लखनऊ : यूपी पिछले कई वर्षों में बड़े पर्यटन स्थल के रूप में उभर रहा है. यहां के ऐतिहासिक धरोहर, पौराणिक स्थल और वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी लोगों को लुभा रहे हैं. साल 2024 में करीब 50 करोड़ लोग यूपी के विभिन्न जिलों में घूमने के लिए पहुंचे. सरकार की ओर से भी विभिन्न जिलों में मौजूद तीर्थ स्थलों व पर्यटन स्थलों का विकास कराकर उन्हें नया रूप दिया जा रहा है.
वाराणसी में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर बनने के बाद काफी संख्या में श्रद्धालु वहां पहुंच रहे हैं. इसी कड़ी में अयोध्या में रामलला के मंदिर के निर्माण के बाद राम नगरी में भी भीड़ बढ़ी है. राष्ट्रीय पर्यटन दिवस के अवसर पर हम आपको अयोध्या, मथुरा, आगरा के अलावा अन्य जिलों में मौजूद पर्यटन स्थलों के बारे में भी जानकारी देने जा रहे हैं. यह भी बताएंगे कि आप वहां आसानी से कैसे पहुंच सकते हैं.
वाराणसी : इसे काशी और बनारस के नाम से भी जाना जाता है. यह गंगा नदी के तट पर स्थित दुनिया के सबसे पुराने शहरों में से एक है. वरुण और अस्सी नदी के तट पर बसे होने के कारण काशी को वाराणसी कहते हैं. यहां के सारनाथ और गंगा घाट यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स में शामिल हैं. वाराणसी राजा हरिश्चंद्र की जन्मस्थली है. यही मुंशी प्रेमचंद, झांसी की रानी का भी जन्म हुआ. तुलसीदास, उस्ताद बिस्मिल्लाह खान जैसे लोग यहां रहते थे. वाराणसी के 84 घाट हैं. इनमें दशाश्वमेध घाट, अस्सी घाट प्रमुख हैं. वर्तमान में राजघाट के मालवीय पुल के पास नमो घाट पर्यटन का नया केंद्र बना है. बाबा विश्वनाथ कॉरिडोर ने इस शहर को दुनिया के मानचित्र पर और भी तेजी से स्थापित किया है.
बनारस कैसे पहुंचे : वाराणसी जौनपुर से सड़क मार्ग से 60 किलोमीटर, चुनार से 40 किलोमीटर, विंध्याचल से 75 किलोमीटर, प्रयागराज से 125 किलोमीटर, सोनभद्र से 89 किलोमीटर दूर स्थित है. इसके अलावा यहां पर नेशनल हाईवे 2 से कोलकाता और दिल्ली से पहुंचा जा सकता है. इसके अलावा नेशनल हाईवे 7 से कन्याकुमारी और नेशनल हाईवे 29 से गोरखपुर की तरफ से आया जा सकता है. निकटतम बस अड्डा वाराणसी कैंट और मारवाड़ी हैं.
निकटतम एयरपोर्ट लाल बहादुर शास्त्री हवाई अड्डा है. यह बाबतपुर से 22 किलोमीटर और सारनाथ से 30 किलोमीटर दूरी पर स्थित है. यहां पर दिल्ली, आगरा, खजुराहो, कोलकाता, मुंबई और लखनऊ के अलावा भुवनेश्वर और काठमांडू के लिए सीधे हवाई सेवा उपलब्ध है. निकटतम रेलवे स्टेशन वाराणसी कैंट, पंडित दीनदयाल उपाध्याय नगर (16 किलोमीटर दूर है वाराणसी से) यहां पर देश के विभिन्न शहरों से ट्रेन के माध्यम से आसानी से पहुंचा जा सकता है.
