कोरबा: हरदीबाजार के नेवसा गांव में नवरात्र पर एक महिला कीलों के बने बिस्तर पर लेटकर मां की भक्ति कर रही है. महिला ने निर्जला व्रत भी रखा है. महिला को कीलों के बिस्तर पर लेटे देखने के लिए आस पास के गांव के लोग रोज पहुंच रहे हैं. महिला का दावा है कि उसके सपने में देवी मां आईं थीं और उसे कीलों के बिस्तर पर लेटकर अपनी भक्ति साबित करने को कहा. महिला का कहना है कि कीलों के इस बिस्तर पर लेटने से उसे जरा भी दर्द नहीं होता है. बड़े ही आराम से वो मां की भक्ती में लीन है. कीलों के बने बिस्तर पर लेटकर भक्ती करने वाली महिला का नाम ईश्वरी चौहान है. ईश्वरी के पति खेती किसानी कर परिवार चलाते हैं.
आस्था कहें या फिर अंधविश्वास: अब इसे आस्था कहें या फिर अंधविश्वास ईश्वरी का दावा है कि सपने में दर्शन देकर मां ने उसकी भक्ति की परीक्षा मांगी है. महिला भक्त का ये भी दावा है कि वो पिछले 8 से 10 सालों से माता की भक्ति कर रही है. भजन कीर्तिन भी करती आ रही है. महिला का दावा है कि दो तीन साल पहले उसे लगातार सपने आने लगे. कभी उसे बच्ची दिखाई देती जो पहाड़ पर दौड़ती, मैं भी उसके पीछे भागती. परिवार वालों को अपने सपने के बारे में मैंने बताया. आगे चलकर मेरे सपने में विधवा स्त्री आने लगी.
महिला का दावा मां ने भक्ति साबित करने को कहा: परिवार वालों ने कहा कि अगर बार जब विधवा स्त्री उसके सपने में आए तो उससे सवाल जवाब करे. अगली बार जब उसने सपना देखा तो ईश्वरी ने उससे कई सवाल जवाब किए. ईश्वरी का दावा है कि उसे महिला ने सपने में कहा कि वो कीलों के बिस्तर पर लेटकर अपनी भक्ति साबित करे. ईश्वरी का कहना है कि सपने में हुई बातचीत के बाद वो डर गई. ईश्वरी का दावा कि उसके बाद माता ने सपने में आकर बताया कि वो डरे नहीं मां उसके साथ है. इसके बाद ईश्वरी कीलों के बने बिस्तर पर लेटकर मां की भक्ति करने को तैयार हो गई. महिला भक्त का दावा है कि उसे कील चुभते नहीं हैं. नहीं बुरे ख्याल आते हैं. मन में किसी तरह की चिड़चिड़ाहट भी नहीं होती है.
सपने में मां ने कहा कि कीलों के बिस्तर पर लेटकर अपनी भक्ति साबित करो. कीलों के इस बिस्तर पर लेटने से मुझे कोई दिक्कत नहीं होती. - ईश्वरी चौहान, भक्त
ग्राम पंचायत नेवसा के करीब एक पहाड़ है. जहां मंदिर है, वहां काली मंदिर भी मौजूद है. नवरात्रि में जितने लोग भी काली मंदिर आते हैं. वह अब ईश्वरी चौहान के रूप में माता के दर्शन भी करने आते हैं. : राम रतन राठौर, रोजगार सहायक
आस्था में आडंबर की जरुरत नहीं होती: अब इसे आस्था कहें या अंधविश्वास, इस तरह से खुद को कष्ट देना और कीलों के बिस्तर पर सोना किसी भी तरह से जायज नहीं ठहराया जा सकता है. इस तरह से भक्ति के नाम पर आडंबर करना भी उचित नहीं है. प्रभु का प्रेम और मां की भक्ति पाने के लिए सच्चे मन से प्रार्थना करना जरुरी है. इस तरह की भक्ति से आप खुद को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं और इससे समाज में गलत संदेश भी अंधविश्वास के तौर पर फैलता है.