कोटा : शहर में सरकारी और निजी मिलकर 11 ब्लड बैंक काम कर रहे हैं और इनमें 80 फीसदी तक स्वैच्छिक रक्तदान के जरिए ही रक्त आ रहा है. कोटा में जन्मदिन से लेकर कई तरह के आयोजनों में रक्तदान की मुहिम आयोजकों ने छेड़ी हुई है. इसके अलावा रक्तदान के मामले में भी कोटा काफी ज्यादा एजुकेटेड रहा है. यहां पर काम करने वाली संस्थाएं भी काफी एक्टिव हैं. इसका फायदा कोटा के ब्लड बैंक को और आमजन को हो रहा है. ब्लड डोनेशन के मुहिम से दिव्यांग और दृष्टि बाधित भी जुड़े हुए हैं. ये भी कई बार ब्लड डोनेशन कर चुके हैं.
ब्लड बैंक और डोनेशन अभियान से जुड़े भुवनेश गुप्ता का कहना है कि कोटा में करीब 70 हजार यूनिट तक ब्लड डोनेशन होता है, जबकि डिमांड थोड़ी ज्यादा है. जितनी डिमांड होती है, लगभग उतनी सप्लाई हो जाती है. गर्मी के समय में थोड़ी कमी आती है, जिसे यहां की संस्थाएं पूरी करती है. सर्दियों में रक्तदान काफी अच्छा होता है. गुप्ता का कहना है कि उनका लक्ष्य 100 फीसदी तक स्वैच्छिक रक्तदान के आंकड़े को पहुंचाने का है. बीते एक दशक से कोटा स्वैच्छिक रक्तदान में टॉप पर बना हुआ है. इसके अलावा देश के चुनिंदा शहरों में आता है, जहां पर स्वैच्छिक रक्तदान बड़ी संख्या में होता है.
दिव्यांग कमलेश ने 70, दृष्टि बाधित राजेश ने 45 बार किया डोनेशन : मां भारती चैरिटेबल ट्रस्ट के उपाध्यक्ष दिनेश विजय का कहना है कि रंगबाड़ी निवासी दिव्यांग कमलेश विजयवर्गीय भी रक्तदान के मामले में पीछे नहीं हैं. वे 70 बार ब्लड डोनेशन कर चुके हैं. इसके अलावा तलवंडी निवासी राजेश गौतम दृष्टि बाधित जरूर हैं, लेकिन ब्लड डोनेशन के मामले में सामान्य लोगों से आगे हैं. वे अब तक 45 बार डोनेशन कर चुके हैं. इसी तरह से शिवपुरा निवासी किशन झा एबी नेगेटिव ग्रुप के डोनर हैं. दिनेश विजय का कहना है कि ऐसे डोनर्स की उन्होंने पूरी सूची बनाई हुई है. इनसे आमतौर पर डोनेशन नहीं लिया जाता है. जब किसी रेयर ग्रुप के मरीज को इमरजेंसी में जरूरत होती है, तब इनसे डोनेशन करवाया जाता है. इसी तरह किशन झा 62 बार डोनेशन कर चुके हैं.
डोनेशन के लिए ब्लड बैंक पहुंच रहे हैं लोग : दिनेश विजय ने बताया कि कोटा में रक्तदान को लेकर काफी जागरूकता है, विदेश की तर्ज पर यहां भी रक्तदान करने के लिए लोग स्वयं ही ब्लड बैंक पहुंच रहे हैं. लोग ऑफिस जाने से पहले या छुट्टी होने के बाद भी रक्तदान करने के लिए पहुंचते हैं. हालांकि, अभी ग्रामीण एरिया में काफी ज्यादा जागरूकता की जरूरत है. ऐसे में सरकार से मांग है कि 15 से 18 साल के बच्चों को ब्लड बैंक विजिट कराई जाए. उनके कोर्स में रक्तदान, एसडीपी व रक्त अवयव का विषय शामिल किया जाए. इसके अलावा सभी सरकारी डॉक्यूमेंट पर ब्लड ग्रुप लिखा जाए, ताकि जरूरत पड़ने पर व्यक्ति को याद रहे.
7 दिन करवाए जाएंगे इस अवसर पर कार्यक्रम : भुवनेश गुप्ता ने बताया कि ब्लड डोनेशन बढ़ाने के लिए पहल शुरू कर रहे हैं, जिसमें 18 साल का युवक पहली बार रक्तदान करने का शपथ पत्र भरकर अपना ब्लड बैंक में आएगा तो उसे पुरस्कृत किया जाएगा. इसके अलावा सोशल मीडिया के जरिए भी युवाओं को जोड़ रहे हैं. यह अभियान हम पंचायत स्तर पर भी कर रहे हैं. ऐसे में पूरे सप्ताह 1 से 7 अक्टूबर तक कार्यक्रम होंगे. इनमें वाद विवाद, पेंटिंग, निबंध व आशुभाषण प्रतियोगिता होगी. इस दौरान निगेटिव एसडीपी व रक्तदाताओं का सम्मान भी होगा.