अयोध्या : अयोध्या सरयू नदी के तट पर स्थित एक पौराणिक शहर है. भगवान राम का जन्म स्थल होने के कारण यह भूमि भारत की गौरवशाली आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत का प्रतिनिधित्व करती है. राजा हरिश्चंद्र और महाराजा भागीरथ का यहां से गहरा संबंध है. भगवान आदिनाथ सहित जैन धर्म के पांच तीर्थंकरों का जन्म भी यही हुआ है. कनक भवन में भगवान राम और किशोरी जी की दिव्य मूर्तियां यहां आने वाले पर्यटकों और श्रद्धालुओं को आकर्षित करती हैं. प्रभु श्री राम की जन्मस्थली होने के कारण अयोध्या को मोक्ष दाहिनी व प्रमुख तीर्थ स्थल के रूप में माना जाता है. यहां प्रत्येक वर्ष दीपोत्सव का आयोजन किया जाता है. जो हर साल नया विश्व कीर्तिमान बनाता है. जनवरी 2024 में भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद अयोध्या का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व काफी तेजी से बढ़ा है.
अयोध्या कैसे पहुंचे : सड़क मार्ग से अयोध्या गोंडा से 51 किलोमीटर, श्रावस्ती से 109 किलोमीटर, लखनऊ से 134 किलोमीटर, प्रयागराज से 166 किलोमीटर और वाराणसी से 209 किलोमीटर दूर है. यहां पर नेशनल हाईवे 27, नेशनल हाईवे 233 बी, नेशनल हाईवे 135 ए, यूपीएचएस 9, यूपीएचएस 15 और यूपीएचएस 30 ए राजमार्गों के माध्यम से आसानी से पहुंचा जा सकता है.
निकटतम रेलवे स्टेशन अयोध्या कैंट और अयोध्या जंक्शन रेलवे स्टेशन हैं. यह रेलवे स्टेशन नॉर्दर्न रेलवे के अंतर्गत आता है. निकटतम एयरपोर्ट अयोध्या एयरपोर्ट है. इसके अलावा यहां पर चौधरी चरण सिंह एयरपोर्ट लखनऊ और गोरखपुर एयरपोर्ट उतरकर भी यहां तक पहुंचा जा सकता है.
मथुरा : यमुना के तट पर स्थित मथुरा भगवान श्रीकृष्ण की जन्म भूमि के रूप में पूरी दुनिया में विख्यात है. यहीं पर बांके बिहारी मंदिर स्थित है. यहां हर साल बड़ी संख्या में देश और प्रदेश से श्रद्धालु और पर्यटक आते हैं. ब्रज परिक्रमा की महिमा पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है. भगवान कृष्ण से जुड़े होने के कारण मथुरा को हिंदू धर्म में पवित्र शहरों में से एक माना जाता है. मथुरा में कई ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल है.
मथुरा कैसे पहुंचे : मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा जैसे राज्यों से यह शहर कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. गोकुल से 10 किलोमीटर, महावन से 14 किलोमीटर, वृंदावन से 15 किलोमीटर, बलदेव से 20 किलोमीटर, गोवर्धन से 26 किलोमीटर, भरतपुर से 39 किलोमीटर, डींग से 40 किलोमीटर, बरसाना से 47 किलोमीटर, नंद गांव से 53 किलोमीटर, आगरा से 56 किलोमीटर और दिल्ली से 45 किलोमीटर दूर है. यहां पर यूपीएचएस 33, नेशनल हाईवे 19, नेशनल हाईवे 2 और आगरा एक्सप्रेसवे के माध्यम से पहुंचा जा सकता है.
निकटतम रेलवे स्टेशन मथुरा जंक्शन रेलवे स्टेशन है. निकटतम एयरपोर्ट खेरिया हवाई अड्डा है. यह आगरा से 46 किलोमीटर दूर स्थित है. इसके अलावा इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे यहां से 130 किलोमीटर दूर स्थित है.
प्रयागराज : प्रयागराज प्राचीन ग्रंथों में प्रयाग या तीर्थराज के नाम से जाना जाता है. यह गंगा, जमुना तथा गुप्त सरस्वती नदी के संगम पर स्थित है. संगम स्थल को त्रिवेणी भी कहा जाता है. यह हिंदुओं के लिए एक पवित्र स्थल है. मौजूदा समय पर इसी भूमि पर महाकुंभ 2025 का आयोजन चल रहा है. इसे भारत के सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक माना जाता है. यहां हर वर्ष माघ मेला और 6 वर्ष पर कुंभ और 12 वर्ष पर महाकुंभ मेला लगता है. संगम में स्नान नौका विहार के साथ संगम तट पर स्थित लेटे हुए हनुमान मंदिर का दर्शन पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र है.
