपुर : परिवहन निगम को न तो अपने घाटे की चिंता है और न ही यात्रियों की सुविधाओं की. ऐसी ही खबर गोरखपुर की है. बसों के संचालन के लिए ड्राइवर नहीं मिलने के कारण गोरखपुर क्षेत्र की करीब 40 प्रतिशत (76) बसें वर्कशॉप और डिपो में खड़ी हैं. इससे परिवहन निगम को 10 लाख रुपये का प्रतिदिन नुकसान हो रहा है. आरएम परिवहन निगम लव कुमार कहते हैं कि जब ड्राइवर मिलेंगे और बसों की मरम्मत हो जाएगी तभी बसों का संचालन संभव है.

बता दें, परिवहन निगम को एक एसी बस से लगभग 20 हजार और साधारण बस से लगभग 15 हजार रुपये प्रति दिन की कमाई होती है. बहरहाल गोरखपुर और राप्ती नगर डिपो से बड़ी संख्या में बसों का संचालन नियमित नहीं हो पा रहा. संचालित हो रही बसों के लगातार सफर में रहने की वजह से ब्रेक, स्टीयरिंग, एक्सीलेटर, बेयरिंग सहित अन्य पुर्जों में खराबी ज्यादा हो रही है. इसके कारण वर्कशॉप में बसों की संख्या लगातार बढ़ रही है. इसके चलते गोरखपुर से लखनऊ, दिल्ली और वाराणसी, आजमगढ़ रूट के यात्रियों को परेशानी उठानी पड़ रही है. यात्रियों को आसपास के जिलों से जुगाड़ वाहनों के सहारे सफर करना पड़ रहा है.

क्षेत्रीय प्रबंधक लव कुमार सिंह का कहना है कि चालकों के अभाव में बसें डिपो में खड़ी हैं. बहुत जल्द परिवहन निगम को पर्याप्त चालक मिल जाने की उम्मीद है. जिससे व्यवस्था में सुधार हो जाएगा. दिल्ली-लखनऊ- आज़मगढ़, मऊ, बनारस, प्रयागराज समेत विभिन्न रूट पर संचालन के लिए, राप्ती नगर डिपो के पास रोडवेज की 76 और 26 संबंधित कुल 102 बसें हैं, लेकिन वर्तमान में यहां से प्रतिदिन लगभग 56 बस ही रवाना हो रही हैं.

दिल्ली- लखनऊ- देवरिया-कुशीनगर सहित विभिन्न रूट पर संचालन के लिए गोरखपुर रोडवेज के पास 82 बसें हैं. इनमें से चालक और मरम्मत के अभाव में पिछले कई दिनों से 30 से अधिक बसों का संचालन नहीं हो पा रहा है. बस चालक नहीं होने से इसका असर कंडक्टरों की सेवा पर भी पड़ रहा है. वे मौजूद रहते हैं, लेकिन बस न चलने से उनकी हाजिरी नहीं लग पा रही है. ऐसे में उनका भुगतान प्रभावित हो रहा है. बताया जा रहा है कि चालकों को स्थाई नहीं बल्कि संविदा और अनुबंध के आधार पर नियुक्ति देने से, चालक इसमें इंटरेस्ट नहीं ले रहे हैं. जिससे बसों का संचालन प्रभावित है.

इन रूट के यात्रिओं की परेशानी बढ़ी : बसों का संचालन नहीं होने से सबसे ज्यादा प्रभावित गोरखपुर से वाराणसी, गोरखपुर से कुशीनगर के साथ लखनऊ और दिल्ली रूट के यात्री हो रहे हैं. वजह यह है कि गोरखपुर से वाराणसी का जो बस रूट है इस पर ट्रेन का संचालन नहीं होता है. ऐसे यात्री गोरखपुर से यात्रा प्रारंभ करके वह कौड़ीराम, बड़हलगंज, मऊ, आजमगढ़, जौनपुर होते हुए वाराणसी पहुंचते हैं. प्रतिदिन 8 से 10 हजार यात्रियों का आवागमन इस रूट पर बसों के जरिए होता है.

इसी प्रकार गोरखपुर से कुशीनगर रूट पर बस संचालन प्रभावित है. यह रूट भी रेल नेटवर्क से कटा हुआ है. दिल्ली और लखनऊ रूट के बाद सबसे अहम रूट है. गर्मी में जब ट्रेनों की लेट- लतीफी है तो पैसेंजर इस रूट पर बस को ही चुनता है. बहरहाल इस रूट पर बसें निश्चित संख्या से आधी ही चल रही हैं. कर्मचारी नेता रूपेश श्रीवास्तव कहते हैं कि ऐसी अनुबंध की नौकरी करने से क्या फायदा, जब ड्राइवर न तो खुद का पेट पाल सके और न ही अपने परिवार का भरण पोषण कर सके. सरकार अनुबंध की राशि बढ़ाए, उचित वेतन का भुगतान करे तो ही ड्राइवर मिल पाएंगे नहीं तो ऐसी दिक्कतों का सामना रोडवेज को करना पड़ेगा.

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