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बंगाल की तर्ज पर पहली बार बाड़मेर में दुर्गा पूजा, मिट्टी से बनी 9 फीट ऊंची है मां दुर्गा की प्रतिमा - NAVRATRI 2024

नवरात्रि के मौके पर हम आपको बाड़मेर में पहली बार हो रहे बंगाल की तर्ज पर दुर्गा पूजा के बारे में बताने जा रहे हैं.

बंगाल की तर्ज पर पहली बार बाड़मेर में दुर्गा पूजा
बंगाल की तर्ज पर पहली बार बाड़मेर में दुर्गा पूजा (ETV Bharat Barmer)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Oct 9, 2024, 7:28 AM IST

Updated : Oct 9, 2024, 2:19 PM IST

पहली बार बाड़मेर में दुर्गा पूजा (ETV Bharat Barmer)

बाड़मेर : नवरात्रि के पर्व पर हर कोई भक्तिभाव मे डूबा नजर आ रहा है. राजस्थान के सरहदी जिले में बाड़मेर में पहली बार बंगाल की तर्ज पर प्रवासी बंगाली लोगों की ओर से 'दुर्गा पूजा उत्सव' की एक नई और विशेष शुरुआत की गई.

9 फीट ऊंची है मां दुर्गा की प्रतिमा : बीते कई वर्षों से बाड़मेर शहर में रह रहे बंगाल के स्वर्णशिल्पी बंधुओं ने पहली बार दुर्गा पूजा का कार्यक्रम विशेष रूप से तैयार किया है. इस आयोजन को लेकर बंगाल के मूर्तिकारों से विशेष तौर पर मां दुर्गा की 9 फीट ऊंची मिट्टी और चावल के बुरादे से मूर्ति तैयार करवाई गई है. शहर के कल्याणपुर में मां दुर्गा की प्रतिमा की स्थापना की गई है. वहीं, आसपास के गलियों को भी पूरी तरह सजाया गया है. बाड़मेर में पहली बार हो रहे हैं इस आयोजन को देखने के लिए भीड़ उमड़ रही है.

पढे़ं. जंगल में स्थित भड़किया माता से डकैत मांगते थे डकैती की अनुमति, पूरी होने पर चढ़ाते थे चढ़ावा, चट्टानों पर है निशान

दुर्गा पूजा बंगाल का बड़ा पर्व : प्रवासी बंगाली लोगों ने बताया कि दुर्गा पूजा उनके लिए सबसे बड़ा पर्व है, लेकिन यहां बाड़मेर में बंगाल की तरह दुर्गा पूजा का कोई आयोजन नहीं होता है. कई बार काम धंधे के चलते बंगाल नहीं जा पाते हैं. ऐसे में इस बार हम लोगों ने एक महीने पहले ही यह तय किया कि हम बंगाल की तर्ज पर बाड़मेर में भी दुर्गा उत्सव कार्यक्रम का आयोजन करेंगे.

मिट्टी और चावल के बुरादे से बनी हैं मूर्तियां : उन्होंने बताया कि बंगाल के मूर्तिकारों की ओर से जोधपुर में मां दुर्गा की 9 फीट ऊंची मिट्टी और चावल के बुरादे से मूर्ति बनाई गई है. इसके अलावा चार छोटी मूर्तियां हैं. इनमें लक्ष्मी, सरस्वती, गणेश ओर कार्तिकेय की करीब ढाई फीट की मूर्तियां बनी हैं. इन मूर्तियों को बनाने से लेकर बाड़मेर लाने तक में 50 हजार रुपए की लागत आई है.

बनाया गया भव्य पंडाल
बनाया गया भव्य पंडाल (ETV Bharat Barmer)

पढे़ं. यहां गिरी थी माता सती के पैर की उंगली, कलयुग में जमवाय माता के नाम से होती है पूजा

बंगाल से बुलाए गए पुजारी और ढोलवादक : एक और बंगाली प्रवासी ने बताया कि कई बरसों से सपना था कि बाड़मेर में भी दुर्गा पूजा उत्सव का आयोजन किया जाए, जो कि अब जाकर साकार हुआ है. मंगलवार रात से शुरू हुआ यह दुर्गा पूजा उत्सव अगले 5 दिनों तक मनाया जाएगा. खास बात यह भी है की मां दुर्गा की विधिवत रूप से पूजा के लिए बंगाल से पुजारी और ढोल वादकों को बुलाया गया है. आपस में मिलकर धूमधाम के साथ इस कार्यक्रम को मनाएंगे.

महिलाओं में आयोजन को लेकर उत्साह : एक महिला प्रवासी ने बताया कि पहली बार बाड़मेर में ऐसा आयोजन हो रहा है इस बात की हमें बेहद खुशी है. दुर्गा मां की पूजा अर्चना होगी और इसके बाद मूर्ति का धूमधाम के साथ विसर्जन किया जाएगा. इस भव्य उत्सव का हिस्सा बनने के लिए हम सब उत्सुक हैं और इसे कार्यक्रम को सफल बनाने का प्रयास कर रहे हैं. स्थानीय लोगों का भी खूब सहयोग मिल रहा है

बंगाली लोगों की ओर से किया गया आयोजन
बंगाली लोगों की ओर से किया गया आयोजन (ETV Bharat Barmer)

एक हजार बंगाली : स्थानीय स्वर्णकार हरिश सोनी ने बताया कि बाड़मेर में करीब एक हजार बंगाली स्वर्णशिल्पी रहते हैं, जो सोने चांदी पर डिजाइन बनाने आदि का काम करते हैं. दुर्गा पूजा बंगाल का बड़ा पर्व है और इस पर्व को इस बार बाड़मेर में मनाया जा रहा है. स्वर्णकार समाज के लोग भी इनके साथ हैं. 5 दिन तक यहां कार्यक्रम होंगे. अष्टमी के दिन जागरण और आखिर में मूर्ति का विसर्जन होगा.