प्रमुख पर्यटन स्थल : संगम, सरस्वती घाट, नेहरू घाट, मनकामेश्वर मंदिर, श्रृंगवेरपुर, श्री अखिलेश्वर महादेव, साहब माधव, अलोपी देवी मंदिर, मिंटो पार्क, नवीन यमुना ब्रिज, खुसरो बाग, प्रयागराज फोर्ट, चंद्रशेखर आजाद पार्क, जवाहर तारामंडल, ललिता देवी मंदिर, लाक्षागृह, बड़े हनुमान मंदिर संग्रहालय प्रमुख पर्यटन स्थल है.
प्रयागराज कैसे पहुंचे : प्रयागराज से विंध्याचल 93 किलोमीटर, वाराणसी 125 किलोमीटर, चुनर 125 किलोमीटर, सारनाथ 135 किलोमीटर, चित्रकूट 137 किलोमीटर, अयोध्या 167 किलोमीटर, कानपुर 193 किलोमीटर, लखनऊ 204 किलोमीटर, बिठूर 215 किलोमीटर, खजुराहो 294 किलोमीटर, नैमिषारण्य 298 किलोमीटर, पटना 368 किलोमीटर, झांसी 375 किलोमीटर, आगरा 433 किलोमीटर, भोपाल 680 किलोमीटर है. यहां पर नेशनल हाईवे 330, नेशनल हाईवे 19, नेशनल हाईवे 30 और नेशनल हाईवे 35 से पहुंचा जा सकता है.
निकटतम एयरपोर्ट बमरौली एयरपोर्ट है. यह 16 किलोमीटर दूर है. यहां से दिल्ली के लिए रोजाना उड़ान है. बाबतपुर एयरपोर्ट वाराणसी में मौजूद है. निकटतम रेलवे स्टेशन प्रयागराज जंक्शन प्रयागराज सिटी, फाफामऊ रेलवे स्टेशन हैं.
आगरा : आगरा उत्तर प्रदेश का एक प्रसिद्ध शहर है. यह यमुना नदी के किनारे बसा है. आगरा का ताजमहल विश्व के सात अजूबों में से एक है. आगरा में तीन यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है. इसमें ताजमहल, आगरा का किला और फतेहपुर सीकरी शामिल है. यह जिला चमड़े के उत्पादन के लिए न केवल देश बल्कि दुनिया में प्रसिद्ध है. इसी तरह आगरा का पेठा भी देश और दुनिया में काफी प्रसिद्ध है.
प्रमुख पर्यटन स्थल : ताजमहल, आगरा फोर्ट, फतेहपुर सीकरी, जमा मस्जिद, बुलंद दरवाजा, कांच महल, कीथम ताल, सिकंदरा (अकबर का मकबरा), मेहताब बाग, सुर सरोवर, मरियम टॉम, चंबल वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी प्रमुख पर्यटक स्थल हैं.
आगरा कैसे पहुंचे : आगरा मथुरा से 56 किलोमीटर, भरतपुर से 57 किलोमीटर, ग्वालियर से 119 किलोमीटर, दिल्ली से 204 किलोमीटर, जयपुर से 232 किलोमीटर, लखनऊ से 370 किलोमीटर, खजुराहो से 400 किलोमीटर, वाराणसी से 605 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. नेशनल हाईवे 44, नेशनल हाईवे 2, आगरा एक्सप्रेसवे और यमुना एक्सप्रेस के माध्यम से यहां पर पहुंचा जा सकता है.
निकटतम रेलवे स्टेशन आगरा फोर्ट रेलवे स्टेशन व आगरा कैंट रेलवे स्टेशन हैं. निकटतम एयरपोर्ट खेरिया एयरपोर्ट आगरा है.
