कोटा: सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने हाल ही में सभी परीक्षा केंद्रों का रिजल्ट सार्वजनिक किया, जिसमें सीकर से टॉपर्स की संख्या कोटा से ज्यादा आ रही है, लेकिन कोटा में रहने वाले स्टूडेंट्स दो महीने पहले ही अपने घरों पर चले जाते हैं. इसीलिए वह अपने संबंधित राज्यों या जिलों में परीक्षा देते हैं. कोटा में भी जो स्टूडेंट रहते हैं. उनमें अधिकांश का परीक्षा केंद्र दूसरे जिलों में आता है. इसीलिए यहां पर पढ़ने वाले स्टूडेंट्स टॉपर तो बने, लेकिन वह दूसरे परीक्षा केंद्र के टॉपर कहलाए हैं.
एजुकेशन एक्सपर्ट देव शर्मा का कहना है कि परीक्षा केंद्र के अनुसार सीकर के परीक्षा केंद्र पर टॉपर्स की संख्या ज्यादा आ रही है. वहां के 149 हैं, जबकि जयपुर के 131 व कोटा के 74 टॉपर्स हैं. यह परीक्षा केंद्र के आधार पर टॉपर्स हैं, किसी शहर के टॉपर्स नहीं हैं या वहां पर पढ़ने वाले टॉपर्स नहीं हैं.
जरूरी नहीं जहां पर पढ़ें, वहां का ही मिले सेंटर : देव शर्मा का कहना है कि कोटा में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स अपने घरों के आसपास के ही एग्जाम सेंटर का चयन करते हैं. यहां के हॉस्टल और पीजी को खाली करने का बाद अपने घरों पर शिफ्ट हो जाते हैं. यहां की फैकल्टी भी बच्चों को तनाव मुक्त होकर पेरेंट्स के साथ परीक्षा देने के लिए यह सलाह देती है. इसीलिए कौन से बच्चे ने कौन से सेंटर पर परीक्षा दी है, यह तय कर पाना मुश्किल है.
दूसरे राज्यों और जिलों के स्टूडेंट को कोटा की फैकल्टी से ऑनलाइन सॉल्यूशन और डाउट भी क्लियर कर लेते हैं. इसीलिए उन्हें चिंता नहीं होती है. दूसरी तरफ कोटा में पढ़ने वाले बच्चों की तादाद इतनी ज्यादा है कि उन्हें यहां के परीक्षा केंद्र पर एडजस्ट करना भी नेशनल टेस्टिंग एजेंसी के लिए मुश्किल भरा है.
नहीं मिला कोटा सेंटर, जयपुर में जाकर दी परीक्षा : कोटा के रहने वाले न्यूरोसर्जन डॉ. दीपक वाधवा का कहना है कि उनके दो बच्चों का परीक्षा केंद्र इस बार अलग-अलग शहरों में आया है. उनके एक बेटे अर्पित का जयपुर में परीक्षा केंद्र आया था. उसके 662 अंक बने हैं, जबकि दूसरे बेटे आदित्य के सेंटर कोटा में था और उसके 610 आए हैं. कोटा में पढ़ने वाले स्टूडेंट की संख्या यहां पर सेंटर्स पर परीक्षा देने वाले विद्यार्थियों से तीन गुनी है. ऐसे में यहां सेंटर मांगने वाले विद्यार्थियों में पहले गर्ल्स को प्राथमिकता दी जाती है, शेष मिलने पर छात्रों को प्राथमिकता मिलती है. देव शर्मा ने बताया कि कोटा से कोचिंग कर रहे स्टूडेंट ध्रुव इनानिया का भी बारां में सेंटर दिया गया. ऐसे ही सैकड़ो की संख्या में कैंडिडेट के सेंटर कोटा से बाहर थे.
90 फीसदी से ज्यादा काउंसलिंग के लिए सफल : देव शर्मा ने बताया कि कोटा से कोचिंग कर रहे विद्यार्थियों ने अलग-अलग राज्यों और जिलों में जाकर परीक्षा दी है. ऐसे में इनमें से कई टॉपर्स वहां के भी टॉपर बने हैं, जबकि कोटा में पढ़ाई कर रहे स्टूडेंट कर ऐसे हैं, जो कि पूरे में से पूरे अंक लेकर आए हैं. यहां तक कि कोटा से कोचिंग कर रहे स्टूडेंट में काउंसलिंग के लिए पात्रता लाने वालों की संख्या भी काफी ज्यादा है. कोटा से तैयारी कर रहे करीब 70 हजार कैंडिडेट ने नीट यूजी का एग्जाम दिया है. इनमें से 90 फीसदी से ज्यादा अभ्यर्थी काउंसलिंग के लिए पात्र घोषित किए गए हैं.
जेईई में टॉपर से लेकर सिलेक्शन में भी आगे दिल्ली जोन, कारण कोटा : देव शर्मा ने बताया कि कोटा की बदौलत ही राजस्थान आईआईटी और इंजीनियरिंग एंट्रेंस में टॉपर रहता है. कोटा से आने वाले टॉपर्स की बदौलत ही दिल्ली जोन जेईई एडवांस में आगे रहता है. साल 2024 का रिजल्ट में आईआईटी दिल्ली जोन 10255 स्टूडेंट के क्वालीफाई होने के साथ दूसरे नंबर पर है. इसके अलावा कोटा से पढ़ने वाले वेद लाहोटी टॉपर बने हैं. टॉप 10 में दो रैंक दिल्ली जोन की आई है. टॉप 100 में 29, टॉप 200 में 60, टॉप 300 में 82, टॉप 400 में 104 और 500 में 122 शामिल हैं.