पहली बार बाड़मेर में दुर्गा पूजा (ETV Bharat Barmer)

बाड़मेर : नवरात्रि के पर्व पर हर कोई भक्तिभाव मे डूबा नजर आ रहा है. राजस्थान के सरहदी जिले में बाड़मेर में पहली बार बंगाल की तर्ज पर प्रवासी बंगाली लोगों की ओर से 'दुर्गा पूजा उत्सव' की एक नई और विशेष शुरुआत की गई.

9 फीट ऊंची है मां दुर्गा की प्रतिमा : बीते कई वर्षों से बाड़मेर शहर में रह रहे बंगाल के स्वर्णशिल्पी बंधुओं ने पहली बार दुर्गा पूजा का कार्यक्रम विशेष रूप से तैयार किया है. इस आयोजन को लेकर बंगाल के मूर्तिकारों से विशेष तौर पर मां दुर्गा की 9 फीट ऊंची मिट्टी और चावल के बुरादे से मूर्ति तैयार करवाई गई है. शहर के कल्याणपुर में मां दुर्गा की प्रतिमा की स्थापना की गई है. वहीं, आसपास के गलियों को भी पूरी तरह सजाया गया है. बाड़मेर में पहली बार हो रहे हैं इस आयोजन को देखने के लिए भीड़ उमड़ रही है.

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दुर्गा पूजा बंगाल का बड़ा पर्व : प्रवासी बंगाली लोगों ने बताया कि दुर्गा पूजा उनके लिए सबसे बड़ा पर्व है, लेकिन यहां बाड़मेर में बंगाल की तरह दुर्गा पूजा का कोई आयोजन नहीं होता है. कई बार काम धंधे के चलते बंगाल नहीं जा पाते हैं. ऐसे में इस बार हम लोगों ने एक महीने पहले ही यह तय किया कि हम बंगाल की तर्ज पर बाड़मेर में भी दुर्गा उत्सव कार्यक्रम का आयोजन करेंगे.

मिट्टी और चावल के बुरादे से बनी हैं मूर्तियां : उन्होंने बताया कि बंगाल के मूर्तिकारों की ओर से जोधपुर में मां दुर्गा की 9 फीट ऊंची मिट्टी और चावल के बुरादे से मूर्ति बनाई गई है. इसके अलावा चार छोटी मूर्तियां हैं. इनमें लक्ष्मी, सरस्वती, गणेश ओर कार्तिकेय की करीब ढाई फीट की मूर्तियां बनी हैं. इन मूर्तियों को बनाने से लेकर बाड़मेर लाने तक में 50 हजार रुपए की लागत आई है.

बनाया गया भव्य पंडाल
बनाया गया भव्य पंडाल (ETV Bharat Barmer)

पढे़ं. यहां गिरी थी माता सती के पैर की उंगली, कलयुग में जमवाय माता के नाम से होती है पूजा

बंगाल से बुलाए गए पुजारी और ढोलवादक : एक और बंगाली प्रवासी ने बताया कि कई बरसों से सपना था कि बाड़मेर में भी दुर्गा पूजा उत्सव का आयोजन किया जाए, जो कि अब जाकर साकार हुआ है. मंगलवार रात से शुरू हुआ यह दुर्गा पूजा उत्सव अगले 5 दिनों तक मनाया जाएगा. खास बात यह भी है की मां दुर्गा की विधिवत रूप से पूजा के लिए बंगाल से पुजारी और ढोल वादकों को बुलाया गया है. आपस में मिलकर धूमधाम के साथ इस कार्यक्रम को मनाएंगे.

महिलाओं में आयोजन को लेकर उत्साह : एक महिला प्रवासी ने बताया कि पहली बार बाड़मेर में ऐसा आयोजन हो रहा है इस बात की हमें बेहद खुशी है. दुर्गा मां की पूजा अर्चना होगी और इसके बाद मूर्ति का धूमधाम के साथ विसर्जन किया जाएगा. इस भव्य उत्सव का हिस्सा बनने के लिए हम सब उत्सुक हैं और इसे कार्यक्रम को सफल बनाने का प्रयास कर रहे हैं. स्थानीय लोगों का भी खूब सहयोग मिल रहा है

बंगाली लोगों की ओर से किया गया आयोजन
बंगाली लोगों की ओर से किया गया आयोजन (ETV Bharat Barmer)

एक हजार बंगाली : स्थानीय स्वर्णकार हरिश सोनी ने बताया कि बाड़मेर में करीब एक हजार बंगाली स्वर्णशिल्पी रहते हैं, जो सोने चांदी पर डिजाइन बनाने आदि का काम करते हैं. दुर्गा पूजा बंगाल का बड़ा पर्व है और इस पर्व को इस बार बाड़मेर में मनाया जा रहा है. स्वर्णकार समाज के लोग भी इनके साथ हैं. 5 दिन तक यहां कार्यक्रम होंगे. अष्टमी के दिन जागरण और आखिर में मूर्ति का विसर्जन होगा.

Last Updated : Oct 9, 2024, 2:19 PM IST
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