श्रावस्ती : श्रावस्ती भगवान बुद्ध के जीवन की निकटता से जुड़ा है. यह एक महत्वपूर्ण बौद्ध और जैन तीर्थ स्थल है. भगवान बुद्ध के जीवन काल में यह कौशल राज्य की राजधानी था. ऐसा कहा जाता है कि राजा शाश्वत ने इस शहर की स्थापना की थी. छठी शताब्दी ईसा पूर्व से छठी शताब्दी ईस्वी के दौरान श्रावस्ती कौशल साम्राज्य की राजधानी थी. श्रावस्ती की पहचान विश्व के कोने-कोने में आज बौद्ध तीर्थ स्थल के रूप में है. इस जनपद का गठन वर्ष 1997 में हुआ था. जनपद का मुख्यालय भींगा में है. यह थारू जनजाति के लोगों द्वारा हस्त निर्मित शिल्प विश्व प्रसिद्ध है.
प्रमुख पर्यटन स्थल : विपश्चना ध्यान केंद्र, श्रावस्ती महोत्सव, कच्ची कुट्टी, पक्की कुट्टी, सुहेलदेव वन्य जीव अभ्यारण, विभूति नाथ मंदिर, सोभानाथ टेंपल आदि प्रमुख पर्यटन स्थल हैं.
श्रावस्ती कैसे पहुंचे : श्रावस्ती पहुंचने के लिए बलरामपुर रेलवे स्टेशन जो कि यहां से 18 किलोमीटर दूर है, गोंडा जंक्शन जो कि 39 किलोमीटर दूर है. लखनऊ 176 किलोमीटर, कपिलवस्तु 198 किलोमीटर, गोरखपुर 196 किलोमीटर, लुंबिनी 165 किलोमीटर, बहराइच 48 किलोमीटर, वाराणसी 306 किलोमीटर दूर है.
निकटतम रेलवे स्टेशन बलरामपुर रेलवे स्टेशन और गोंडा जंक्शन हैं. निकटतम एयरपोर्ट चौधरी चरण सिंह एयरपोर्ट लखनऊ है.
लखनऊ : उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ गोमती नदी के उत्तर पश्चिम तट पर स्थित है. यह नवाबों के शहर के नाम से विख्यात है. यह उत्तर भारत का एक सांस्कृतिक और कलात्मक केंद्र है. गोमती नदी के तट पर स्थित कुड़िया घाट की आरती, हनुमत धाम, रिवर फ्रंट पर्यटकों का मुख्य आकर्षण का केंद्र है. लखनऊ अपनी चिकनकारी एवं जरदोजी के साथ मलिहाबाद के दशहरी आम के लिए पूरे दुनिया भर में मशहूर है. खान-पान में लखनऊ के कबाब बिरयानी चार्ट मलाई गिलौरी और मक्खन मलाई का जय का पूरे विश्व में प्रसिद्ध है.
प्रमुख पर्यटन स्थल : हनुमान सेतु मंदिर, चंद्रिका देवी मंदिर, मनकामेश्वर मंदिर, छोटा इमामबाड़ा, बड़ा इमामबाड़ा, रूमी दरवाजा, रेजिडेंसी, जनेश्वर मिश्र पार्क, भूलभुलैया, क्लॉक टावर, पिक्चर गैलरी, हुसैनाबाद ट्रस्ट, शहीद स्मारक, विधान भवन, ला मार्टिनियर कॉलेज, बुद्धेश्वर शांति उपवन, डॉ. भीमराव अंबेडकर सामाजिक परिवर्तन स्थल, समता मूलक चौक सामाजिक परिवर्तन प्रतीक स्थल, स्मृति उपवन प्रमुख है.
लखनऊ कैसे पहुंचे : लखनऊ कानपुर से 80 किलोमीटर, अयोध्या से 135 किलोमीटर, प्रयागराज से 210 किलोमीटर, दुधवा नेशनल पार्क से 368 किलोमीटर, वाराणसी से 305 किलोमीटर, खजुराहो से 320 किलोमीटर, आगरा से 363 किलोमीटर, दिल्ली से 497 किलोमीटर और कोलकाता से 985 किलोमीटर दूर है. यूपीएचएस 25, यूपीएचएस 36, यूपीएचएस 40, नेशनल हाईवे 24, नेशनल हाईवे 25 और नेशनल हाईवे 28 से लखनऊ पहुंच जा सकता है.
निकटतम रेलवे स्टेशन लखनऊ उत्तर रेलवे स्टेशन, पूर्वोत्तर रेलवे स्टेशन चारबाग, बादशाह नगर, गोमती नगर रेलवे स्टेशन हैं. निकटतम एयरपोर्ट चौधरी चरण सिंह अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है.
