जोधपुर. नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो और गुजरात एटीएस, जोधपुर एनसीबी और राजस्थान पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में शनिवार को गुजरात और राजस्थान में 5 जगह पर बड़ी कार्रवाई हुई. इसमें एमडी ड्रग्स के बनाने की लैब्स का खुलासा हुआ है. गुजरात के अमरेली, गांधीनगर, राजस्थान के सिरोही, जालोर के भीनमाल और जोधपुर के ओसियां में कार्रवाई की गई है. इस कार्रवाई में करीब 300 करोड़ रुपए की 149 किलो ड्रग बरामद हुई है. इसके अलावा एमडी बनाने में प्रयुक्त रसायन भी भारी मात्रा में बरामद हुआ है.
अहमदाबाद एनसीबी के डिप्टी डायरेक्टर जनरल गायनेश्वर सिंह के अनुसार कुल 7 लोगों को हिरासत में लिया गया है. उनके अनुसार करीब 3 महीने की पड़ताल के बाद यह कार्रवाई शनिवार सुबह 4 बजे सभी जगह पर एक साथ शुरू की गई थी. इस नेटवर्क के सरगना की पहचान कर ली गई है और जल्द ही उसे गिरफ्तार कर लिया जाएगा. पूर्ववर्ती रसायनों के स्रोत के साथ-साथ वितरण नेटवर्क, राष्ट्रीय और साथ ही किसी भी अंतरराष्ट्रीय लिंकेज को ट्रैक करने और पहचानने का प्रयास किया जा रहा है.
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मेडिकल स्टोर संचालक बना रहा ड्रग: जोधपुर के ओसियां कस्बे में शनिवार सुबह मेडिकल स्टोर संचालक एक युवक के अपहरण की सूचना आई थी. जिसके चलते मेडिकल स्टोर संचालकों ने विरोध भी जताया. लेकिन बाद में पुलिस ने बताया कि जांच एजेंसी एनसीबी और एटीएस में उसे विरासत में लिया है. इसके बाद लोग शांत हुए. ओसियां में मेडिकल स्टोर संचालक के ठिकाने से रसायन सामग्री के साथ-साथ एमडी ड्रग्स बनाने की मशीन भी मिली है.
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सिरोही में मिला 45 करोड़ का माल: जोधपुर एनसीबी के जोनल डायरेक्टर घनश्याम सोनी के अनुसार विशेष सूचना पर एनसीबी जोधपुर ने सिरोही के कैलाश नगर थाना क्षेत्र में गुप्त प्रयोगशालाओं में मेथ लगभग 12 किलोग्राम, तरल रूप में मेथ-लगभग 60 किलोग्राम और अन्य रसायन बरामद किए गए जिनकी बाजार कीमत 45 करोड़ है. इस मामले में रागा राम पुत्र नरसाराम और बजरंग बिश्नोई पुत्र धन्ना राम बिश्नोई को हिरासत में लिया है.
गली-गली बिकने लगी है एमडी: मेफेड्रोन, जिसे 4-मिथाइलमेथकैथिनोन, 4-एमएमसी और 4-मिथाइलफेड्रोन के रूप में भी जाना जाता है, एम्फ़ैटेमिन और कैथिनोन वर्गों की एक सिंथेटिक उत्तेजक दवा है. कठबोली नामों में ड्रोन, एम-कैट, व्हाइट मैजिक, म्याऊ म्याऊ और बबल शामिल हैं. जोधपुर के आसपास के इलाकों में गली-गली और गांव में यह ड्रग बिकने लगी है. हालांकि पुलिस भी लगातार कार्रवाई करती है, लेकिन इसके बावजूद इस पर प्रभावी रोक नहीं लग पा रही है.