झांसी : झांसी अपनी ऐतिहासिक धरोहर और संस्कृति विरासत के लिए न केवल देश बल्कि दुनिया में प्रसिद्ध है. अंग्रेजों को मुंहतोड़ जवाब देने वाली रानी लक्ष्मी बाई का यह जिला वीरता-साहस और आत्मसम्मान का प्रतीक है. राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त का जन्म भी यही हुआ था. हॉकी के जादूगर के नाम से मशहूर मेजर ध्यानचंद का भी काफी समय बीता था. यहां का रसगुल्ला पारा और सॉफ्ट टॉयज पूरे देश में प्रसिद्ध है. झांसी शहर बेतवा नदी के पास स्थित है. शहर से मात्र 25 किलोमीटर दूर पारीछा बांध पर्यटकों को खूब लुभाता है. पर्यटन के लिहाज से आदर्श स्थान है. मुगल व मराठा का प्रभाव झांसी की संस्कृति और विरासत पर साफ तौर पर देखा जा सकता है.
प्रमुख पर्यटन स्थल : झांसी का किला, समथर किला, गढ़मऊ झील, जोखन बाग स्मारक, महाकाली मंदिर, मानसरोवर, बरुआ सागर, रानी महल, महालक्ष्मी मंदिर, सेंट जुड चर्च और राजकीय संग्रहालय प्रमुख पर्यटन स्थल हैं.
झांसी कैसे पहुंचे : झांसी से ओरछा 18 किलोमीटर, दतिया 28 किलोमीटर, ललितपुर 100 किलोमीटर, शिवपुरी 100 किलोमीटर, कालपी 142 किलोमीटर, खजुराहो 176 किलोमीटर, कानपुर 220 किलोमीटर, आगरा 221 किलोमीटर, लखनऊ 297 किलोमीटर और दिल्ली 414 किलोमीटर है. नेशनल हाईवे 25 और 26 होते हुए झांसी पहुंच जा सकता है.
निकटतम रेलवे स्टेशन झांसी स्टेशन है. निकटतम एयरपोर्ट ग्वालियर एयरपोर्ट 98 किलोमीटर दूर है, जबकि खजुराहो एयरपोर्ट 178 किलोमीटर दूर है.
लखीमपुर-खीरी : तराई क्षेत्र के उपजाऊ मैदान में स्थित लखीमपुर खीरी जिला प्रचुर प्राकृतिक सुंदरता और विविध सांस्कृतिक विरासत से समृद्ध है. यहां के प्रमुख आकर्षणों में से एक दुधवा राष्ट्रीय उद्यान है. यह एक प्रसिद्ध वन्य जीव अभ्यारण है. यह राजसी बंगाल टाइगर और दुर्लभ भारतीय गेट सहित अपनी विविध वनस्पतियों और जीवन के लिए जाना जाता है. यह जिला शिव मंदिर गोला गोकर्णनाथ, मेंढक मंदिर, हेरीटेज पैलेस और हनुमान मंदिर सहित कई अन्य पर्यटक आकर्षणों से भरा हुआ है. यह जिला थारू जनजाति द्वारा जनजातीय शिल्प और गुड़ और उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है, यहां शारदा, घाघरा, कोरियाला, गोमती, कथन और सराय नदी गुजरती है.
प्रमुख पर्यटक स्थल : शिव मंदिर छोटा काशी, हनुमान मंदिर, मेंढक मंदिर, किशनपुर अभ्यारण व दुधवा नेशनल पार्क है.
लखीमपुर कैसे पहुंचे : लखीमपुर लखनऊ से करीब 220 किलोमीटर दूर है, यह सीतापुर से करीब 100 किलोमीटर दूरी पर स्थित है. निकटतम रेलवे स्टेशन लखीमपुर खीरी रेलवे स्टेशन है. निकटतम एयरपोर्ट चौधरी चरण सिंह अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा लखनऊ है.
सीतापुर : इस जिले को राजा विक्रमादित्य ने मां सीता के नाम पर स्थापित किया था. हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार पांच प्रमुख धार्मिक हिंदू स्थान की पंचधाम यात्रा सीतापुर में स्थित धार्मिक प्राचीन स्थान नीमसार या नैमिषारण्य के दर्शन के बिना पूरी नहीं होती है. सीतापुर हैंडलूम कपड़ों का एक पारंपरिक उत्पादन केंद्र माना जाता है. नैमिषारण्य तीर्थ के निकट गोमती के किनारे दशमेश घाट और राजघाट पर सौंदरीकरण के बाद हो रहे दैनिक आरती श्रद्धालुओं के लिए एक नया आकर्षण का केंद्र बना है. यहां का दरी उत्पादन देश ही नहीं विदेश में मशहूर है.
प्रमुख पर्यटक स्थल : नैमिषारण्य तीर्थ स्थल, चरक तीर्थ, ललिता देवी मंदिर, हनुमानगढ़ी, पांडव किला, परमहंस, गोंडाइया मठ, व्यास गद्दी, पुराण मंदिर, काली पीठ, सीताकुंड, दधीचि कुंड प्रमुख है.
सीतापुर कैसे पहुंचे : सीतापुर लखनऊ से 100 किलोमीटर, हरदोई से 80 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. उत्तर प्रदेश राज्य मार्ग 30 बी और नेशनल हाईवे 24 से यहां पहुंचा जा सकता है.
निकटतम रेलवे स्टेशन सीतापुर रेलवे स्टेशन है. निकटतम एयरपोर्ट चौधरी चरण सिंह हवाई अड्डा लखनऊ 92 किलोमीटर दूर है.
बलरामपुर : राप्ती नदी के तट पर स्थित बलरामपुर जिला कई पर्यटक आकर्षणों और धार्मिक स्थलों का गढ़ है. इसमें तुलसीपुर में देवीपाटन मंदिर भी शामिल है जो देवी दुर्गा के 51 शक्तिपीठों में से एक रूप में प्रतिष्ठित है. दुर्गा पूजा के दौरान अपने भाव उत्सव के लिए पूरे देश में जाना जाता है. जिले में प्रसिद्ध साहित्यिक विरासत है. अली सरदार जाफरी और सैयद अली मेहंदी रिजवी जैसे प्रसिद्ध उर्दू कवि यहीं से हैं. यह जिला डाल के लिए मशहूर है. इस जिले की सीमा नेपाल, पूर्व में सिद्धार्थनगर, दक्षिण में गोंडा और पश्चिम में श्रावस्ती जिले से लगती है.
प्रमुख पर्यटन स्थल : देवीपाटन मंदिर, बिजलीपुर मंदिर, कोइलबासा, सुहेलदेव वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी, जयप्रभा ग्राम प्रमुख पर्यटन स्थल हैं.
निकटतम रेलवे स्टेशन बलरामपुर रेलवे स्टेशन है. निकटतम एयरपोर्ट चौधरी चरण सिंह हवाई अड्डा लखनऊ है.
सहारनपुर : इस शहर का अपना ही एक धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व है. सहारनपुर जिले का समृद्ध सांस्कृतिक इतिहास 2000 ईसा पूर्व का है. अंबेकर, बड़गांव, हुलास और नसीरपुर में हुई खोदाई से सिंधु घाटी और हड़प्पा सभ्यता की कलाकृतियां मिली हैं. सहारनपुर प्रदेश का सीमावर्ती जिला है. इसकी सीमा उत्तर प्रदेश में हरियाणा और हिमाचल प्रदेश और पूर्व में उत्तराखंड से लगती है. यमुना नदी जिले के पश्चिम से पूर्व की ओर होकर बहती है. नकुड़ एक ऐतिहासिक जगह है. इसका अभिलेख महाभारत में मिलता है. यहां दारुल उलूम देवबंद विश्व प्रसिद्ध इस्लामी मदरसा है. आल्लहणपुर, सौंधेबास घाट से यमुना नदी अत्यंत मनोरम दिखती है.सहारनपुर जिले अपने लकड़ी और नक्काशी उद्योग के लिए विश्व प्रसिद्ध है.
प्रमुख पर्यटन स्थल : बाबा भूरा देव मंदिर, मां शाकुंभरी देवी मंदिर, बाला सुंदरी देवी मंदिर और नौ गजा पीर प्रमुख पर्यटक स्थल हैं.
सहारनपुर कैसे पहुंचे : सहारनपुर पहुंचने के लिए उत्तर प्रदेश राजमार्ग 57 नेशनल हाईवे 709 बी और नेशनल हाईवे 344 से पहुंचा जा सकता है.
निकटतम रेलवे स्टेशन सहारनपुर रेलवे स्टेशन है. निकटतम एयरपोर्ट जॉली ग्रांट हवाई अड्डा देहरादून 90 किलोमीटर दूर है.
मिर्जापुर : उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में तीर्थ स्थान हैं. मां गंगा के तट पर मां विंध्यवासिनी हैं तो पहाड़ पर अष्टभुजा देवी हैं. यहां माथा टेकना लोगों की अभिलाषा होती है. लगभग पूरे पूर्वांचल से लोग मुंडन के लिए यहां आते हैं. इसके अलावा दूसरे राज्य और विदेशों से भी लोग दर्शन-पूजन के लिए आते हैं. पहाड़ियों से घिरा यह शहर झरने और प्राकृतिक स्थान प्रदान करता है. इसकी स्थापना ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की ओर से मध्य और पश्चिम भारत के बीच एक व्यापारिक केंद्र के रूप में की गई थी. यह कपास और रेशम व्यापार में विशेषज्ञ रखता था. यह जिला अपने कालीन और ब्रास वेयर उद्योग के लिए जाना जाता है.
प्रमुख पर्यटन स्थल : विंध्यवासिनी मंदिर, अष्टभुजा देवी मंदिर, काली देवी मंदिर, देवहरा बाबा आश्रम, राम गायघाट, चुनार का किला, लखनिया दरी, सिद्धार्थ नाथ दरी, विंडम फॉल, राम कथा पार्क प्रमुख पर्यटक स्थल हैं.
मिर्जापुर कैसे पहुंचे : यह शहर बनारस से काफी करीब है. यहां पहुंचने के लिए उत्तर प्रदेश राजमार्ग 74, उत्तर प्रदेश राजमार्ग 97, नेशनल हाईवे 19, नेशनल हाईवे 35 से पहुंचा जा सकता है.
निकटतम रेलवे स्टेशन मिर्जापुर रेलवे स्टेशन है. निकटतम एयरपोर्ट लाल बहादुर शास्त्री अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा वाराणसी 72 किलोमीटर दूर है.
गोरखपुर : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सत्ता में आने के बाद गोरखपुर जिले का धार्मिक एवं पर्यटक के तौर पर काफी विकास हुआ है. गोरखपुर जिला धार्मिक सांस्कृतिक और प्राकृतिक आकर्षण प्रस्तुत करता है. छठी शताब्दी ईसा पूर्व गोरखपुर 16 महाजनपदों में से एक कौशल के प्रसिद्ध साम्राज्य का हिस्सा था. गोरखपुर फिराक गोरखपुरी की जन्मस्थली, प्रसिद्ध लेखक मुंशी प्रेमचंद और रहस्यवादी कवि कबीर दास की कर्म स्थली भी है. यह जिला कुशीनगर कपिलवस्तु और नेपाल जाने के लिए मुख्य टर्मिनल है. यही हिंदू धार्मिक पुस्तकों के विश्व प्रसिद्ध प्रकाशक गीता प्रेस भी है. गोरखपुर टेराकोटा के बने सामानों के लिए विश्व प्रसिद्ध है.
प्रमुख पर्यटन स्थल : गोरखनाथ मंदिर, तरकुलहा देवी मंदिर, विष्णु मंदिर, आरोग्य मंदिर, गीता वाटिका, रामगढ़ ताल, नक्षत्रशाला, रेल संग्रहालय, पुरातत्व बौद्ध संग्रहालय, शहीद स्मारक चौरी-चौरा प्रमुख पर्यटक स्थल है.
गोरखपुर कैसे पहुंचे : गोरखपुर पूर्वांचल का एक प्रमुख जिला है. यह लखनऊ से करीब 250 किलोमीटर दूर है. यहां पहुंचने के लिए उत्तर प्रदेश राज्य मार्ग एक, उत्तर प्रदेश राजमार्ग 81, नेशनल हाईवे 27, नेशनल हाईवे 28 और नेशनल हाईवे 29 से पहुंचा जा सकता है.
निकटतम रेलवे स्टेशन गोरखपुर जंक्शन रेलवे स्टेशन है. दिल्ली हावड़ा मेन लाइन का प्रमुख स्टेशन है. निकटतम एयरपोर्ट गोरखपुर एयरपोर्ट है.
बांदा : बांदा बुंदेलखंड का एक प्रमुख जिला है. केन नदी के तट पर स्थित बांदा जिला चित्रकूट धाम मंडल में स्थित है. यह एक उल्लेखनीय ऐतिहासिक विरासत समेटे हुए हैं. जिले का नाम हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान राम के समकालीन वर्णित ऋषि वामदेव के नाम पर रखा गया है. पाषाण कालीन पत्थर की मूर्तियां और अन्य पुरातात्विक कलाकृतियां भी यहां मिल चुकी हैं. नदी के किनारे नौका विहार और भ्रमण पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है. यहां की शजर पत्थर शिल्प कला देश भर में मशहूर है.
प्रमुख पर्यटन स्थल : कालिंजर का किला, नवाब टैंक, भूरागढ़ फोर्ट, बामदेवेश्वर मंदिर और महेश्वरी देवी प्रमुख पर्यटन स्थलों में शामिल हैं.
बांदा कैसे पहुंचे : कानपुर से बांदा करीब डेढ़ सौ किलोमीटर, झांसी से 160 किलोमीटर प्रयागराज से 120 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यहां पहुंचने के लिए नेशनल हाईवे 76, नेशनल हाईवे 86, उत्तर प्रदेश राज्य मार्ग 92, उत्तर प्रदेश राजमा 13 से पहुंचा जा सकता है.
निकटतम रेलवे स्टेशन बांदा रेलवे स्टेशन है. निकटतम एयरपोर्ट खजुराहो एयरपोर्ट 140 किलोमीटर, कानपुर एयरपोर्ट 132 किलोमीटर दूर है.
कानपुर : कानपुर को एक समय मैनचेस्टर सिटी के नाम से भी जाना जाता था. गंगा नदी के दक्षिणी तट पर स्थित कानपुर जिला एक समृद्ध ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व वाला शहर है. यह उत्तर प्रदेश का एक प्रमुख औद्योगिक नगर है. यह शहर चमड़े के उद्योग का बड़ा केंद्र है. जूते, बेल्ट, पर्स, चप्पल, सैंडल जैसे चमड़े के उत्पाद यहां बनाए जाते हैं. यहां बनाए गए उत्पादों को विभिन्न देशों में निर्यात किया जाता है.
प्रमुख पर्यटन स्थल : राधा कृष्ण मंदिर, सनातन धर्म मंदिर, कांच का मंदिर, जेके मंदिर, श्री हनुमान मंदिर, सिद्धनाथ मंदिर, जागेश्वर मंदिर, सिद्धेश्वर मंदिर, बिठूर सई मंदिर, गंगा बैराज, जगन्नाथ मंदिर, एलेन फॉरेस्ट चिड़ियाघर, भारतीय तकनीकी संस्थान, आनंदेश्वर मंदिर, नाना राव पार्क (कंपनी बाग) कानपुर मैमोरियल चर्च, भीतरगांव मंदिर व शोभन सरकार यहां के प्रमुख पर्यटक स्थलों में से एक हैं.
कानपुर कैसे पहुंचे : कानपुर देश के 5 सेंट्रल स्टेशनों में से एक है. यह लखनऊ से 80 किलोमीटर दूर, प्रयागराज से 220 किलोमीटर दूर, दिल्ली से 490 किलोमीटर दूर स्थित. यहां पहुंचने के लिए अप राजमार्ग 17, अप राजमार्ग 40, अप राजमार्ग 46, नेशनल हाईवे 27 और नेशनल हाईवे 19 से पहुंचा जा सकता है.
निकटतम रेलवे स्टेशन कानपुर सेंट्रल रेलवे स्टेशन है. निकटतम एयरपोर्ट कानपुर एयरपोर्ट है.
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